ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

यथार्थपूर्ण होना ख्रीस्तीयों की कसौटी

संत पापा ने कहा, "ईश्वर की आज्ञाएँ ठोस हैं अतः यथार्थ होना ख्रीस्तीय धर्म की कसौटी है।" यथार्थ होने के लिए संतों को दीवाने की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि वे हमें राह चलने तथा झूठे नबियों से बचकर, ठोस निर्णय लेने में मदद देते हैं जैसा कि प्रभु चाहते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 8 जनवरी 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में सोमवार 7 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया, जहाँ प्रवचन में उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मानव का ठोस रूप धारण किया तथा एक नारी से जन्म लिया। उन्होंने एक यथार्थ जीवन जीया तथा मृत्यु स्वीकार किया। वे हमें भी अपने भाई बहनों को ठोस रूप से प्यार करने का निमंत्रण देते हैं।

संत पापा ने कहा, "ईश्वर की आज्ञाएँ ठोस हैं अतः यथार्थ होना ख्रीस्तीय धर्म की कसौटी है।" यथार्थ होने के लिए संतों को दीवाने की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि वे हमें राह चलने तथा झूठे नबियों से बचकर, ठोस निर्णय लेने में मदद देते हैं जैसा कि प्रभु चाहते हैं।   

ईश्वर और पड़ोसी

संत पापा ने कहा कि हम ईश्वर से किस चीज की आशा करते हैं वह उनके साथ हमारे संबंध पर निर्भर करता है कि हम किस तरह उनकी आज्ञाओं का पालन करते और उनकी इच्छाओं पर चलते हैं।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमारे लिए आवश्यक है ईश्वर के पुत्र पर विश्वास करना जो हमारे समान मनुष्य बन गये, एक ठोस रूप धारण किया, मरियम के गर्व में रहे, जिनका जन्म बेतेहेम में हुआ, मिस्र देश पलायन किया, फिर नाजरेथ लौटे और एक बालक की तरह बढ़ते गये तथा लोगों को शिक्षा दी। संत पापा ने कहा कि येसु सच्चे मनुष्य और एक ईश्वर भी हैं।

दूसरी शर्त है एक-दूसरे को प्यार करना, केवल भावना से नहीं बल्कि ठोस कार्य द्वारा। मूँह से प्यार का इजहार करना तथा बाद में व्यक्ति की निंदा कर उसे हानि पहुँचाना सही नहीं है।  

संत पापा ने ठोस प्रेम पर जोर देते हुए कहा कि ईश्वर की आज्ञा ठोस है तथा ख्रीस्तीयों की कसौटी यथार्थ होने में है। वे केवल विचारों एवं मधुर शब्दों के व्यक्ति नहीं होते बल्कि ठोस होते हैं जो कि चुनौतीपूर्ण है और केवल इसी के द्वारा हम ईश्वर से साहस एवं निःसंकोच पूर्वक मांग सकते हैं।

जागना

उन्होंने कहा कि येसु पर सच्चे विश्वास एवं उदार कार्यों के अलावा ख्रीस्तीयों को जागते रहने की भी आवश्यकता है। संत योहन विचारों एवं झूठे नबियों के खिलाफ संघर्ष करने की सलाह देते हुए ख्रीस्त का मनोभाव अपनाने की सलाह देते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें आत्मजाँच करने की आवश्यकता है कि क्या यह प्रेरणा ईश्वर की ओर से आ रही है क्योंकि दुनिया में कई झूठे नबी हैं और शैतान हमें येसु तथा उनके सानिध्य से हमें दूर करना चाहता है।    

आत्मजाँच

संत पापा ने कहा कि दिन के अंत में हमें आत्मजाँच करते हुए अपने पापों को देखना चाहिए किन्तु एक ख्रीस्तीय को यह भी देखना चाहिए कि हृदय में क्या हो रहा है। आत्मा हमें प्रेरित करता है। इसी प्रेरणा ने 40 वर्षों पूर्व इटली के एक मिशनरी को ब्राजील में काम करने के लिए प्रेरित किया। संत फ्राँसिस काब्रीनी हमेशा विस्थापितों की मदद किया करते थे। संत पापा ने कहा कि ऐसा करने से नहीं डरना चाहिए बल्कि आत्मजाँच करना चाहिए।

आत्मजाँच के इस कार्य में यह बहुत बड़ा सहायक है कि हम आध्यात्मिक सलाहकारों से परामर्श लें। वे पुरोहित, धर्मसमाजी, लोकधर्मी अथवा अन्य लोग हो सकते हैं जो यह देख सकते हैं कि हृदय में क्या हो रहा है ताकि गलतियों से बचा जा सके।

संत पापा ने कहा कि अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत करने से पहले येसु को भी निर्जन प्रदेश जाकर आत्मजाँच करना पड़ता। शैतान ने उनके सामने तीन चीजों का प्रस्ताव रखता जो ईश्वर की इच्छा के अनुकूल नहीं थे इस पर येसु ने ईश वचन का आधार लेते हुए शैतान के प्रस्तावों का बहिष्कार किया। हम भी इन प्रलोभनों से बच नहीं सकते हैं।

संत पापा ने गौर किया कि येसु के समय में भली इच्छा रखने वाले लोग थे जो सोचते थे कि ईश्वर का रास्ता अलग है। फरीसी, सदुकी तथा कटरपंथी हमेशा सही रास्ते पर नहीं चल सके। अतः येसु उनसे कहते हैं कि वे आज्ञापालन के प्रति बहुत उदार थे किन्तु ईश्वर की प्रजा का जीवन आज्ञा पालन से बढ़कर है।   

संत पापा ने प्रवचन के अंत में कहा कि ईश्वर जिन्होंने मानव का यथार्थ रूप धारण किया, हम भी उनसे कृपा की याचना करें कि भाई बहनों को ठोस रूप से प्यार कर सकें।

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08 January 2019, 17:11
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