संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

साहस के साथ प्रार्थना करें, संत पापा

संत मार्था ने प्रार्थनालय में गुरूवार को इटली के राष्ट्रपति सेरजो मात्तेरेल्ला ने संत पापा फ्रांसिस के प्रातःकालीन ख्रीस्तीयाग में भाग लिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 04 अप्रैल 2019 (रेई) संत पापा फांसिस ने वाटिकन के संत मार्था अपने प्रार्थनालय में प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग में साहस के साथ ईश्वर से प्रार्थना करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि हम ईश्वर के पास कुनकुने स्वभाव के साथ नहीं वरन साहस के आते हुए प्रार्थना करें और अपना सब कुछ उन्हें सौंप दें। अपने इन वचनों पर बल देते हुए उन्होंने धर्मग्रंथ में चर्चित मूसा, अब्राहम, हन्ना समुएल की माता और कनानी स्त्री का उदाहरण प्रस्तुत किया। पुराने व्यवस्थान से लिए गये प्रथम पाठ, सोने के बछड़े के कारण याहवे के क्रोध और मूसा की विनय पूर्ण प्रार्थना पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि मूसा ईश्वर से विनय करते हैं जैसे कोई शिष्य अपने गुरू से निवेदन कर रहा हो। वह ईश्वर को विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं जहाँ हम उनकी नम्रता लेकिन दृढ़ता को पाते हैं। मूसा याहवे को उनके द्वारा किये गये प्रतिज्ञाओं की याद दिलाते हैं वह प्रतिज्ञा जिससे उन्होंने अब्राहम, इसाहक और इस्रराएल को थी कि वह उनकी संतानों को आकाश के तारों और समुद्र के बालुओं की तरह बनायेंगे।

संत पापा ने कहा कि धर्मग्रंथ में हम बहुत सारे ऐसे निवेदन प्रार्थनाओं को पाते हैं। एक दूसरा उदाहरण जहाँ याहवे सोदोम का विनाश करने की सोचते हैं। अब्राहम निवेदन करते हुए कहता है कि क्या 30 धर्मी लोगों, 20 या 10 धर्मी व्यक्तियों के पाये जाने पर वे सोदोम का विनाश करेंगे। इस भांति अब्राहम सोदोम में रहने वाले अपने भतीजे को बचा लेता है क्योंकि वह अपने ईश्वर का क्रोध शांत कर देता है।

धर्मग्रंथ में नारियों की प्रार्थनाएं

संत पापा ने बाईबल में अन्ना सम्मुएल की माता का उदाहरण प्रस्तुत किया। वह अपनी शांति में धीमी आवाज में प्रार्थना करती थी, केवल उसके होंठ हिलते थे। वह दिन-रात प्रार्थना करती रहती थी। वह प्रार्थना में इतना खोई रहती थी याजक सोचते कि वह मतवाली हो गई है। “वह संतान प्राप्ति हेतु विनय करती थी।” यहाँ हम एक नारी के दुःख को देखते हैं जो ईश्वर से निवेदन करती है। सुसमाचार में भी कनानी नारी को अपने बेटी की चंगाई हेतु इस तरह की प्रार्थना करते हुए पाते हैं जो दुष्ट आत्मा से प्रताड़ित की जाती थी। येसु उससे कहते हैं कि वे केवल इस्रराएल के लोगों के लिए भेजे गये हैं लेकिन वह अपने विनय प्रार्थना में भयभीत नहीं होती वरन कहती है, “कुत्ते भी अपने स्वामी की मेज से गिरे हुए टुकड़ों को खाते हैं।” इस विश्वास के कारण उसे वह प्राप्त होता है जिसकी वह चाह करती है।

प्रार्थना हेतु साहस की जरुरत

धर्मग्रंथ में बहुत सारे निवेदन प्रार्थना है, “हमें ऐसी प्रार्थनाओं के करने के लिए साहस की जरुरत है”, संत पापा ने कहा। प्रार्थना में हमें आमने सामने ईश्वर के वार्ता करने का साहस होना चाहिए। हम अपने विश्वास के कारण ही केवल ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि हमें जो चाहिए वह हमारे विश्वास के कारण जरूर मिलेगा।

संत पापा ने कहा कि ऐसी प्रार्थना हेतु हमें साहस की आवश्यकता है लेकिन हम बहुत बार अपने में कुनकुने रहते हैं। कोई हमें कहता है, “मैं प्रार्थना करता हूँ क्योंकि मुझे ये तकलीफ है...हाँ, हाँ, मैं दो बार “हे पिता हमारे” और दो बार “प्रणाम मरिया” की प्रार्थना करता हूँ। उन्होंने कहा कि तोते जैसी प्रार्थना करना हमारे लिए गलत है। सच्ची प्रार्थना ईश्वर के साथ रहना है और जब हमें निवेदन करना है तो उसे साहस के साथ करना है। कुछ लोगों अपने को व्यक्त करते हुए कहते हैं, “मैंने अपना सब कुछ अर्पित कर दिया” निवेदन प्रार्थना में यह भी सही है, “हम अपना सब कुछ ईश्वर को अर्पित कर दें।” हमें साहस के साथ आगे बढ़ने हेतु कृपा मांगना है। लेकिन हम संदेह करते हैं- “मैं यह कैसे जानूं की ईश्वर मेरी सुनते हैंॽ” येसु हमारे लिए इसकी गरंटी हैं वे हमारे लिए निवेदन करते हैं।

येसु हमारे लिए निवेदन करते हैं

संत पापा ने कहा येसु जो स्वर्ग में आरोहित कर लिए गये, जो पिता के दाहिनी ओर विराजमान हैं हमारे लिए अपने पिता से निवेदन करते हैं। उन्होंने पेत्रुस से अपने दुःखभोग के पहले यह प्रतिज्ञा की थी कि वह अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना करेंगे जिससे उनका विश्वास अडिग बना रहे।

येसु हमारे लिए प्रार्थना करते हैं और जब हम प्रार्थना करते तो वे हमारी प्रार्थनाओं को अपने पिता के पास ले चलते हैं। संत पापा ने कहा कि येसु अपने पिता से नहीं कहते वरन वे उन्हें अपनी घावों के दिखलाते हैं और उनके घावों को देखकर पिता हमें अपनी आशीष और कृपाओं से भर देते हैं। जब हम प्रार्थना करें तो हम इस बात पर विचार करें कि हम येसु के साथ मिलकर निवेदन कर रहे हैं। येसु हमारी साहस, हमारी सुरक्षा हैं जो हमारे लिए निवेदन करते हैं।

अपने प्रवचन के अंत में संत पापा ने पुनः साहस से साथ प्रार्थना करने पर बल दिया। ईश्वर हमें यह कृपा दें कि हम इस मार्ग में साहस के साथ आगे बढ़ सकें। “जब कोई हमें प्रार्थना करने हेतु निवेदन करें तो हम केवल दो बार केवल प्रार्थना न करें, वरन गंभीरता से येसु की उपस्थिति में, उनके साथ एक होकर पिता से निवेदन करें।”

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04 April 2019, 15:25
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