ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

येसु के शिष्य धन पर आसक्त नहीं होते

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय जीवन में तीन प्रकार की निर्धनता पर चिंतन किया तथा याद किया कि आज अनेक ख्रीस्तीय सुसमाचार के कारण अत्याचार के शिकार हो रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

तीन प्रकार की गरीबी जिसके लिए ख्रीस्तीय बुलाये जाते हैं उनमें पहला है, हृदय से धन का त्याग तथा धन के प्रति आसक्त नहीं होना, दूसरा, सुसमाचार के लिए छोटे-बड़े अत्याचारों को स्वीकार करना तथा तीसरा, एकाकीपन की गरीबी, जीवन के अंत में अकेलापन को स्वीकार करना। 

प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया, जहाँ येसु 72 शिष्यों को सुसमाचार प्रचार हेतु भेजते हैं। वे उन्हें पैसा, झोली और जूते नहीं ले जाने का आदेश देते हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि शिष्य निर्धनता का रास्ता अपनायें। शिष्य जो धन सम्पति से आसक्त होता, वह सच्चा शिष्य नहीं हो सकता।  

एक शिष्य हृदय से दीन तथा धन से विरक्त

प्रवचन में संत पापा ने शिष्यों के जीवन में तीन स्तर की गरीबी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहला चरण है धन से विरक्त होना। यह शिष्य बनने की पहली शर्त है। इसके लिए हृदय से गरीब होने की आवश्यकता है, अर्थात् प्रेरिताई में प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं का सही प्रयोग करना और उस पर आसक्त नहीं होना। संत पापा ने चेतावनी देते हुए कहा कि सुसमाचार का धनी युवक येसु से प्रभावित था किन्तु उसका हृदय धन पर आसक्त था जिसके कारण वह उनका अनुसरण नहीं कर सका। उन्होंने कहा, यदि आप प्रभु का अनुसरण करना चाहते हैं तो गरीबी का रास्ता अपनायें। आपके पास यदि धन है तो यह इसलिए क्योंकि प्रभु ने इसे प्रदान किया है ताकि हम दूसरों की सेवा कर सकें। एक शिष्य को गरीबी से भयभीत नहीं होना चाहिए।

सुसमाचार के कारण अत्याचार की गरीबी 

दूसरी तरह की गरीबी है अत्यचार में धीरज। सुसमाचार पाठ में येसु शिष्यों को भेड़ियों के बीच भेड़ की तरह भेजते हैं। उसी तरह आज भी कई ख्रीस्तियों को सुसमाचार के कारण अत्याचार का सामना करना पड़ता है। 

संत पापा ने सिनॉड में हुई चर्चा की याद करते हुए कहा कि अत्याचार के शिकार देशों में से एक देश के धर्माध्यक्ष ने, एक काथलिक युवा के बारे बतलाया कि उसे ऐसे लड़कों के दल में ले लिया गया जो कलीसिया से घृणा करते थे। उन्होंने उसे पीटा तथा कीचड़ के एक जलाशय में डाल दिया जो उसके गले तक गहरा था एवं उससे पूछा, "अंतिम बार पूछते हैं, क्या तुम येसु ख्रीस्त को त्याग देते हो" - उसने उत्तर दिया, नहीं। तब उन्होंने उसे पत्थरों से मार डाला। यह घटना प्रथम शताब्दी की नहीं है बल्कि दो महीनों पहले घटित हुई है। यह एक उदाहरण है कि ख्रीस्तीय आज किस तरह शारीरिक अत्याचार का सामना कर रहे हैं।  

अकेलापन महसूस करने की गरीबी

तीसरी प्रकार की गरीबी है, एकाकीपन की गरीबी। इसका उदाहरण हम तिमोथी के दूसरे पत्र में पाते हैं। जहाँ संत पौलुस जो किसी चीज से नहीं डरते थे, कहते हैं, "किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। सभी ने छोड़ दिया" किन्तु वे कहते हैं, प्रभु मेरे करीब थे तथा उन्होंने मुझे शक्ति प्रदान की।  संत पापा ने कहा कि 17 से 20 साल के युवा भी इसे महसूस कर सकते हैं जब वे उत्साहपूर्वक धन-सम्पति का त्याग कर, येसु का अनुसरण करने का निर्णय करते हैं। तब उन्हें निष्ठावान रहने के लिए विभिन्न अत्याचारों का सामना करना पड़ता है और अंत में प्रभु उनसे पूर्ण एकाकी की मांग करते हैं।

संत पापा ने योहन बपतिस्ता की याद करते हुए कहा कि वे दीनता में सबसे महान थे। लोग उनके पास बपतिस्मा लेने आते थे किन्तु उनका अंत कैसे हुआ। अकेले, एक कैदखाने में, एक छोटे कमरे में। राजा की कमजोरी के कारण एक व्यभिचारी की घृणा द्वारा वे मार डाले गये। इस तरह एक महान व्यक्ति के जीवन का अंत हो गया। दूर अतीत में गये बिना हम आज भी उन घरों में देख सकते हैं जहाँ बुजूर्ग पुरोहित एवं धर्मबहनें रहते हैं, वे अकेलेपन महसूस करते और केवल प्रभु के साथ समय व्यतीत करते हैं। उन्हें याद करने वाला कोई नहीं होता। 

शिष्य किस तरह गरीबी के रास्ते पर चल सकते हैं

येसु ने पेत्रुस से एक प्रकार की गरीबी की प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने कहा था कि जब तुम युवा थे आप जहाँ चाहे चले गये। जब आप बूढ़े हो जायेंगे तब दूसरे आपको वहाँ ले जायेंगे जहाँ आप नहीं चाहते। 

संत पापा ने कहा, अतः गरीबी जो धन पर आसक्त न हो, यह पहला चरण है। दूसरा चरण है छोटे-बड़े अत्याचारों के सामने धीरज रखना तथा तीसरा चरण है जीवन के अंत में परित्यक्त महसूस करना। येसु के रास्ते का अंत इसी तरह से हुआ। उन्होंने पिता से प्रार्थना की, हे पिता तूने मुझे क्यों त्याग दिया। संत पापा ने सभी शिष्यों को प्रार्थना करने का निमंत्रण दिया, ताकि हम निर्धनता के रास्ते पर चल सकें जिसकी मांग प्रभु करते हैं।   

 

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18 October 2018, 17:14
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