संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (ANSA)

स्वर्ग राज्य के भोज में हमारे लिए येसु का निमंत्रण

ईश्वर के राज्य की तुलना अकसर भोज से की जाती है। येसु अपने साथ उत्सव मनाने के लिए हमें निमंत्रण देते हैं। संत पापा ने प्रश्न किया कि हम उनके निमंत्रण को अस्वीकार करने के लिए कितनी बार बहाना बनाते हैं। येसु अच्छे हैं और वे हमें दुबारा मौका देते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 6 नवम्बर 2018 (रेई) ˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 6 नवम्बर को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया। पाठ में एक भोज का वर्णन किया गया है जिसमें भोज का मालिक बहुत सारे अतिथियों को निमंत्रण देता है। 

सोमवार के सुसमाचार पाठ में एक फरीसी के यहाँ भोज के दौरान येसु ने कहा था कि भोज में जरूरतमंद व्यक्तियों को निमंत्रण दिया जाना चाहिए जो बदला चुकाने में समर्थ न हों।  

दोहरा बहिष्कार

संत पापा ने कहा कि मंगलवार के सुसमाचार पाठ में भोज का दृश्य जारी है। इस पाठ को दोहरा बहिष्कार वाला पाठ कहा जा सकता है। सुसमाचार में येसु एक व्यक्ति द्वारा एक बड़े भोज का आयोजन किये जाने तथा बहुत सारे लोगों को निमंत्रित किये जाने का दृष्टांत सुनाते हैं। उनके नौकरों ने अतिथियों को बुलाया कि आइये, अब सब तैयार हो चुका है किन्तु एक- एक कर सब बहाना करने लगे। संत पापा ने कहा कि बहाना करना और असमर्थता के लिए खेद प्रकट करना, इन्कार करने का सभ्य तरीका है। 

तब मालिक ने नौकरों से कहा कि भोज में गरीबों, लगड़ों और अंधों को बुला लाओ। संत पापा ने कहा कि पाठ की समाप्ति दूसरी बार इनकार करने से हुई। इस बार स्वयं येसु इनकार करते हैं। जब कोई येसु का बहिष्कार करते हैं तब प्रभु उनके लिए इंतजार करते हैं। उन्हें दूसरी बार अवसर देते हैं और शायद वे तीसरी, चौथी, पांचवीं एवं अनेक बार मौका देते हैं किन्तु अंत में वे उन्हें इन्कार कर देते हैं।  

यह इन्कार हमें उन क्षणों पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है कि जब येसु हमें बुलाते हैं। वे हमें अपने साथ भोज में सहभागी होने के लिए बुलाते हैं। अपने नजदीक रहने और अपने जीवन को बदलने के लिए निमंत्रण देते हैं। जब हम जो उनके करीबी मित्र हैं उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर देते हैं तब वे बीमार लोगों को बुलाते हैं। कई बार हम येसु के बुलावे को सुनते हैं किन्तु दया के कार्यों को करने, प्रार्थना करने और उनसे मुलाकात करने के निमंत्रण को अस्वीकार करते हुए कहते हैं, प्रभु मुझे क्षमा करें, मैं अभी व्यस्त हूँ। मेरे पास समय नहीं है। शायद दूसरे दिन भी मेरा यही जवाब होता है पर येसु इंतजार करते रहे हैं। 

हम कितनी बार खेद प्रकट करते हैं?

संत पापा ने चिंतन करने हेतु प्रेरित किया कि हम कितनी बार येसु से खेद प्रकट करते हैं। वे हमें मुलाकात करने बुलाते हैं, उन्हें खोजने तथा बातें करने के लिए किन्तु हम हर बार असमर्थता दिखलाते हैं। संत पापा ने कहा कि हम प्रत्येक को अपने जीवन पर चिंतन करना चाहिए कि मैंने उदारता के कार्यों को पूरा करने, येसु से मुलाकात करने, प्रार्थना करने तथा अपने जीवन में बदलाव लाने हेतु कितनी बार पवित्र आत्मा की प्रेरणा को अनसुनी कर दिया है।  

येसु भले हैं किन्तु वे न्यायी भी 

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि जो लोग येसु का इन्कार नहीं करते हैं वे उनके द्वारा भी इन्कार नहीं किये जायेंगे और वे ईश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे। संत पापा ने उन लोगों को चेतावनी दी, जो सोचते हैं कि येसु बहुत दयालु हैं अतः अंत में मेरे सब गुनाहों को माफ कर देंगे।

उन्होंने कहा, जी हाँ वे दयालु हैं किन्तु वे न्यायी भी हैं। यदि हम अपने हृदय के द्वार को अंदर से बंद कर देते हैं तो वे उसे नहीं खोल पायेंगे क्योंकि वे हमारा सम्मान करते हैं, इस तरह वे अंदर प्रवेश नहीं कर पायेंगे।

अपनी मृत्यु के पूर्व उन्होंने भोज के लिए प्रार्थना की थी

संत पापा ने प्रवचन में उस बिन्दु पर भी प्रकाश डाला जिसमें येसु स्वयं उत्सव के लिए प्रार्थना करते हैं। पहले पाठ में संत पौलुस भोज की कीमत को प्रकट करते हैं। वे येसु के बारे बतलाते हैं कि उन्होंने अपने आपको पूरी तरह खाली कर दिया तथा दास का रूप धारण किया। उन्होंने अपने को क्रूस मरण तक आज्ञाकारी बनाया। येसु ने उत्सव की कीमत अपने जीवन से चुकाया है।

संत पापा ने कहा कि इसके बावजूद हम उनके निमंत्रण में असमर्थता दिखलाते हैं। प्रभु हमें हृदय की कठोरता, हठ और बहिष्कार के रहस्य को समझने की कृपा प्रदान करे तथा आँसू बहाने की कृपा दे।

 

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06 November 2018, 17:29
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