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संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

ईर्ष्या युद्ध का कारण बनती है, संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने संत मार्था के प्रार्थनालय में शुक्रवार को मिस्सा प्रवचन के दौरान, ईर्ष्या रूपी कीड़े से बचे रहने हेतु आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 जनवरी 2020 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने संत मार्था के निवास अपने प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान “ईर्ष्या के कीड़े” से बचे रहने का आहृवान किया।

उन्होंने कहा कि हमें “घृणा और ईर्ष्या के कीड़े” से सावधान रहने की जरूरत है जो हममें “दूसरों के प्रति नसमझी”, परिवार, पड़ोस और कार्यस्थल में दूसरे से प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करते हुए हमारे लिए युद्ध का  कारण बनती है। यह हममें दूसरों के प्रति “शिकायत” की भावना उत्पन्न करती, जो दूसरों का विनाश करती है, लेकिन यदि हम गौर करें तो यह हमेशा के लिए नहीं रहती वरन यह “साबुन के बुलबुले” की तरह खत्म हो जाती है। ईश्वर हमें दूसरों को समझने की शक्ति प्रदान करते हैं जैसा कि उन्होंने साऊल के साथ किया जो दाऊद को मार डालने की सोच का परित्याग करता है।

ईर्ष्या सदैव दूसरों को मार डालती है

संत पापा ने सप्ताहिक दैनिक पाठों के आधार पर राजा साऊल के ईर्ष्या पर चिंतन किया जो सामुएल के ग्रंथ में राजा दाऊद के विजय होने पर युवा नारियों के द्वारा प्रंशसा के विजय गीत के कारण उत्पन्न होता है। “राजा साऊल ने हजारों को मारा जबकि राजा दाऊद ने दस हजारों को”। यह राजा साऊल के लिए ईर्ष्या का कारण बनती जो हमारे लिए “कष्ट रूपी कीड़ा” है। राजा साऊल दाऊद को मारने निकलता है। संत पापा ने कहा, “ईर्ष्या रुपी शत्रु सदैव मार डालने को उतावला होती है”। उन्होंने कहा, “हम से बहुत कोई यह कह सकते हैं कि मैं ईर्ष्या करता हूँ लेकिन मैं हत्यारा नहीं हूँ। लेकिन यदि यह हम पर बना रहता, तो हम अपने मुख से दूसरों की हत्या कर सकते हैं, जो शिकायत के रुप में होती है”।

ईर्ष्यालु अपने में बुदबुदाता है

संत पापा ने कहा कि हमारी ईर्ष्यालुता अपने आप में वार्ता करने से बढ़ती है। इस भांति हम सच्चाई को देखने में असमर्थ होते हैं। एक गहरी सच्चाई ही हमारी आंखों को खोल सकती है। साऊल अपनी ईर्ष्यालुता के कारण दाऊद को एक शत्रु स्वरुप देखता और उसे मार डालना चाहता है।

उन्होंने कहा, “अपनी ईर्ष्या में हम भी ऐसा ही करते हैं।” हम अपने में सोचते हैं क्यों वह व्यक्ति मुझे सहन नहीं कर सकता हैॽ वह क्यों मुझे देखना पसंद नहीं करताॽ इस तरह हम क्यों को खोजने लगते हैं जो हममें एक कल्पना उत्पन्न करता है। यह हममें शिकायत का रुप धारण कर लेता है।

“ईर्ष्या और घृणा साबुन के बुलबुले की तरह होते हैं जो हम में अधिक समय तक नहीं रहते क्योंकि जब हमारी मुलाकात सत्य से होती तो वह ईश्वरीय कृपा में बदल जाती है जैसा कि साऊल के साथ हुआ”।

