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संत मार्था में ख्रीस्तयाग संत मार्था में ख्रीस्तयाग  (Vatican Media)

शांतिः नम्रता, दीनता औऱ उदारता का मार्ग है

संत मार्था प्रार्थनालय में संत पापा ने शांति कयम हेतु नम्रता, दीनता और उदारता पर बल दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने शनिवार को वाटिकन के संत मार्था प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान विश्व में शांति कायम करने हेतु पहल करने पर संदेश दिया।

संत पापा ने संत पौलुस द्वारा एफेसियों के नाम लिखे गये पत्र पर चिंतन करते हुए कहा कि विश्व, समाज और हमारे घरों में शांति स्थापित की मांग हमें नम्रता के मार्ग में दीनता और उदारता से चलने का आहृवान करती है। संत पौलुस बंदीगृह, अपने जीवन के अकेलेपन की स्थिति से ख्रीस्तीय समुदाय को सच्ची “एकता का गीत” मानव के “बुलाहट का मर्म” की याद दिलाते हैं।  

शांति समझौता अपने में कठिन

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस हमारा ध्यान इस बात की ओर आकृषित कराते हैं कि मानव अपने में “आंतरिक युद्धों” में फंसा है। येसु ख्रीस्त, अपनी मृत्यु के पहले, अंतिम व्यारी के समय पिता से हमारी एकता में बने रहने हेतु निवेदन किया। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में देखा जाये तो हम “युद्ध की वायु को सांस के रुप में ले रहे हैं।” हम इसका जिक्र रोज दिन, टेलीविजन, अखबार में देखते, पढ़ते और सुनते हैं। हम युद्धों के बारे में एक के बाद एक बातें करते हैं जहाँ हम शांति और एकता की कमी होती है। आज हम शांति स्थापना के समझौते और प्रयास को विफल होता हुए पाते हैं और हथियारों का सौदा, युद्ध का तैयारी, विनाश का दौर चलता रहता है।

संत पापा ने कहा कि विश्व में स्थापित वे संस्थाएँ जो शांति, एकता कायम करने हेतु स्थापित की गई हैं, कोई समझौते तक पहुँचने में असक्षम होती हैं। ऐसा परिस्थिति के कारण बच्चे प्रभावित होते हैं उन्हें भोजन नहीं मिलता, वे शिक्षण संस्थान में नहीं जा सकते हैं, वे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। हम अस्पतालों का अभाव पाते हैं क्योंकि युद्ध ने सारी चीजों को नष्ट कर दिया है। युद्ध का परिणाम अपने में विध्वंस, विघटनकारी होता है। यह एक-दूसरे के प्रति हमारे हृदयों में शत्रुता उत्पन्न करती और शैतान मानवता को नष्ट कर देता है। संत पौलुस हमें आज के पहले पाठ में एकता में बने रहने की शिक्षा देते हैं। एकता हमारे जीवन में शांति के हथियार धारण करने से आती है। यह शांति है जो हमें एकता की ओर ले चलती है।

अपना हृदय खोलें

संत पापा ने कहा कि आज हमें अपने हृदयों को “नम्रता, दीनता और उदरता” में खोलने हेतु निमंत्रण दिया जा रहा है। हम जो अपने में एक दूसरे के ऊपर चिल्लाने, दूसरों का अपमान करने के आदी हो गये हैं, हमें अपने बीच शांति और एकता में बने रहने का आहृवान किया जा रहा है। हम तीन बातों के लिए अपने हृदय को खोलें जो हमें शांति की दुनिया कायम करने हेतु ले चलती है। हम अपनी “नम्रता, दीनता और उदारता” के कारण एकता में बने रह सकते हैं। इसके लिए संत पौलुस हमें एक कगार सुझाव देते हुए कहते हैं, “हम प्रेम में एकदू सरे की सहायता करें।” एक दूसरे को सहन करें। संत पापा ने कहा कि लेकिन यह सहज नहीं है क्योंकि हमारी ओर से शिकायतें, आरोप निकलती हैं जो हमें एक दूसरे से अलग कर देती, हममें दूरियाँ उत्पन्न करती हैं।

कलह से समझौता शुरू में सहज

संत पापा ने कहा कि यह परिवारों में भी होता है जहाँ शैतान हमारे बीच दूरियाँ उत्पन्न करता जो लड़ाई की शुरूआत करती है। हम एक दूसरों को सहन करने की जरुरत है क्योंकि हम एक दूसरे के लिए परेशानी, अधीरता का कारण बनते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि हम सभी अपने में पापी हैं। हम सब में खम्मियाँ हैं। संत पौलुस हमें याद दिलाते हैं “हम शांति में बने रहते हुए अपने मध्य एकता को कायम रख सकते हैं” जिसे येसु अंतिम भोज के समय “एक शरीर और एक आत्मा” की संज्ञा देते हैं। येसु हमें इस तरह अपनी प्रार्थना के द्वारा शांति की क्षितिज को दिखलाते हैं, “पिता वे सभी एक हों जैसे हम हैं।” सुसमाचार की बात पर जोर देते हुए संत पापा ने कहा कि हमें अपने विरोधी के साथ समय रहते सुलह कर लेना उचित है क्योंकि कलह के शुरूआती दौर में समझौता करना सहज है।

छोटी बातों से हमारी शुरूआत

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार द्वारा दिया गया सुझाव कि हमें शुरू में ही समझौता कर लेना चाहिए जीवन में शांति की स्थापना करता है। यह हमारे लिए नम्रता, मीठास, और उदारता के गुणों को निरूपित करता है। इसके द्वारा हम संसार में शांति की स्थापना करते हैं क्योंकि ये ईश्वरीय मनोभाव हैं। विश्व को आज शांति की आवश्यकता है। हमारे परिवारों और हमारे समाज को इसकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम छोटी बातें नम्रता, दीनता और उदारता से इसे अपने घरों में अभ्यास करना शुरू करें। ईश्वर हमें इस यात्रा मे चले हेतु मदद करें। 

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26 October 2018, 15:49
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