ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

युद्ध की आग सुलग रही है, सच्ची शांति हृदय में बोयी जाती है, पोप

बृहस्पतिवार को वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने शांति के रास्ते पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी चीजों के माध्यम से प्रेम करते हुए हमें प्रभु से संयुक्त होना है। विश्व में शांति की शुरूआत हृदय में शांति से होती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी 

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 जनवरी 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस के अनुसार हम "ख्रीस्तीय नहीं हो सकते" यदि हम अपने परिवार में, पड़ोस में और कार्यस्थल में "युद्ध बोते हैं"। उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु हमें पवित्र आत्मा प्रदान करे ताकि हम उनके साथ संयुक्त रह सकें। वे हमें प्रेम करना सिखलायें।

प्रवचन में संत पापा ने संत योहन के दूसरे पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया, जिसमें संत योहन ख्रीस्तीयों को प्रभु के साथ संयुक्त रहकर, प्रेम से शांति की राह पर चलने का आग्रह करते हैं।

शांति की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम तुरन्त युद्ध की बात सोचते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी युद्ध की अग्नि सुलग रही है और हमारा मन शांति की खोज कर रहा है। हम प्रभु से दुनिया एवं हरेक व्यक्ति की शांति के लिए प्रार्थना करें।

प्रभु में बने रहना

संत पापा ने सभी को आत्मजाँच करने की सलाह दी कि क्या हमारे घर में और हमारे हृदय में शांति है अथवा क्या हम युद्ध के लिए उत्सुक हैं कि हम कुछ अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। संत पापा के अनुसार लोगों और देशों में शांति लाने के लिए सबसे पहले हृदय में शांति बोया जाता है। उन्होंने ख्रीस्तियों को याद दिलाया कि जब तक हमारे हृदयों में शांति नहीं है तब तक हम विश्व शांति की कल्पना नहीं कर सकते।  

संत पापा ने कहा है कि प्रभु हमें शांति प्रदान करते हैं, वे हमारे लिए पवित्र आत्मा भेजते है कि वह हमारे बीच शांति स्थापित करे। अतः यदि हम प्रभु के साथ संयुक्त रहेंगे तो हमारे हृदय में शांति होगी। यदि हम पापा या गलती में पड़ जायेंगे, तब पवित्र आत्मा हमें उस गलती से बचने के लिए सचेत करेगा।

संत पापा ने कहा कि प्रभु के साथ संयुक्त रहने के लिए संत योहन हमें एक-दूसरे को प्यार करने की सलाह देते हैं। यही शांति का रहस्य है।

युद्ध शैतान का प्रलोभन है

संत पापा के अनुसार सच्चा प्रेम कोई धारावाहिक अथवा टेलीविजन शो नहीं है किन्तु दूसरों के बारे अच्छी बातें करना। यदि कोई व्यक्ति दूसरों के बारे अच्छी बातें नहीं बोल सकता, तो यह बेहतर होगा कि वह अपना मूँह बंद रखे क्योंकि दूसरों की निंदा करना, युद्ध के लिए उनका खाल खींचना है।  

संत पापा ने कहा कि प्रेम छोटी-छोटी चीजों को करने में प्रकट होता है। यदि मेरे हृदय में युद्ध है तब परिवार में, पड़ोस में और कार्यस्थल में भी युद्ध होगा। ईर्ष्या, डाह, निंदा हमें एक-दूसरे के साथ युद्ध करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे मैल के समान हैं और हमारा विनाश करते हैं।

संत पापा ने ख्रीस्तियों से आग्रह किया कि हम अपने आपसे पूछें कि हम कितनी बार शांति के मनोभाव से बात करते हैं और कितनी बार युद्ध के मनोभाव से।

संत पापा गौर करते हैं कि हम अक्सर परिवार में, पड़ोस में और कार्यस्थल पर जिस तरह व्यवहार करते हैं उसमें युद्ध का मनोभाव होता है। यह नष्ट और प्रदूषित करता है जिसे हम प्रेम नहीं कर सकते और न ही यह शांति है जिसकी कामना हम करते हैं। इसमें पवित्र आत्मा उपस्थित नहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे लोकधर्मी हों, पुरोहित, धर्मसमाजी, धर्माध्यक्ष, पोप अथवा कोई भी हों हम सभी के साथ ऐसा हो सकता है। हम तुरन्त दूसरे व्यक्ति की निंदा करने लग जाते हैं। युद्ध करना शैतान का प्रलोभन है।   

शांति – पवित्र आत्मा का वरदान

जब शैतान हमें युद्ध कराने में सफल हो जाता है और युद्ध की आग लगा देता है तब वह खुश हो जाता है, उसके पास कोई काम नहीं रह जाता। हम एक-दूसरे को नष्ट करने के लिए काम करने लगते हैं। हम युद्ध और विनाश को जारी रखते हैं तथा सबसे पहले अपने आपको नष्ट करते हैं क्योंकि हम प्रेम को और दूसरों को भी बाहर फेंक देते हैं।

संत पापा ने गौर किया कि दूसरों को गंदा करने की आदत कितने लोगों को है। यह एक बीज है जिसको शैतान हमारे अंदर बोता है। अंत में संत पापा ने शांति के लिए प्रार्थना की जो पवित्र आत्मा का वरदान है जिसको हम प्रभु से संयुक्त रहकर प्राप्त करते हैं। 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 January 2020, 17:37
सभी को पढ़ें >