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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

ईश्वर के प्यार के विपरीत है उदासीनता,संत पापा

ईश्वर हमें बहुत प्यार करते हैं, वे हमसे मुलाकात करने की पहल करते हैं। हमारी उपेक्षा के बावजूद उसकी करुणा और अनुकंपा हमपर बनी रहती है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 9 जनवरी 2019 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 8 जनवरी को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा में महाधर्माध्यक्ष जोर्जियो जूर की आत्मा की अनंत शाति के लिए प्रार्थना की। उनकी मृत्यु सोमवार रात को हुई। वे संत पापा के साथ ही संत मार्था निवास में रहते थे।

महाधर्माध्यक्ष जोर्जियो जूर ने भारत और नेपाल के राजदूत के सचीव के रुप में और 1990 से 1998 तक प्रेरितिक उप राजदूत के रुप में अपनी सेवा दी। 2002 से 2005 तक उन्होंने ऑस्ट्रिया के प्रेरितिक राजदूत के रुप में अपनी सेवा दी।

संत पापा ने अपने प्रवचन में संत मारकुस के सुसमाचार से लिये गये दैनिक पाठ ( 6:34-44) रोटियों और मछलियों के चमत्कार और संत योहन के पहले पत्र से लिये गये(4:7-7) पहले पाठ पर चिंतन किया।

ईश्वर ने पहले हमें प्यार किया

संत पापा ने कहा कि प्रेरित योहन ने हमें समझाया है कि कैसे ईश्वर हमारे प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं। हम एक दूसरे से प्रेम करें क्योंकि यह प्रेम ईश्वर का है।

संत पापा ने इसे प्रेम का रहस्य कहा हैः ईश्वर ने हमें पहले प्रेम किया। उन्होंने पहला कदम लिया। उनका पहला कदम खुद उनके बेटे येसु हैं। ईश्वर ने अपने बेटे को हमारे पास हमें बचाने के लिए भेजा। हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाने और हमें नयाजीवन देने येसु इस दुनिया में आये।   

बड़ी भीड़ के लिए येसु की करुणा

रोटियों और मछलियों के चमत्कार के बारे में संत पापा ने कहा कि येसु को लोगों की भीड़ पर तरस आया। वे लोगों के प्रति उदासीन नहीं रह सकते थे। प्रेम बेकरार है। प्यार उदासीनता बर्दाश्त नहीं करता है। इसी प्रेम के कारण येसु ने हजारों लोगों को रोटियाँ और मछलियाँ खाने को दी।

तुम उन्हें खाने को दो

संत पापा ने कहा कि उनके चेले भीड़ को भेजने के लिए येसु को मजबूर कर रहे थे ताकि वे अपने लिए भोजन का इन्तजाम कर सकें। क्योंकि वह एकांत स्थान था और लोगों को भोजन की तलाश में दूर गावों में जाना पड़ेगा। चेले इस बात से निश्चित थे कि उनके पास खाने के लिए कुछ रोटियाँ और मच्छलियाँ है और वे उसे अपने लिए रखना चाहते थे। संत पापा ने कहा कि यही चेलों की उदासीनता थी। चेलों को भीड़ के खाने की परवाह नहीं थी, पर येसु को उनके खाने की परवाह थी क्योंकि येसु के हृदय में उनके लिए प्रेम था। इसी प्रेम ने येसु को उनकी जरुरतों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया, जबकि प्रेरित लोगों के प्रति उदासीन थे। उन्हें मालुम नहीं था कि प्रेम का मतलब क्या होता है। येसु ने इस प्रेम का अनुभव कराने के उद्देश्य से उनसे कहा, तुम ही उन्हें खाने को दो। यह येसु की दया और चेलों की उदासीनता के बीच का संघर्ष है, जो पूरे इतिहास में हमेशा दोहराया जाता है। बहुत से लोग जो अच्छे हैं, लेकिन दूसरों की जरूरतों को नहीं समझते हैं, करुणा के लिए अक्षम हैं। यह भी हो सकता है कि ईश्वर का प्यार उनके दिल में नहीं आया है या उन्होंने इसे दर्ज नहीं होने दिया हो।

रोम की गरीब महिला

संत पापा ने परमधर्मपीठ के चारिटी कार्यालय में टंगे एक तस्वीर की चर्चा की जिसमें कुछ लोग अच्छे वस्त्र पहने हुए हैं और होटल से निकल रहे हैं। दरवाजे के पास खड़ी एक गरीब बेचारी महिला हाथ फैलाए खड़ी है। लोग दूसरी ओर देख रहे हैं ताकि उस महिला से उनकी नजर न मिले। संत पापा ने कहा, यही है उदासीनता की संस्कृति। चेलों ने भी यही किया।

प्यार का विपरीत है उदासीनता

संत पापा ने कहा कि यह सही है कि प्यार का विपरीत है घृणा। लेकिन बहुत से लोग "एक अभिज्ञ घृणा" के बारे में नहीं जानते हैं। ईश्वर के प्रेम और दया का विपरीत है उदासीनता। मैं संतुष्ट हूँ, मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। मैं अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करता हूँ हर रविवार गिरजा जाता हूँ पर जरुरत मंदों के साथ नजरें मिला नहीं सकता। यही है उदासीनता।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने प्रभु से उदासीनता की संस्कृति से खुद को और समाज को चंगा करने हेतु कृपा मांगने के लिए प्रेरित किया।

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09 January 2019, 15:54
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