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संत मार्था में ख्रीस्तयाग, संत पापा संत मार्था में ख्रीस्तयाग, संत पापा 

कठोर हृदय ईश्वर के प्रति निष्ठा खो देता है

संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के संत मार्था में अपने प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान ईश्वर की करूणा पर प्रकाश डालते हुए उनकी वाणी को सुन कर, उनकी ओर लौट आने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 28 मार्च 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने प्रवचन में हृदय की कठोरता पर जोर देते हुए कहा कि ईश्वर के वचनों को नहीं सुनने के कारण हमारा हृदय “पानी बिना सूखी धरती के समान, बंजर” बन जाता है।

निष्ठा खोने की जोखिम

संत पापा ने कहा कि हम बहुत बार अपने में बहरे हो जाते हैं और ईश्वर की आवाज को नहीं सुनते हैं। वहीं हम दूसरों की बातों, पड़ोसियों के बकवाद को सुनते हैं। येसु हमसे निवेदन करते हैं कि हम अपना हृदय कठोर न बनायें लेकिन उनकी वाणी पर ध्यान दें।

पहले पाठ में नबी येरेमियस इस्रराएली जनता के बारे में कहते हैं जो यहावे, अपने ईश्वर के वचनों को नहीं सुनना चाहती है। संत पापा ने कहा कि नबी येरेमियस के ग्रंथ में ईश्वर अपने लोगों को अपनी प्रतिज्ञा के बारे में कहते हैं जिससे वे उनकी बातों को सुनें परन्तु उन्होंने अपनी कानों को बंद कर लिया है। उन्होंने अपने ईश्वर पर विश्वास करना ही छोड़ दिया है। उन्होंने अपनी निष्ठा को खो दी है वे अपने में अविश्वासी बन गये हैं।

कलीसिया का आहृवान

कलीसिया हम सबों से इसी बात को पूछती है, “क्या हमने ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा खो दिया हैॽ संत पापा ने कहा, “नहीं, नहीं, मैं तो हर रविवार को गिरजा जाता हूँ...हां, ठीक है लेकिन क्या हमारे हृदय में वह विश्वास  हैः मैं अपनी निष्ठा खो दी है या मेरा हृदय कठोर, ढ़ीठ, बहरा हो गया है जो मेरे अंदर ईश्वर को प्रवेश करने नहीं देता है। वह अपने में दो तीन बातों से संतुष्ट है और अपने में जो चाहता वही करता है। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम सभों के लिए चिंतन की विषयवस्तु यह है कि चालीसा काल में हम अपने हृदय की जाँच दुबारा करें।

कलीसिया आज हमें “प्रभु के वचनों को सुनने” और “अपना हृदय कठोर न बनाने” का निमंत्रण देती है। जब कोई अपना हृदय कठोर बना लेता तो वह ईश्वर की वाणी को नहीं सुनता है। वह उनसे दूर चला जाता और वे बातें जिसे ईश्वर उससे कहना चाहते, जिससे वह पसंद नहीं करता तो वह बहाना करते हुए ईश्वर को ही दरकिनार कर देता, उनकी टीका-टिप्पणी करता और उन्हें भला-बुरा कहता है।  

मेरे साथ नहीं वह मेरे खिलाफ है

संत पापा ने सुसमाचार के आधार पर अविश्वासी होने की बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि येसु ने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार दिखलायें। उन्होंने हृदय और आत्मा की भी चंगाई की। लेकिन कठोर हृदय वालों ने क्या कहाॽ “वह बेलजेबुल, शैतान के नयकों की सहायता से दुष्ट आत्माओं को निकालता है।” संत पापा ने कहा, “ईश्वर को बदनाम करना उसका परित्याग करने की ओर कदम बढ़ाना है।” पहले हम अपना हृदय कठोर बना लेते और उनकी बातों को नहीं सुनते और तब हम उन्हें भला-बुरा कहते हैं।  

येसु ऐसे लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं लेकिन यह व्यर्थ हो जाता है। नबी इसके बारे में कहते हैं उनका विश्वास खत्म हो गया है। संत पापा ने कहा कि येसु के ये वचन जो हमारी सहायता कर सकते हैं,“वह जो मेरे साथ नहीं है मेरे विरूद्ध है।” उन्होंने कहा, “नहीं, नहीं मैं येसु के साथ हूँ लेकिन कुछ दूरी बनाये हुए हूँ, मैं उनके निकट नहीं जाना चाहता हूँ। लेकिन हमारे जीवन में ऐसा नहीं होता है, चाहे तो हम येसु के साथ हैं या उनके विरूद्ध हैं। हम उनके प्रति या तो विश्वासी हैं या अविश्वासी। हम उनकी बातों को सुनते हैं या तो उनकी प्रति हमारी निष्ठा समाप्त हो गई है।”  

येसु हमारी राह देखते हैं

संत पापा ने कहा कि हममें से प्रत्येक जन को आज इसके विषय में थोड़ा विचार करना है,“येसु के प्रति मेरी निष्ठा कैसी हैॽ” क्या मैं अपने जीवन में कुछ बहाना करते हुए ईश्वर का परित्याग करता हूँॽ उन्होंने कहा कि आप अपनी आशा न खोयें। ये दो वचन वचन “निष्ठा समाप्त हो गई है” और “जो मेरे साथ नहीं है वह मेरे विरूद्ध है” हमें आशा में बने रहने को मदद करते हैं।

लेकिन अब भी समय है,“तुम अपने सारे हृदय से मेरे पास लौट आओ”, येसु कहते हैं “क्योंकि मैं दयालु और करूणावान हूँ, मैं तुम्हारे पापों को भूल जाऊँगा।” वे हमारी चिंता करते हुए कहते हैं कि तुम मेरे लिए मूल्यवान हो, तुम वापस लौट आओ। सारी चीजों को भूल जाओ। यह दया का समय है, यह ईश्वरीय कृपा को प्राप्त करने का अवसर है। संत पापा ने कहा कि हम अपना हृदय खोलें जिससे वे हमारे हृदयों में आ सकें।

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28 March 2019, 15:00
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