3 सितम्बर को प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 3 सितम्बर को प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस  (© Vatican Media)

घोटाला प्रेमियों के सामने मौन रहें और प्रार्थना करें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र यूखारिस्त समारोह में आज के सुसमाचार पर चिंतन करते हुए कहा "घोटाला" और "विभाजन" की इच्छा करने वालों का सामना केवल चुप्पी और प्रार्थना द्वारा की जा सकती है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 3 सितम्बर 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 3 सितम्बर को अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। संत पापा ने संत लूकस सुसमाचार ( 4,16-30),से लिये गये दैनिक पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु नाजरेथ लौटे तो उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा "सच्चाई नरम है, सच्चाई मौन है", "जो लोग केवल ठोकर की तलाश करते हैं, जो केवल विभाजन चाहते हैं," उनका सामना करने का एकमात्र तरीका "मौन" और "प्रार्थना" है।

अपने देश में किसी नबी का स्वागत नहीं होता

संत पापा ने कहा कि येसु जब प्रार्थालय पहुचे तो वहाँ लोगों ने येसु की बड़ी जिज्ञासा के साथ स्वागत किया। वे अपनी आँखों से येसु के अचरज कार्यों को देखना चाहते थे जिसके बारे में उन्होंने सुना था। येसु ने प्रार्थनालय में ईश्वर का वचन पढ़ा और शांत मन से बैठ गये। लोगों ने येसु से अचरज के कार्य करने की मांग की और न करने पर तरह-तरह की आलोचना करने लगे। इसपर येसु ने कहा कि अपने देश में किसी नबी का स्वागत नहीं होता। यह सुनकर उनका व्यवहार आक्रोश में बदल गया और वे अपनी बर्बरता के कारण ‘जंगली कुत्तों’ सा व्यवहार करने लगे। उन्होंने येसु को नगर से बाहर निकाल दिया। जिस पहाड़ी पर उनका नगर बसा था, वे उसकी चोटी पर ले गये, ताकि उन्हें नीचे फेंक सकें, परंतु येसु उनके बीच से निकल के चले गये।

येसु की गरिमा

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु की गरिमा उसके हमलावरों पर विजय प्राप्त कर झलकने लगी। पवित्र शुक्रवार को भी यही बात हुई। उन्होंने पवित्र खजूर रविवार येरुसालेम के मार्ग में येसु की स्तुति की थी, 'हे दाऊद के पुत्र धन्य हैं'। वे ही बदल गए थे और चिल्ला रहे थे उसे 'क्रूस दीजिये'।

हमारी गरिमा

संत पापा ने कहा कि सच्चाई नम्र और मौन है। संत पापा ने यह स्वीकार किया कि येसु ने जो किया वह आसान नहीं है। हालांकि, "ख्रीस्तियों की गरिमा ईश्वर की शक्ति में टिकी हुई है"। यहां तक कि एक परिवार में "राजनीति, खेल, धन पर चर्चा" के कारण विभाजन की स्थिति आ जाती है। संत पापा फ्राँसिस इन मामलों में मौन और प्रार्थना की सिफारिश करते हैं। अच्छी इच्छा की कमी वाले लोग, जो केवल घोटाले की तलाश करते हैं, जो केवल विभाजन की तलाश करते हैं, जो परिवार के भीतर भी विनाश की तलाश करते हैं: ऐसी परिस्थिति का सामना मौन और प्रार्थना से किया जा सकता है।

संत पापा ने अंत में कहा,“जिस तरह येसु ने मौन रहकर असत्य और मृत्यु पर विजय पाई, आइये हम प्रभु से प्रार्थना करें कि वे हमें कठिनाई के समय शांत रहते हुए असत्य से लड़ने की कृपा और शक्ति प्रदान करें। जिससे कि हम येसु का अनुकरण कर सकें।”

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03 September 2018, 16:46
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