ईर्ष्या बुलबुले के समान है

साऊल की मुक्ति ईश्वर के प्रेम में निहित है जो उसे कहते हैं कि यदि वह ईश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करता तो उसका राजाधिकार उससे छीन लिया जायेगा, लेकिन ईश्वर उसे प्रेम करते हैं। “ईश्वरीय प्रेम के कारण ईर्ष्या उसमें बुलबले की तरह क्षंणिक होता है।” धर्मग्रंथ की चर्चा करते हुए संत पापा ने कहा कि साऊल उस गुफा में प्रवेश करता है जहाँ दाऊद और उसके साथी छुपे हुए थे जिससे वह मौके का लाभ उठा सके। दाऊद के साथियों ने मौके का फायदा उठाते हुए दाऊद से आग्रह कि वह राजा को मार डाले लेकिन वह इसे अस्वीकार करता है। “मैं ईश्वर के अभिषिक्त पर कभी हाथ नहीं उठाऊंगा।”  यहाँ हम दाऊद के नेक मनोभावों को देखते हैं जो ईर्ष्यालु राजा साऊल से एकदम भिन्न हैं। अतः वह चुपके से केवल राजा के कपड़ों का एक अंश काट कर अपने साथ रख लेता है।

दाऊद और साऊल के बीच वार्ता

इसके बाद, संत पापा ने कहा कि दाऊद गुफा से निकलकर राजा साऊल को आदर से पुकारता है, “ओ राजा, देखिए आपके वस्त्र का टुकड़ा मेरे हाथों में है, मैं आपको मार डाल सकता था किन्तु मैंने ऐसा नहीं किया।” दाऊद के इन बातों को सुन कर साऊल का ईर्ष्या बुलबुले की तरह फूट पड़ता है। वह उसे पुत्र की तरह पाता और उसकी मुलाकात सच्चाई से होती है। वह कहता है, “तुम मुझे से अधिक धार्मिक हो क्योंकि मैंने तुम्हारी बुराई की लेकिन तुमने मेरे साथ भलाई की है”।

ईर्ष्या से अपने हृदय को बचाये रखें

ईर्ष्या हमारे लिए कृपा बनती है जो हमें इस बात हेतु निमंत्रण देती कि हम अपने अंदर झांक कर देखें, खास कर जब हम किसी से ऩाराज हो जाते, किसी व्यक्ति को प्रेम नहीं करते हैं। हम अपने आप से पूछें, मेरे अंदर क्या हैॽ क्या मेरे अंदर ईर्ष्या का कीड़ा है जो बढ़ रहा है, क्योंकि उसके पास वह चीज है जो मेरे पास नहीं है या मेरे अंदर क्रोध छिपा हैॽ” संत पापा ने कहा कि हम अपने हृदय को इस कीड़े से, बीमारी से बचाये, जो बहुत अधिक हमारी हानि करता है। यदि कोई हमारे पास किसी के बारे में कुछ कहने आता तो हम उसे समझायें कि वह सच्चाई से बातें नहीं कर रहा बल्कि क्रोध में चीजों को कहा रहता होता है, जिसमें घृणा और ईर्ष्या की बुराई है।

हमें सर्तक रहने की जरुरत है क्योंकि यह कीड़ा हम सभों के हृदय में प्रवेश करता है। यह हममें दूसरों के प्रति नसमझी उत्पन्न करता क्योंकि हम अपने बीच में प्रतिस्पर्धा को पाते हैं- उसके पास जो है वह मेरे पास नहीं है। इस तरह एक प्रतियोगिता की शुरूआत होती है। यह लोगों को हम दूर कर देती, हम युद्ध की परिस्थिति में आ जाते, हम परिवार, पड़ोस में लड़ाई शुरू कर देते हैं। घृणा और ईर्ष्या युद्ध के बीज हैं।

पारदर्शी और मित्रतापूर्ण हृदय की कृपा

अपने प्रवचन के अंत में संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम दाऊद के समान पारदर्शी हृदय की कृपा मांगें। पारदर्शी हृदय न्याय और शांति की खोज करता है। मित्रवान हृदय दूसरों को मार डालने की नहीं सोचता जबकि घृणा और ईर्ष्या हमें मार डालते हैं।

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24 January 2020, 15:32
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