उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 5 नवम्बर 2019 (रेई)˸ मंगलवार को वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तायाग अर्पित करते हुए संत पापा ने कहा कि प्रभु हमें भोज के लिए निमंत्रण देते हैं जो उनके साथ मुलाकात करना है किन्तु हमारे इन्कार करने के कारण वे गरीबों और बीमार लोगों को निमंत्रण देते हैं ताकि वे भी भोज का आनन्द उठा सकें।
संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए आत्म-जाँच करने की सलाह दी, "मैं क्या पसंद करता हूँ? क्या मैं प्रभु के निमंत्रण को हमेशा स्वीकार करता हूँ अथवा अपनी ही चीजों में बंद रहता हूँ?
सुसमाचार पाठ में एक व्यक्ति भोज का आयोजन करता है तथा अतिथियों को भोज में निमंत्रण देता है किन्तु वे अपना-अपना कारण बता कर, उसका निमंत्रण अस्वीकार कर लेते हैं। तब वह नौकरों को आदेश देता है कि वे गरीबों एवं लंगड़ों को निमंत्रण दें जो उनके घर को भर देते तथा भोज का आनन्द लेते हैं। संत पापा ने उपदेश में मुक्ति इतिहास का साराँश बतलाते हुए अनेक ख्रीस्तियों के व्यवहारों पर प्रकाश डाला।
भोज आनन्दमय और मुफ्त है
संत पापा ने कहा, "भोज स्वर्ग का प्रतीक है प्रभु के साथ अनन्त जीवन का प्रतीक। भोज में हम नहीं जानते कि किनसे मुलाकात होगी, कुछ नये लोगों से मुलाकात होगी और उन लोगों से भी जिन्हें हम देखना पसंद नहीं करते किन्तु भोज में आनन्द और मुफ्त में ग्रहण करने का वातावरण होता है। क्योंकि एक सच्चा भोज मुफ्त है जिसके लिए हमें टिकट की जरूरत नहीं पड़ती। भोज में मेजबान ही निमंत्रित लोगों के खर्च का मूल्य चुकाता है। किन्तु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मुफ्त में भी ग्रहण करना नहीं चाहते और अपनी रूचि को प्राथमिकता देते हैं।
संत पापा ने कहा कि अस्वीकार करने का यह मनोभाव उनके हृदय को बंद कर देता है। वे कहते हैं, "मैं वहाँ जाना नहीं चाहता, मैं अकेला रहना चाहता हूँ, सिर्फ उन लोगों के साथ जो मेरे करीब हैं।" संत पापा ने कहा कि यह पाप है, इस्राएली लोगों का पाप और बंद रहने के कारण हम सभी का पाप। "नहीं, मेरे लिए ये चीज अधिक महत्वपूर्ण है", हमेशा "मेरा" को ध्यान देते हैं।
प्रभु से मुलाकात करने एवं अपनी चीजों के बीच चुनाव
संत पापा ने कहा, "अस्वीकृति प्रभु से यह कहने का प्रयास है, मुझे अपने भोज से परेशान न करें।" ऐसा कहने के द्वारा हम प्रभु के आनन्द को इन्कार करने का प्रयास करते हैं जो हमें उनकी मुलाकात से मिलती है।
जीवन की यात्रा में अक्सर हमें इसी तरह के चुनाव करने पड़ते हैं कि हम प्रभु के मुफ्त निमंत्रण को स्वीकार करें, उन्हें खोजने और उनसे मुलाकात करने जाएँ अथवा अपनी चीजों और रूचियों में बंद रहें। यही कारण है कि प्रभु कहते हैं, धनी के लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना बहुत कठिन है क्योंकि वे अपने धन में ही व्यस्त रहते हैं और उन्हें भोज का मूल्य समझ में नहीं आता, वे अपने धन में ही अपनी सुरक्षा समझते हैं किन्तु कुछ धनवान ऐसे भी होते हैं जो धन से आसक्त नहीं होते।
भले और बुरे प्रभु सभी का इंतजार करते हैं
हमारे इन्कार करने पर प्रभु, भले और बुरे हर प्रकार के लोगों को निमंत्रण देते हैं। अतः कोई नहीं कह सकता कि मैं बुरा हूँ। यदि हम बुरे हैं तो प्रभु खास रूप से हमारा इंतजार करते हैं और उसी तरह हमें अपना लेते हैं जिस तरह उड़ाव पुत्र के पिता ने बेटे के माफ मांगने से पहले ही उसे गले लगा लिया।
पहले पाठ में संत पौलुस ढोंगियों को फटकारते हैं जिन्होंने येसु को त्याग दिया था क्योंकि वे अपने आप को अधिक धर्मी मानते थे। येसु ने एक बार कहा था, मैं तुम से कहता हूँ नाकेदार और पापी स्वर्ग राज्य में तुम से पहले प्रवेश करेंगे।" संत पापा ने कहा कि प्रभु सभी को प्यार करते हैं और बुलाते हैं किन्तु हमारे द्वारा अस्वीकार किये जाने पर नराज होकर दूसरे लोगों की ओर बढ़ते हैं।
संत पापा ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि हम आज के इस दृष्टांत पर चिंतन करें। हम गौर करें कि हमारा जीवन कैसा है? मैं क्या पसंद करता हूँ? क्या मैं प्रभु के निमंत्रण को हमेशा स्वीकार करता हूँ अथवा अपनी ही चीजों में व्यस्त रहता हूँ? हम प्रभु से कृपा मांगें कि हम सदा उनके मुफ्त भोज में भाग ले सकें।