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संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

"शिक्षित अपदूतों" से सावधान रहें, संत पापा

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में शुक्रवार 12 अक्टूबर को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में विश्वासियों को जागते रहने का निमंत्रण दिया, विशेषकर, "शिक्षित अपदूतों" से, जो चुपचाप हममें प्रवेश कर जाते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने प्रवचन में कहा, "शैतान का मुख्य कार्य है युद्ध या दुराचार अथवा दुनियावी मनोभावों द्वारा नष्ट करना।" प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु की तुलना अपदूतों के महानायक बेलजेबूल से की गई है। (लूक 11:15-26)

संत पापा ने कहा, "हम संघर्ष कर रहे हैं- हम प्रत्येक में येसु और शैतान के बीच संघर्ष चलता रहता है। जब शैतान किसी व्यक्ति के हृदय पर कब्जा कर लेता है, तब वह वहीं बस जाता है, मानो कि वह उसी का घर हो और वह उसमें से बाहर निकलना नहीं चाहता है।" संत पापा ने गौर किया कि जब येसु अपदूत को निकाल रहे थे तब वह व्यक्ति को शरीरिक रूप से भी नष्ट करने का प्रयास कर रहा था।

उन्होंने कहा कि कई बार येसु ने हमारे सच्चे दुश्मन शैतान को हमसे बाहर निकालने का प्रयास किया है। अच्छाई एवं बुराई के बीच संघर्ष कई बार अमूर्त प्रतीत होता है। वास्तविक संघर्ष ईश्वर एवं प्रचीन सर्प (शैतान) के बीच का है, येसु एवं बुराई के बीच का और यह संघर्ष हमारे अंदर उत्पन्न होता है। हम प्रत्येक संघर्ष करते हैं शायद अनजाने ही।

शैतान की बुलाहट है ईश्वर के कार्यों को नष्ट करना।

संत पापा ने कहा कि शैतान का मूल स्वभाव है नष्ट करना। उसकी बुलाहट ईश्वर के कार्यों को बिगाड़ना है। जब वह ईश्वर की शक्ति के कारण सामने नष्ट करने में असफल हो जाता है, तब वह लोमड़ी की तरह चतुर बन जाता तथा व्यक्ति पर अधिकार करने का उपाय खोजने लगता है।

शैतान बुराई एवं युद्धों द्वारा नष्ट करता

जब बुरी आत्मा एक व्यक्ति से बाहर निकलता है तो वह आश्रय की खोज में भटकता है। आश्रय नहीं पाने पर वह वापस उसी व्यक्ति के पास लौटता किन्तु उसे साफ सुथरा पाता है। अतः उसमें प्रवेश करने के लिए वह अपने से भी अधिक बुरी आत्माओं के साथ उस व्यक्ति पर आक्रमण करता है। इस प्रकार व्यक्ति की स्थिति पहले से बदतर हो जाती है।संत पापा ने कहा कि जब शैतान बुराई एवं युद्ध से व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता है तब वह दूसरा उपाय अपनाता है और यही उपाय वह हम सभी पर अमल करता है।

संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्तीय गिरजा जाते हैं, प्रार्थना करते हैं... सब कुछ व्यवस्थित लगता है। हममें पाप और कमजोरियाँ हैं किन्तु सब कुछ सही दिखाई पड़ता है, अतः शैतान सुसंस्कृत रूप में एक अच्छे दल के साथ हमारे द्वार पर दस्तक देता है, कि क्या मैं अंदर आ सकता हूँ? ये सुसंस्कृत अपदूत पहले से भी अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि वे हमें यह महसूस होने नहीं देते है कि वे हमारे घर में हैं। संत पापा ने कहा कि यह दुनियादारी की आत्मा है। जहाँ शैतान बुराइयों, अन्याय एवं युद्धों के द्वारा नष्ट करने का प्रयास करता है, वहीं लौटकर आने वाला शैतान सभ्य रूप में आवाज किये बिना नष्ट करता है। वह हमें मित्र बना लेता और हमेशा हमारा पीछा करता है। वह हमें औसद दर्जे का व्यक्ति बना देता है तथा सामाजिक जीवन में बिलकुल उदासीन बना देता।

शिक्षित अपदूत अपने आपको यह सिद्ध करने में सफल हो जाते हैं कि वे हानिकारक नहीं हैं। अतः संत पापा ने आध्यात्मिक छिछलापन में पड़ने से सावधान किया जो हमें अंदर से भ्रष्ट बना देता है। उन्होंने कहा कि मैं अपदूतग्रस्त व्यक्ति के लिए अधिक चिंता नहीं करता बल्कि उससे डरता हूँ जो शिक्षित अपदूतों को अपने अंदर प्रवेश करने देते हैं।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में क्या अधिक बुरा है, पाप करना अथवा दुनियादारी की भावना में जीना? शैतान पाप में गिराता है जिसके लिए लज्जा महसूस होती है किन्तु उससे भी बदतर स्थिति हो जाती है जब वह हममें जीता है।

जागरूक और शांत

येसु ने अंतिम व्यारी में शिष्यों के लिए दुनियादारी के मनोभाव से बचकर रहने हेतु प्रार्थना की। उसी तरह वे हमें उन शिक्षित अपदूतों से बचकर रहने हेतु जागते रहने की प्रेरणा देते हैं। संत पापा ने इसके लिए हमेशा आत्मजांच करने की सलाह दी।

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12 October 2018, 17:13
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