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ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

पिता ईश्वर के पास पहुँचने का रास्ता बतलाता है रक्षक दूत

रक्षक दूतों के पर्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए ईश्वर द्वारा हमारी सुरक्षा में नियुक्त दूतों की प्रशंसा की जिन्हें उन्होंने हमारे जीवन के रास्ते पर हमारा साथी, रक्षक, मार्गदर्शक एवं द्वार कहा, जो हमें ईश्वर के पास पहुँचाते हैं।  

"मैं एक दूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजता हूँ। वह रास्ते में तुम्हारी रक्षा करेगा और तुम्हें उस स्थान पर ले जायेगा, जिसे मैंने निश्चित किया है।" संत पापा ने निर्गमन ग्रंथ के इन्हीं शब्दों पर चिंतन करते हुए कहा कि वे खास सहायक हैं जिनकी प्रतिज्ञा ईश्वर ने अपने लोगों के लिए और हम सभी के लिए भी किया है जो जीवन के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। 

यात्रा में देवदूत हमारा साथी

संत पापा ने कहा, "जीवन एक यात्रा है जिसमें हमें साथी, रक्षक एवं मार्गदर्शक के मदद की आवश्यकता है जो हमें जोखिमों एवं शैतान के फंदों से बचाते हैं।

संत पापा ने तीन जोखिमों पर चर्चा की 

पहला, यात्रा में आगे नहीं बढ़ने की जोखिम-संत पापा ने कहा कि कितने लोग हैं जो ठहर जाना एवं यात्रा में आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। उनका जीवन बिल्कुल रूक जाता है जो एक खतरा है। सुसमाचार के उस व्यक्ति की तरह जो अपनी क्षमताओं का प्रयोग करना नहीं चाहता था और जिसने उसे जमीन पर गाड़ दिया और कहा कि मैं शांति में हूँ, मैं शांत हूँ, मैं गलतियाँ नहीं करना चाहता, इसलिए मैं जोखिम भी नहीं उठाऊँगा।" 

संत पापा ने कहा कि कई लोग हैं जो यात्रा करना नहीं जानते अथवा यात्रा की जोखिम उठाने से डरते हैं और रूक जाते हैं किन्तु हम जीवन के नियम से परिचित हैं जिसके अनुसार जीवन में रूक जाने वाला व्यक्ति अंततः भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता है। ठीक उसी तरह जिस तरह रूके हुए पानी में मच्छड़ उत्पन्न होता है। स्वर्गदूत हमें यात्रा में आगे बढ़ने को मदद करते हैं।  

भटक जाने या रास्ता खो जाने का खतरा

संत पापा ने कहा कि हम अपने जीवन में दो अन्य खतरों का सामना करते हैं- "भटक जाने का खतरा" जिसको आरम्भ में ही आसानी से सुधारा जा सकता है और दूसरा, रास्ता खो जाने का डर जो हमें भूल-भुलैयां में डाल देता है, जहाँ से हम निकल नहीं सकते हैं। ऐसे समय में स्वर्गदूत हमें सही रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद करता है। संत पापा ने कहा कि इसके लिए हमें रक्षक दूतों से प्रार्थना करना है।

प्रभु कहते हैं कि हम स्वर्गदूतों का सम्मान करें। उन्हें हमारा मार्गदर्शन करने का अधिकार मिला है अतः हम उनकी सुनें। वे पवित्र आत्मा की प्रेरणा को सदा हमारे पास लाते हैं। संत पापा ने  प्रश्न किया, क्या हम अपने स्वर्गदूतों के साथ बातें करते हैं? क्या हम अपने स्वर्गदूत का नाम जानते हैं? क्या हम उनकी बातों को सुनते हैं? क्या हम उन्हें अपनी बगल में रखकर चलना चाहते हैं अथवा क्या हमें आगे बढ़ने के लिए ढ़केले जाने की आवश्यकता पड़ती है?

स्वर्गदूत पिता के पास पहुँचने का रास्ता 

हमारे जीवन में स्वर्दूतों की उपस्थिति एवं भूमिका अहम है क्योंकि वे न केवल यात्रा में हमारी सहायता करते किन्तु वे हमारे गणतव्य मार्ग भी दिखलाते हैं। संत मारकुस रचित सुसमाचार में प्रभु कहते हैं, इनमें से किसी एक नन्हें को भी तुच्छ मत समझो क्योंकि उनके दूत स्वर्ग सदा मेरे स्वर्गिक पिता के सामने रहते हैं। संत पापा ने कहा कि दूतों के रक्षक होने के रहस्य में पिता ईश्वर की छवि झलकती है जिसको हम तभी समझ सकते हैं जब हमें उसके लिए प्रभु से कृपा प्राप्त हो।

संत पापा ने कहा कि स्वर्गदूत केवल हमारे साथ नहीं रहते किन्तु वे पिता ईश्वर का भी दर्शन करते हैं। वे उनके साथ हैं, वे हर दिन सुबह से शाम तक सेतु की तरह हमारे मध्यस्थ बनते हैं। रक्षक दूत हमें आगे बढ़ने में मदद देते हैं क्योंकि वे पिता का दर्शन करते हैं अतः उन्हें रास्ता मालूम है। संत पापा ने कहा कि अपनी यात्रा में हम इन साथियों को न भूलें।

 

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02 October 2018, 17:40
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