संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

युद्ध की कीमत चुकाते हैं कमजोर लोग

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर हमें हृदय से प्यार करते हैं। हमें उनसे दुनिया की विकट परिस्थितियों, अत्याचार और युद्ध में मारे जाने वाले लोगों के सामने आँसू बहाने की कृपा हेतु प्रार्थना करना है क्योंकि आज मिठाईयों के समान बम फेंके जा रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने प्रवचन में उत्पति ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ उनके बीच बुराईयों में भी बृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति उत्पति ग्रंथ में जिक्र परिस्थिति के समान ही है। जिसकी कीमत भूखे, अनाथ, कमजोर और गरीब बच्चों को चुकाना पड़ता है।  

संत पापा ने विश्वासियों से अपील की कि हमें पिता ईश्वर के समान हृदय धारण करना चाहिए, जो गुस्सा करते, दुःखी होते किन्तु सबसे बढ़कर भाइयों के साथ भाई एवं बच्चों के साथ पिता की तरह व्यवहार करते और उनमें एक मानव एवं ईश्वर का हृदय है।

ईश्वर महसूस करते हैं

पहले पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि दो चीजें हैं –मनुष्यों की दुष्टता से ईश्वर को दुःख होता है तथा उनकी सृष्टि करने के कारण वे पश्चताप करते एवं उन्हें पृथ्वी पर से मिटा देने तक की बात सोच लेते हैं। ईश्वर भी अनुभव करते हैं बल्कि इससे उन्हें कष्ट होता है और यही प्रभु का रहस्य है।  

ईश्वर का अनुभव जो प्रेम करते हैं और प्रेम एक संबंध है किन्तु वे क्रोध भी कर सकते हैं। येसु जब इस पृथ्वी पर आये तब उन्होंने हमें दुःख सहने का रास्ता दिखलाया। ईश्वर हमें हृदय से प्रेम करते हैं न कि विचारों से। वे हमसे प्रेम करते हैं किन्तु एक पिता की तरह वे हमें पीटते भी हैं और हम से ज्यादा दुःख का अनुभव करते हैं।

आज की स्थिति जल प्रलय के दिनों की स्थिति से बेहतर नहीं

संत पापा ने कहा कि यह हृदयों के बीच का रिश्ता है, पिता और पुत्र के बीच का रिश्ता जो एक-दूसरे के लिए खुले होते। अतः यदि पिता अपने हृदय में दुःख का अनुभव करेंगे तो हमें भी दुःख होगा, यह केवल भावना नहीं है बल्कि सच्चाई है।

संत पापा ने कहा कि हमारे समय की स्थिति भी जल प्रलय के दिनों की स्थिति से अलग नहीं है। अभी भी प्राकृतिक आपदाएँ, गरीबी, भूख, अत्याचार एवं शोषण आदि की समस्याएँ हैं। लोग युद्धों में मर रहे हैं क्योंकि बम इस तरह फेंके जाते हैं मानो कि मिठाई बांटा जा रहा हो।

उन्होंने कहा, यह न सोचें कि हमारा समय जल प्रलय के समय से बेहतर है। प्राकृतिक आपदाएँ करीब एक समान हैं, उनके शिकार भी लोग उसी तरह हो रहे हैं। हम उन कमजोर लोगों एवं बच्चों की याद करें, भूखे और अशिक्षित बच्चे, जिनके लिए अशांति ही अशांति है। कितने बच्चों के माता-पिता युद्ध में मारे गये, बाल सैनिक के रूप में उनका शोषण किया जाता है।

येसु के समान आँसू बहायें

संत पापा ने कहा हमें ईश्वर के हृदय के समान महसूस कर सकने के लिए कृपा मांगने की आवश्यकता है क्योंकि हम ईश्वर के प्रतिरूप में बनाये गये हैं जो दूसरों के दुःखों को देख कर दुःखी होता है।

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19 February 2019, 17:09
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