संत मार्था प्रार्थनालय में  संत पापा फ्राँसिस संत मार्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

येसु हमें क्षमा करते

संत पापा फ्रांसिस ने संत मार्था के अपने निवास में प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में येसु ख्रीस्त को अपने “जीवन का केन्द्र” बनाते हुए उनकी तरह करूणावान बनने का संदेश दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरुवार, 20 सितम्बर 2018 (रेई) संत पापा ने  संत पौलुस के द्वारा कुरूथियों को लिये गये पत्र और सुसमाचार में चिंतन करते हुए कहा कि हम येसु से निवेदन करें कि वे एक माता के रुप में पवित्र कलीसिया को अपनी “करूणा और क्षमा” की कृपा से पोषित करें क्योंकि हम उनके बच्चे अपने में पापी हैं।

येसु के प्रेम में क्षमा

संत पापा के कहा कि आज के पाठों में तीन तरह के लोगों के पाते हैं, येसु और उनके शिष्य, पौलुस और नारी तथा फरीसी और शास्त्री। उन्होंने नारी के प्रेम पर बल देते हुए कहा कि वह पापिनी होते हुए येसु के प्रेम से ओत-प्रोत अपने को नहीं छुपाती है। उसी प्रकार संत पौलुस के जीवन में यह बात सत्य प्रतीत होती है जो यह स्पष्ट करते हैं,“ जो शिक्षा मुझे दी गई है मैं वही शिक्षा तुम्हें देता हूँ-मसीह हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए मरे। पापिनी नारी और पौलुस दोनों येसु की खोज करते हैं। संत पौलुस के लिए प्रेम संहिता का अनुपालन करना लगता है जहाँ उसका हृदय येसु ख्रीस्त के रहस्य के प्रति बंद है अतः वह ख्रीस्त विश्वासियों को सताते हैं। वह नारी प्रेम की खोज करती और येसु के निकट आती है, जिसके बारे में फरीसी टीका-टिप्पणी करते हैं। येसु कहते हैं, “वह अपने पापों से मुक्त की गई है क्योंकि उनसे बहुत प्रेम दिखलाया है।” येसु प्रेम की इस निशानी को देखते और उसे स्वीकार करते हैं। यह उनकी करुणा को दिखलाती है जहाँ वे हमें सदा क्षमा करते और सदैव अपनाते हैं।

हमारा पाखण्ड

शास्त्रियों और फरीसियों के मनोभाव अपने में ढोंग और दिखावा मात्र हैं जिसके कारण प्रेम की यह निशानी उनके लिए एक ठोकर समान लगती है। अतः वे कहते हैं, “यह कितना बड़ा कलंक है। हम ऐसे नहीं कर सकते। हमने अपने मूल्यों को खो दिया है...अब कोई भी ईश्वर के घर में, कोई भी प्रवेश कर सकता है, तलाकशुदा, कोई भी। हम कहाँ आ गयेॽ”  

संत पापा ने कहा कि येसु प्रेम में सारी चीजों को क्षमा करते हैं। वे पापिनी नारी और पौलुस के साथ हमें भी पापों से मुक्त करते हैं। हम सभी पापी हैं, जो एक सच्चाई है। हमारे लिए आडम्बर यही है कि हम अपने को “धर्मी” और “पवित्र” घोषित करते हैं।  

दिखावे के कारण कलीसिया सताई गयी

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि कैसे हम अपने को बाह्य रुप में सुन्दर दिखलाने की कोशिश करते हैं लेकिन आन्तरिक रुप से हम कितनी ही बुराइयों से भरे हुए हैं, जैसे कोई कब्र बाहर से साफ-सुथरा दिखाई देता किन्तु अन्दर में सड़ी-गली चीजें हैं।

उन्होंने कहा कि यदि हम कलीसिया के अतीत को देखें तो हम यही पायेंगे कि इसे अपने आंतरिक और बाह्य दिखावे के कारण सतावट झेलना पड़ता है। शैतान पापियों के बारे में कुछ नहीं कर सकता जो ईश्वर की ओर नजरें फेरते हुए अपने में यह कहते हैं, “प्रभु मैं पापी हूँ, मेरी सहायता कीजिए।” ऐसी स्थिति में वह अपने को असहाय पाता है किन्तु आडम्बरी लोगों के लिए वह शक्तिशाली हो जाता है। वह उनके दिखावे को ही उनके लिए विनाश का साधन बना लेता है। दिखावे के कारण वह समाज, कलीसिया और लोगों का विनाश करता है। पाखण्ड शैतान के लिए एक ताकत बनती है क्योंकि वह अपने में झूठा है जिसके फलस्वरूप वह अपने को एक शक्तिशाली सुन्दर राजकुमार की भांति पेश करता लेकिन पीछे से वह हमें हानि पहुँचाता है।

करूणावान बनें

संत पापा ने लोगों को इस बात के लिए आगाह करते हुए कहा कि हम यह न भूलें कि येसु हमें क्षमा करते और हमें अपनाते हैं। यह हमें उनकी तरह “करूणावान बनने को प्रेरित करता है जिससे हम दूसरों पर दोष न लगायें।” येसु पौलुस, पापिनी नारी और हमें क्षमा करते हैं जिससे हम अपना हृदय दूसरों के लिए खोलें। आडम्बर करने वाले येसु के सच्चे प्रेम से अपने को वंचित पाते हैं क्योंकि उनका हृदय अपने में बंद होता है।

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20 September 2018, 12:28
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