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प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

ईश्वर पर भरोसा हमें स्वतंत्र बनाता है, संत पापा

ईश वचन में विश्वास करते हुए मूर्तिपूजा, अभिमान और अत्यधिक आत्मविश्वास को दूर किया जा सकता है। संत मार्था प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा के दौरान अपने प्रवचन में संत पापा ने इस बात पर गौर किया कि "अच्छा ख्रीस्तीय" होने का मतलब है कि प्रभु द्वारा न्याय, करुणा, क्षमा, दया के बारे में कही गई बातों को सुनना।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार,20 जनवरी 2020 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 20 जनवरी को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में सबेरे पवित्र मिस्सा बलिदान के दौरान विश्वासियों को ईश वचन के प्रति विनम्र रहने हेतु कहा, जो "हमेशा नया रहता है।"

संत पापा ने अपने प्रवचन में प्रथम पाठ सामुएल के पहले ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया। संत पापा ने साऊल को राजा के रूप में ईश्वर की अस्वीकृति पर ध्यान केंद्रित किया, जो सामुएल को मिली एक "भविष्यवाणी" थी।

भ्रष्टाचार के कदम

संत पापा ने कहा, "साऊल का पाप", ईश वचन के प्रति "विनम्रता की कमी" थी। उसकी धारणा थी कि उसके द्वारा दी गई ईश्वर की आज्ञा की "व्याख्या" "अधिक सही" थी। संत पापा ने कहा कि ईश्वर की आज्ञा थी कि वे पराजित हुए लोगों से कुछ भी न लें, परंतु उन्होंने ईश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया।

विनम्रता की कमी

संत पापा ने कहा कि अमालेकियों को भगाने" के बाद, लोग छोटे-बड़े जानवरों को अपने साथ ले जाने के लिए, ईश्वर को बलिदान चढ़ाने की कसम खाई गई थी। लेकिन सामूएल ने बताया कि ईश्वर को भेंट और बलिदान की अपेक्षा “आज्ञाकारिता” अधिक पसंद है और ईश्वर के लिए तपस्या, बलिदान और उपवास की तुलना में विनम्र हृदय और आज्ञाकारिता ​अधिक महत्वपूर्ण है। संत पापा ने कहा,“विनम्रता की कमी का पाप वह है, जो मैं सोचता हूँ वही सही है और मैं ईश्वर के आदेश को समझना नहीं चाहता हूँ।”  उन्होंने कहा, “जब आप "प्रभु की इच्छा" के खिलाफ बगावत करते हैं, तो आप विनम्र नहीं हैं, "यह भाग्य-बताने के पाप की तरह है।" यह वैसा ही है, जैसा कि आप कहते हैं कि आप ईश्वर में विश्वास करते हैं, पर आप भाग्य बताने वाले एक ज्योतिषी के पास अपनी हथेली को दिखाने जाते हैं।”  

बलिदान नहीं, परंतु दया

इसके बाद, संत पापा ने संत मारकुस के सुसमाचार पर अपना ध्यान केंद्रित किया जहाँ शिष्यों की आलोचना की गई थी "क्योंकि वे उपवास नहीं करते थे।" येसु एक उपमा का उपयोग करते हैं: कोई भी पुराने कपड़े पर नया कपड़ा नहीं सिलता है, क्योंकि यह कपड़े को और बदतर बना देगा। कोई भी पुराने मटके में नया दाखरस नहीं डालता है, क्योंकि यह मटका को तोड़ देगा। दाखरस और मटका दोनों ही बर्बाद हो जाएंगे। प्रभु ने कहा, "नया दाखरस, नये मटके में डाला जाता है।"

संत पापा ने कहा कि ईश वचन हमेशा नया रहता है हर बात में हर समय यह हमें सही मार्ग दिखाता है। यह मूर्तिपूजा पर काबू पा लेता है, यह अभिमान को खत्म कर देता है और यह स्वयं के बारे में सुनिश्चित होने के इस रवैये पर काबू पा लेता है। संत पापा ने कहा कि येसु की एक बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है, जो पुराने नियम से लिया गया है: "मैं दया चाहता हूँ बलिदान नहीं।"

ईश्वर में विश्वास

संत पापा ने कहा कि एक "अच्छे ख्रीस्तीय" होने का अर्थ है प्रभु के वचन के प्रति "विनम्र" होना और ध्यान से सुनना कि प्रभु न्याय, दान, क्षमा और करुणा के बारे में क्या कहते हैं । उन्होंने कहा, यह सच है, कि प्रभु का वचन कभी-कभी "हमें परेशानी में डाल देता है," लेकिन "शैतान भी हमें भ्रमित करता है। एक ख्रीस्तीय के रुप में ईश्वर पर भरोसा हमें हर प्रकार के बंधनों से मुक्त करता है।

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20 January 2020, 16:24
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