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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

दुनियादारी की भावना को न कहें, यह भ्रष्टाचार की ओर जाती है, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 7 जनवरी को वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में साल 2020 का पहला ख्रीस्तयाग अर्पित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पवित्र आत्मा याद दिलाता है कि ईश्वर हमारे साथ हैं जिनकी मदद से हम विश्वास को दुनियादारी की भावना के साथ नहीं मिलाते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 7 जनवरी 2020 (रेई)˸ संत पापा ने प्रवचन में कहा, "ख्रीस्तीय जीवन ईश्वर में बने रहना है, पवित्र आत्मा से प्रेरित होना है न कि दुनिया की आत्मा से, जो भ्रष्टाचार की ओर ले जाता और अच्छाई एवं बुराई में फर्क नहीं करता है।"

संत पापा ने प्रवचन में संत योहन के पहले पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ योहन विश्वासियों को सलाह देते हैं कि वे ईश्वर से जुड़े रहें।

अनेक ख्रीस्तियों के लिए पवित्र आत्मा एक कपोल मात्र  

संत पापा ने कहा, "व्यक्ति सबसे पापमय शहर में रह सकता है नास्तिक समाज में जी सकता है किन्तु यदि उसका हृदय ईश्वर से जुड़ा हो तो वह व्यक्ति मुक्ति लाता है।" उन्होंने कहा कि कितने ख्रीस्तीय ऐसे हैं जो पवित्र आत्मा को केवल एक कपोत के रूप में देखते हैं जबकि उनकी उपस्थिति को अपने बीच महसूस ही नहीं कर सकते हैं जो हमें प्रभु में बने रहने के लिए बल प्रदान करता है।

दुनियादारी की भावनाएँ अचेत बना देती हैं

संत पापा ने दुनियादारी की भावना पर भी प्रकाश डाला जो पवित्र आत्मा से भिन्न है। येसु ने अंतिम व्यारी के समय पिता से, शिष्यों को संसार से अलग करने के लिए प्रार्थना नहीं की, क्योंकि ख्रीस्तीय जीवन संसार में ही जिया जाता है। येसु ने संसार की भावना से बचने हेतु शिष्यों के लिए प्रार्थना की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह (सांसारिक भावना) पाप से भी बदत्तर है जो व्यक्ति को अचेत बना देता और ऐसी स्थिति में डाल देता है जिसमें वह अच्छाई-बुराई की परख भी नहीं कर सकता।  

पवित्र आत्मा, ईश्वर में बने रहने के लिए बल प्रदान करता

ईश्वर में बने रहने के लिए हमें पवित्र आत्मा की याचना करनी चाहिए जो इसके लिए बल प्रदान करता है। इसके द्वारा हम जानते हैं कि हम ईश्वर से जुड़े हैं। संत पापा ने प्रश्न किया कि हम किस तरह पवित्र आत्मा एवं दुनिया की आत्मा की पहचान कर सकते हैं? संत पौलुस हमें सलाह देता हैं कि हम पवित्र आत्मा को निराश न करें। जब हम दुनिया की आत्मा की ओर बढ़ते हैं तब हम पवित्र आत्मा को निराश करते हैं और उनका तिरस्कार करते हैं, उन्हें छोड़ देते और हमारा जीवन दूसरी राह पर चलने लगता है।  

ख्रीस्तीय जो अपव्यय कर नया साल मनाते हैं

संत पापा ने कहा कि दुनिया की आत्मा भूलने की आत्मा है क्योंकि पाप हमें ईश्वर से दूर नहीं करता जब हम अपनी गलतियों को स्वीकार कर उसके लिए क्षमा मांगते हैं, किन्तु दुनिया की आत्मा पाप क्या है उसे भूलने देता एवं ऐसा महसूस कराता है कि सब कुछ संभव है। संत पापा ने बतलाया कि एक पुरोहित ने उन्हें एक फिल्म दिखलाया जिसमें ख्रीस्तीय किस तरह एक पर्यटक स्थल पर नया साल मना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वे अत्याधिक सांसारिकता के साथ नया साल मना रहे थे और उसमें रूपये तथा कई चीजें खर्च किये जा रहे थे। संत पापा ने कहा, "क्या यह पाप है? नहीं प्यारे, यह भ्रष्टाचार है, पाप से भी बुरा।" पवित्र आत्मा हमें ईश्वर के पास ले चलता है और यदि पाप की जोखिम में पड़ते हैं तो पवित्र आत्मा हमारी रक्षा करता है, वह उठने में मदद देता है। दूसरी ओर दुनिया की आत्मा भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है उस स्तर तक, जहाँ हम भलाई और बुराई के बीच फर्क नहीं कर सकते और हमारे लिए सब कुछ एक समान लगता है।    

आत्माओं की परख करें कि क्या वे ईश्वर से आते हैं

संत पापा ने कहा कि दुनिया की आत्मा अचेतन बना देती है जिसके कारण पाप दिखाई नहीं पड़ता। हम दुनियादारी के रास्ते पर अथवा ईश्वर की आत्मा के रास्ते पर चल रहे है इसकी परख किस तरह कर सकते हैं?  

संत योहन सलाह देते है कि हम हर आत्मा पर विश्वास न करें बल्कि उनकी परख करें जाँच कर देखें कि क्या यह आत्मा सचमुच ईश्वर की ओर से आता है। संत पापा ने कहा कि जब कभी हम कुछ करना चाहते हैं तो अपने आप से पूछे कि क्या यह विचार ईश्वर की आत्मा की ओर से आ रहा है?

कई ख्रीस्तीय नहीं जानते कि उनके हृदय में क्या चल रहा है

संत पापा ने खेद प्रकट किया कि कई ख्रीस्तीय यह बिना जाने जीते हैं कि उनके हृदय में क्या हो रहा है। यही कारण है कि संत पौलुस एवं संत योहन कहते हैं कि "हम अपने विश्वास को, आत्माओं के लिए किराये पर न दें।" आत्माओं की परख कर लें ताकि हम जान पायेंगे कि हमारे हृदय में क्या हो रहा है।

संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि वे प्रभु के साथ बने रहने की कृपा के लिए प्रार्थना करें और पवित्र आत्मा को प्राप्त करने के लिए निवेदन करें ताकि प्रभु में बने रह सकें, उन्हें अपने अंदर उठने वाली भावना की परख करने की शक्ति मिले। हमारे हृदय एक रास्ता न बने बल्कि यह ईश्वर और मेरे बीच मिलन स्थल बनें।

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07 January 2020, 17:22
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