पवित्र आत्मा का खमीर मुक्ति का स्रोत
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान अपने प्रवचन में कहा कि हम पवित्र आत्मा के खमीर से अपने को प्रोषित होने दें जिसे येसु ने हमें “विरासत” के रुप में प्रदान किया है। उन्होंने संत लूकस के सुसमाचार पर चिंतन करते हुए दो तरह के लोगों के बारे में कहा जो अपने में एक दूसरे के विपरीत विकास करते हैं।
येसु को दिखावा नपसंद
संत पापा ने कहा कि येसु उस खमीर के बारे में कहते हैं जो हमें वृद्धि करता है लेकिन इसके अलावे एक दूसरा खमीर भी है जो “खराब” है जो हमें “बिगाड़” देता है। यह फरीसियों और उस समय के संहिता के ज्ञाताओं शस्त्रियों की “दिखावा” रुपी खमीर है। संत पापा ने इस पर जिक्र करते हुए कहा कि ये वे लोग हैं जो अपने में बंद हैं, अपने कार्यों को “दिखावे” के लिए करते हैं। वे दूसरों के सामने अपनी “तुरही” बजाते हैं। वे अपने हृदय के अंदर व्याप्त अपने “स्वार्थ” और अपनी “सुरक्षा” तक ही सीमित हैं। यदि कोई कठिन परिस्थिति जैसे की डाकू के हाथों में पड़ा अधमरा व्यक्ति, कोई कोढ़ग्रस्त व्यक्ति उनके जीवन में आता, तो वे अपने “हृदय के मनोभावों” अनुरूप अपना मुंह दूसरी ओर फेर लेते हैं।
संत पापा ने कहा कि येसु इस तरह के खमीर को खतरनाक बतलाते हैं। यह दिखावा है और इस तरह के दिखावे को येसु एकदम पसंद नहीं करते हैं। यह अपने में सुन्दर दिखलाई देता है, शिक्षित प्रतीत होता है लेकिन यह अंदर से खराब आदतों से भरा है। “तुम बाहर से सुन्दर दिखते लेकिन तुम कब्र के समान हो, जो अंदर सड़ी-गली चीजों से भरा है।” यह खमीर हमारे अन्दर विकसित होता है जहाँ हम अपने स्वार्थ के बारे में ही बाते करते हैं। इसका कोई भविष्य नहीं है। वही दूसरी ओर एक दूसरा व्यक्ति जो ठीक इसके विपरीत है जो अपने में बाहर की ओर विकसित होता है। यह हमें उत्तराधिकारी के समान बढ़ने में मदद करता है, जहाँ हम ईश्वरीय वदरानों के हकदार बनते हैं।
अनंत आनंद की प्रतिज्ञा
संत पापा ने संत पौलुस द्वारा ऐफेसियों को लिखे गये पत्र का जिक्र करते हुए कहा,“हमें येसु ख्रीस्त में उत्तराधिकारी होने का वरदान मिला है।” यह हमारा ध्यान अपने से बाहर निकलने की ओर कराता है।
हम अपने जीवन में गलती करते हैं लेकिन हम सुधार के लिए खुला रहते। हम गिरते हैं लेकिन हम खड़ा हो जाते। हम पाप करते लेकिन हम अपने पापों के लिए पश्चताप करते हुए उसके लिए क्षमा की याचना करते हैं। हम अपने आप से बाहर निकलते हैं जो हमें अनंत खुशी प्रदान करती है क्योंकि इसकी प्रतिज्ञा हमारे लिए की गई है। संत पौलुस हमारे लिए इसे पवित्र आत्मा का वरदान कहते हैं जो हमें ईश्वर की महिमा और स्तुति हेतु प्रेरित करता है।
हमारे हृदय की खुशी
संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त द्वारा पवित्र आत्मा की मुहर हमें अपने आप में सीमित नहीं करती वरन यह हमें अपने से बाहर जाने हेतु प्रेरित करती है। येसु ख्रीस्त हमसे चाहते हैं कि हम कठिनाइयों, तकलीफों, दुःखों में भी नये क्षितिज की ओर आशा में आगे बढ़ते जाये क्योंकि वे हमारे जीवन को पवित्र आत्मा की खमीर से पोषित करते हैं।
वह व्यक्ति जो अपने स्वार्थ से प्रेरित है वह अपना विकास करता है उसके हृदय में स्वार्थ का खमीर है। वह अपने आप तक सीमित होकर रह जाता है वह अपने रुप-रंग, सुन्दरता की चिंता करता है, वह अपने जीवन में व्याप्त कमजोरियों की ओर ध्यान नहीं देता है। येसु ऐसे लोगों को “ढ़ोगी की संज्ञा देते और उनसे हमें सचेत रहने को कहते हैं। संत पापा ने कहा कि अन्य दूसरे ख्रीस्तीय भी हैं जो पवित्र आत्मा के खमीर को स्वीकार नहीं करते हैं वे उन फरीसियों को समान हैं जिन्हें येसु फटकारते हैं, “फरीसियों के खमीर से सावधान रहो”। ख्रीस्तियों का खमीर पवित्र आत्मा है हमें जीवन की कठिनाइयों के बावजूद सदैव प्रेरित करता और हमारे पापों के बावजूद हमें आशा में बने रहने को मदद करता है। हम उनमें उस आशा को पाते हैं जो हमें ईश्वर की महिमा करते हुए आनंद की अनुभूति प्रदान करती है। ढ़ोगी अपने में इस बात को भूल जाते हैं कि खुश होने का अर्थ क्या है।
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