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संत  मार्था में मिस्सा के दौरान संत पापा संत मार्था में मिस्सा के दौरान संत पापा  (ANSA)

अच्छाई और बुराई में सदा संघर्ष है, संत पापा

संत मार्था में मिस्सा के दौरान, संत पापा फ्रांसिस ने मानवीय जीवन में व्याप्त संघर्ष की ओर ध्यान आकर्षित किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 अक्टूबर  2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने शुक्रवार को वाटिकन, संत मार्था के अपने प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में कहा कि हमारे अंदर सदैव अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष होता है जहाँ हम अपने निर्णय “ईश्वर या शैतान” की सुनते हुए लेते हैं। हम दिन के अंत में रूक कर अपने हृदय को झांक कर देखें।

संत पापा ने संत पौलुस द्वारा रोमियों के नाम लिखे गये पत्र पर चिंतन करते हुए कहा कि हम ईश्वर से “ज्योति” मांगें, जिससे हम “अच्छी तरह जान सकें” कि हमारे “अंदर” क्या हो रहा है।

हमारा संघर्ष

संत पापा ने कहा कि हम सभी अपने हृदय के अंतस्थल में एक युद्ध को पाते हैं। संत पौलुस कहते हैं कि मैं जिन बातों को नहीं करना चाहता उन्हें ही करता हूँ। वह अपने को शैतान के जाल में फंसा हुआ पाता है। लेकिन हम इस बात को याद रखें कि हम अपने आपमें संत हैं क्योंकि संतों को भी इस परिस्थिति से होकर गुजरता पड़ा है। यह हम सबों की दैनिक लड़ाई है।

उन्होंने कहा कि यह हमारे अंदर अच्छाई और बुराई की लड़ाई है। यह अमूर्त अच्छाई और बुराई नहीं बल्कि पवित्र आत्मा, जो हमें प्रेरित करते और शैतान जो हमें बुराई की ओर ले चलता है उनके बीच का युद्ध है। यह एक संघर्ष है जो हम सभी का है। संत पापा ने कहा कि यदि आप में से कोई अपने में यह कहे, “मैं अपने में ऐसा अनुभव नहीं करता, मैं धन्य हूँ, मैं शांति में जीवन व्यतीत करता हूँ। तो मैं कहूँगा कि आप धन्य नहीं हैं। आप अचेतना की स्थिति में हैं जो नहीं समझते कि आप के अंदर क्या हो रहा है।”

जीवन एक राह

यह रोज दिन चलता रहता है आज हम “विजयी” होते, कल “दूसरा” संघर्ष होता और आने वाला कल फिर दूसरा, यह अंत तक चलता रहता है। संत पापा ने संतों की याद दिलायी जिन्हें अपने जीवन के अंत तक अपने विश्वास को जीने हेतु संघर्ष किया। येसु ख्रीस्त की छोटी संत तेरेसा के लिए यह युद्ध “जीवन के अंतिम क्षणों में सबसे कठिन” था। उन्होंने अपनी मृत्युशया में इस बात को अनुभव किया कि शैतान उसे येसु ख्रीस्त से अलग करना चाहता है। उन्होंने कहा कि वह हमारे लिए जीवन के विशेष क्षणों में आता और हम हर दिन उसे अपने साधारण अवसर में भी अनुभव करते हैं। संत लूकस सुसमाचार में कहते हैं यदि “तुम आकाश देख कर मौसम के बारे जान सकते हो, तो अपने बारे कैसे नहीं जानतेॽ”

हम अपने जीवन में बहुत बार बहुत-सी अच्छी चीजों में व्यस्त रहते हैं लेकिन हमारे अंदर क्या होता हैॽ हम किन बातों से प्रेरित होते हैंॽ हम किन आध्यात्मिक बातों से प्रेरित होकर उन्हें करते हैंॽ कौन हमें उन चीजों को कराता हैॽ हमारा जीवन साधारणतः गली में चलने के समान है, हम जीवन के रास्ते में चलते हैं। राह चलते हम केवल उन चीजों को देखते हैं जो हमें अच्छी लगती हैं, हम दूसरी चीजों को नहीं देखते।

कृपा और पाप

संत पापा ने कहा कि यह कृपा और पाप के बीच का संघर्ष है। ईश्वर हमें बचाना चाहते औऱ परीक्षाओं से खींच निकालते हैं जबकि शैतान हमें परीक्षाओं में गिरा देता, हम पर विजयी होता है। उन्होंने आत्म-निरिक्षण हेतु निमंत्रण देते हुए कहा कि हम अपने को देखें कि क्या हम गली में चलने वाले व्यक्ति तो नहीं जो बिना सोचे राह चलते जाता है। हमारी सोच ईश्वर से आती या अपने “स्वार्थ” शैतान से आती हैं।

हमारे लिए आवश्यक यह है कि हम अपने को जाने कि हमें क्या हो रहा है। हमें अपनी अन्तरआत्मा से रुबरु होना जरुरी है न कि हम उसे यूं ही छोड दें। हम उसकी देख-रेख कैसे करते हैंॽ  संत पापा ने कहा कि दिन की समाप्ति के पहले हम दो या तीन मिनट समय निकालकर अपने में यह जांच करें कि हमारे अंदर क्या महत्वपूर्ण बातें हुईं। मेरे अच्छे कार्य की उत्पति कहाँ से हुईॽ हम अपने मानवीय स्वभाव के अनुसार उन बातों को जानते हैं कि मेरे पड़ोस में क्या हुआ, मेरे पड़ोसी को क्या हुआ, लेकिन हम यह नहीं जानते कि मेरे अंदर क्या हुआ।

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25 October 2019, 16:27
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