संत मार्था प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत मार्था प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

चालीसा सरल और सच्चा इन्सान बनने का एक अवसर है, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में विश्वासियों को दिखावे को त्यागने तथा सरल और सच्चे ख्रीस्तीय बनने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 09 मार्च 2019 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को अपने निवास संत मार्था में प्रातःकालीन मिस्सा का अनुष्ठान किया। नबी इसायस की पुस्तक से लिए गये पहले पाठ पर अपने प्रवचन को केंद्रित करते हुए सभी प्रकार के पाखंडों की निंदा की तथा उद्देश्य और औपचारिक वास्तविकता के बीच अंतर को समझाया। संत पापा ने कहा, “औपचारिक वास्तविकता, वस्तुनिष्ठ वास्तविकता की अभिव्यक्ति है, लेकिन इन दोनों को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए, अन्यथा हम "सत्य के बिना" "दिखावे का जीवन” जीते चले जाते हैं।”

खुशी के साथ उपवास 

संत पापा ने कहा कि जैसा कि हम चालीसा काल में विशेष रुप से उपवास, दान और प्रार्थना करते हैं तो इस समय हमें अपने जीवन की सरलता को फिर से हासिल करनी चाहिए। हम ख्रीस्तियों को खुशी के साथ उपवास करनी चाहिए। लोगों की वाहवाही के बिना ही हमें उदारता के साथ जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। आपकी उदारता को सिर्फ पिता ईश्वर जानने पायें।  

संत पापा ने कहा कि येसु के समय में, फरीसी और सदूकियों के व्यवहार में यह स्पष्ट था कि वे आम लोगों के समान नहीं परंतु अपने आप को बेहतर मानते थे। आज भी कुछ काथलिक महसूस करते हैं कि वे दूसरों की तुलना में बेहतर हैं क्योंकि वे हर रविवार को पवित्र मिस्सा में भाग लेते हैं और हो सकता है कि वे दिखावा के लिए सभी धर्मविधियों का निष्ठापूर्वक पालन करते हों।

संत पापा ने कहा कि जो लोग दिखावे की तलाश करते हैं वे खुद को पापियों के रूप में नहीं पहचानते हैं और यदि आप उनसे कहते हैं कि हम सभी पापी हैं, आप भी पापी हैं! तो वे किसी न किसी तरह से अपने आप को धर्मी दिखाने का प्रयास करते हैं। उनकी वास्तविकता और दिखावे में अंतर होता है इस तरह के लोगों के लिए प्रभु ने पाखंडी शब्द का प्रयोग किया है।

रोजमर्रा की जिंदगी में पाखंड

संत पापा ने कहा कि चालीसा का यह समय जो हमें प्रभु के पास्का की ओर ले जाता है, हमें अपने पाखंडपन के बारे विचार करने, उसे पहचानने और अपने जीवन को सुधारने का अवसर देता है।

उन्होंने कहा कि युवा लोग उन लोगों से प्रभावित नहीं होते हैं जो दिखावा करते हैं और उसके अनुसार व्यवहार नहीं करते हैं, खासकर धर्मगुरुओं या धर्मसंघियों द्वारा पाखंड का मुखौटा पहना जाता है। ईश्वर उनसे बोलने और करने में सामंजस्य की मांग करते हैं।

संत पापा ने कहा कि कई खीस्तीय यहां तक कि काथलिक जो अपने आप को पक्का काथलिक मानते हैं, लोगों का शोषण करते हैं! अक्सर, वे अपने श्रमिकों को गर्मियों की शुरुआत में घर भेजते हैं और उन्हें अंत में वापस ले आते हैं ताकि वे पेंशन के हकदार न बनें। इस तरह वे उनका शोषण करते हैं। इस तरह का व्यवहार एक नैतिक पाप है।

सादगी की सुंदरता

प्रवचन के अंत में संत पापा ने सभी विश्वासियों से अपने दिल में सादगी की सुंदरता को फिर से पाने हेतु प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया। प्रभु हमें विनम्रता के साथ आगे बढ़ने की शक्ति दें। अपने दिल में किसी तरह के दिखावा को न रखें जिससे कि प्रभु हमें पहचान न पायें। हम प्रभु से इस चालीसा काल में औपचारिकता और वास्तविकता के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कृपा मांगें।

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09 March 2019, 16:24
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