ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

आशा जीवित है, यह हमें येसु से मुलाकात कराती है

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थलय में संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में आशा पर चिंतन किया जो काल्पनिक नहीं है बल्कि येसु से मुलाकात करने की ठोस अभिलाषा है। उन्होंने प्रभु के साथ दैनिक मुलाकात की खुशी प्राप्त करने पर जोर दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

प्रवचन में संत पापा ने आशा पर चिंतन करते हुए एक गर्भवती महिला का उदाहरण दिया जो एक बच्चे के जन्म का इंतजार करती है। उन्होंने कहा, "आशा कोरी कल्पना नहीं है बल्कि यह येसु के साथ साक्षात् मुलाकात की अभिलाषा है जिसमें प्रज्ञा येसु से मुलाकात पर प्रसन्न होना जानती है।"  

नागरिकता एवं धरोहर

संत पापा ने एफेसियों को लिखे संत पौलुस के पत्र से लिए गये पाठ के दो शब्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, संत पौलुस अपने पत्र में नागरिकता की बात करते हैं। यह एक वरदान है जिसको प्रभु ने हमें प्रदान किया है और हमें ईश्वर के घराने का सदस्य बनाया है। यह हमें हमारी पहचान के माध्यम से प्राप्त हुआ है। ईश्वर ने नियम के परे जाकर, येसु में हमें एक पहचान प्रदान की है ताकि हमारे साथ मेल-मिलाप कर सकें तथा शत्रुता को नष्ट कर दें। जिससे कि यहूदी और गैरयहूदी दोनों एक ही आत्मा में पिता ईश्वर को पा सकें। इस प्रकार हम येसु में संतों के सह-नागरिक हैं। संत पापा ने कहा कि हमारी पहचान इसी में है कि हम प्रभु द्वारा चंगे किये गये हैं, हमने एक समुदाय का निर्माण किया है तथा हमें पवित्र आत्मा मिला है।    

ईश्वर हमें उस विरासत की ओर ले रहे हैं जो निश्चित है और जहाँ के हम नागरिक हैं एवं जहाँ ईश्वर हमारे साथ होंगे।

संत पापा ने कहा कि विरासत जिसकी खोज हम अपनी यात्रा में कर रहे हैं जिसको हम अंत में प्राप्त करेंगे किन्तु हमें उसे हर दिन खोजने की आवश्यकता है। आशा ही हमें विरासत की ओर आगे ले चलती है। आशा एक छोटा सद्गुण है जिसे समझना कठिन है।

आप यदि आशा करेंगे तो कभी निराश नहीं होंगे

विश्वास, आशा एवं प्रेम ये सभी ईश्वर के वरदान हैं। विश्वास एवं प्रेम को समझना आसान है। संत पापा ने कहा, किन्तु आशा क्या है? यह स्वर्ग राज्य को प्राप्त करने की आशा है संतों के साथ मुलाकात करने की तथा अनन्त आनन्द प्राप्त करने की आशा।  

आश में जीने का अर्थ है पुरस्कार की ओर यात्रा करना, उस आनन्द की ओर जिसको हमने प्राप्त नहीं किया है किन्तु भविष्य में प्राप्त करेंगे। यह एक विनम्र सदगुण है जो हमें कभी निराश नहीं कर सकता। आप यदि आशा करते हैं तो कभी भी निराश नहीं होंगे। यह किस तरह ठोस बन सकता है यदि मैं स्वर्ग के बारे जानता ही नहीं। संत पापा ने कहा कि आशा हमें उस ओर ले चलती है जो एक विचार मात्र नहीं बल्कि मुलाकात की आशा दिलाती है।  

गर्भवती महिला जो अपने बच्चे का इंतजार करती है

संत पापा ने कहा कि आशा एक गर्भवती महिला के समान है जो बच्चे का इंतजार कर रही है। वह डॉक्टर के पास जाती तथा जाँच कराकर देखती है कि उसके गर्भ में बच्चा पल रहा है तो वह खुशी से भर जाती है। वह हर दिन अपने पेट का स्पर्श करती, बच्चे को दुलारती तथा उसके शक्ल की कल्पना करती एवं उसके साथ रहने का स्वप्न देखती है। यह हमें समझने में मदद देता है कि आशा वास्तव में क्या है।

येसु के साथ मुलाकात करने का आनन्द

संत पापा ने विश्वासियों को चिंतन का आह्वान करते हुए कहा, "क्या में ठोस आशा रखता हूँ अथवा क्या मेरी आशा बिखरी हुई है?" उन्होंने कहा कि आशा ठोस है यह एक दैनिक चीज है क्योंकि यह एक मुलाकात है। जब कभी हम यूख्रारिस्त, प्रार्थना, सुसमाचार, गरीबों एवं सामुदायिक जीवन की ओर एक कदम आगे बढ़ाते हैं तब हम येसु से मुलाकात करते हैं। दैनिक जीवन की मुलाकातों में आनन्द का अनुभव कर पाना हमें अंतिम मुलाकात के लिए तैयार करता है।

संत पापा ने अंत में पुनः एक बार पहचान शब्द पर जोर दिया जो हमें समुदाय से मिला है तथा हमारी धरोहर पवित्र आत्मा की शक्ति है जो हमें आशा में आगे ले चलती है। संत पापा ने सभी विश्वासियों का आह्वान किया कि हम अपनी ख्रीस्तीय पहचान को जीयें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

23 October 2018, 17:42
सभी को पढ़ें >