संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

कलीसिया द्वारा छोटे लोगों की सराहना

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि सिर्फ विनीत हृदय में ही ईश्वर का आत्मा विराजमान हो सकता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्रकाशना हमेशा दीनता में होती है जिसका अर्थ ये नहीं है कि व्यक्ति को अपने आप में बंद हो जाना है बल्कि ईश्वर पर भरोसा रखना और जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने 3 दिसम्बर के प्रवचन में नबी इसायस के ग्रंथ से लिये गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान आकृष्ट किया गया है। नबी इसायस कहते हैं, "यिशय के धड़ से एक टहनी निकलेगी, उसकी जड़ से एक अंकुर फूटेगा। प्रभु का आत्मा उस पर छाया रहेगा, प्रज्ञा तथा बुद्धि का आत्मा, सुमति तथा धैर्य का आत्मा, ज्ञान तथा ईश्वर पर श्रद्धा का आत्मा।" (इसा. 11.1-2) 

संत पापा ने कहा कि ईश वचन दीन-हीन लोगों की प्रशंसा करता एवं एक टहनी की प्रतिज्ञा करता है। उस टहनी की प्रतिज्ञा जो प्रस्फूटित होगा। एक टहनी से छोटा और क्या हो सकता है? फिर भी ईश्वर का आत्मा उसपर विराजमान होगा।  

दुनिया में ईश्वर की उपस्थिति, मुक्ति और प्रकाशना की शुरूआत इस तरह हुई और हमेशा होता है। ईश्वर छोटेपन में प्रकट होते हैं, विनम्रता एवं दीनता में। बड़ा व्यक्ति शक्तिशाली प्रतीत होता है जैसा कि हम निर्जन प्रदेश में येसु की परीक्षा की याद करें जिसमें शैतान अपने आपको समस्त विश्व के शक्तिशाली मालिक रूप में प्रस्तुत करता है। "मैं आप को ये सब कुछ दे सकता हूँ यदि आप..."जबकि ईश्वर की चीजें छोटी बीज से अंकुरित होती हैं। येसु इस छोटेपन की बात सुसमाचार में करते हैं।   

अपने आपको छोटा बनायें

येसु आनन्द से भर कर पिता को धन्यवाद देते हैं क्योंकि उन्होंने अपने आपको शक्तिशाली लोगों को नहीं बल्कि छोटे लोगों को प्रकट किया। हम क्रिसमस के समय चरनी के पास जायेंगे जहाँ ईश्वर छोटे बन गये। अतः यह एक जोरदार बुलावा है।  

यदि एक ख्रीस्तीय समुदाय में जहाँ विश्वासी, पुरोहित और धर्माध्यक्ष छोटेपन के इस रास्ते को नहीं अपनाते हैं तो उसका भविष्य नहीं है। यह गिर जाएगा। हमने इसे इतिहास में देखा है। ख्रीस्तीय जो ताकत, महानता और उपलब्धियों के साथ खुद को थोपने की कोशिश करते हैं याद रखें कि ईश्वर का राज्य छोटेपन में, छोटी बीज में जीवन के बीज में प्रकट होता है। बीज अपने आप में कुछ नहीं कर सकता किन्तु उसकी मदद से कर सकता है जो उसे शक्ति प्रदान करता है। वह शक्ति प्रदान करने वाला है पवित्र आत्मा।  

शानदार हृदय में पवित्र आत्मा प्रवेश नहीं करता

पवित्र आत्मा हमेशा छोटों को चुनता है क्योंकि वह महान, अभिमानी और आत्मनिर्भर  लोगों में प्रवेश नहीं करता। प्रभु छोटे लोगों में प्रकट होते हैं। अतः संत पापा ने कहा कि वह व्यक्ति ईशशास्त्री नहीं है जो ईशशास्त्र की बहुत सारी बातों का ज्ञान रखता है उन्होंने उसे ईशशास्त्र का "एनसाईक्लोपीडिया" कहा।  उन्होंने कहा कि वे बहुत सारी चीजों का ज्ञान रखते हैं किन्तु ईशशास्त्री नहीं हो सकते क्योंकि ईशशास्त्र घुटनों पर की जाती है जो हमें छोटा बनाता है।

अतः उन्होंने जोर दिया कि एक सच्चा चरवाहा जो एक पुरोहित, धर्माध्यक्ष, पोप, कार्डिनल अथवा कोई भी हो यदि वह एक बालक नहीं बन जाता, तब तक वह एक चरवाहा नहीं हो सकता। वह एक कार्यालय का प्रबंधक मात्र हो सकता है। यह सभी लोगों पर लागू होता है। अतः "वह कार्य जो कलीसिया में सबसे महत्वपूर्ण लगता है, उससे गरीब बूढ़ी महिला का गुप्त दान बढ़कर है"।    

ख्रीस्तीय छोटापन बुजदिली नहीं

संत पापा ने स्पष्ट किया कि छोटापन भीरूता नहीं है जिसके कारण व्यक्ति अपने आप में बंद हो जाए, इसके विपरीत यह महान है, जोखिम उठाने का साहस करता है क्योंकि उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता। संत थोमस कहते हैं कि महान चीजों के लिए नहीं डरें। संत फ्राँसिस जेवियर इसे प्रमाणित करते हैं। संत पापा ने कहा, "क्या मैं अपनी प्रार्थना में दीनता महसूस करता, अपनी कमजोरियों एवं पापों को स्वीकार कर सकता हूँ?  

बच्चों का साहस

उन्होंने बतलाया कि वे पापस्वीकार सुनना बहुत पसंद करते हैं, विशेषकर, बच्चों का। उनका पापस्वीकार बहुत सुन्दर होता है क्योंकि वे ठोस रूप में बातों को रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक उदाहरण हो सकता है कि हमें किस तरह ईश्वर के पास जाना है। हम प्रभु से कहें कि प्रभु मैं पापी हूँ मैंने पाप किया है, यही हमारी दीनता है। संत पापा ने प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, हे ईश्वर मुझे पवित्र आत्मा की शक्ति प्रदान कर ताकि मेरे जीवन द्वारा बड़े कार्यों को करने से न डरूँ। 

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03 December 2019, 17:39
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