मणिपुर में शांति के लिए राष्ट्रीय प्रार्थना दिवस
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
भारत की काथलिक कलीसिया ने मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को समाप्त करने के लिए रविवार, 2 जुलाई को राष्ट्रीय प्रार्थना दिवस का आह्वान किया है।
जारी हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए है और 50,000 लोग विस्थापित हैं।
उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा 3 मई को तब भड़क उठी, जब स्थानीय राजनीतिक शक्ति को नियंत्रित करनेवाले हिंदू-बहुसंख्यक मितेई ने कुकी आदिवासियों पर हमला किया जो मितेई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के अदालती प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे।
मितेई की संख्या कुल 53 प्रतिशत है जिसमें हिंदूओं की संख्या अधिक है जबकि कुकी में मुख्य रूप से ख्रीस्तीय हैं।
मणिपुर में हिंसा भड़कने के लगभग दो महीने बाद, अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, उनमें से अधिकतर कुकी ख्रीस्तीय हैं, दंगा अभी तक कम नहीं हुआ है।
इम्फाल के महाधर्माध्यक्ष दोमनिक लुमोन ने भारत के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित एक पत्र में नवीनतम घटनाओं की पुष्टि दी है। महाधर्माध्यक्ष के अनुसार हिंसक संघर्ष जारी है, विशेष रूप से क्षेत्र की घाटी के बाहरी इलाकों में, जबकि राज्य ने जमीनी स्तर पर स्थिति पर नियंत्रण खो दिया है। घरों और गांवों को आग लगा दी गई और लूट लिया गया, पूजा स्थलों को अपवित्र किया गया और आग लगा दी गई। मणिपुर में काथलिक कलीसिया को कुल मिलाकर अनुमानित 250 मिलियन रुपये (लगभग 3.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का नुकसान हुआ है।
एक काथलिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यूसीए समाचार एजेंसी को आगे पुष्टि की कि विस्थापित ख्रीस्तीयों के परित्यक्त घरों को जलाया जाना जारी है।
हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से नफरत भरे भाषणों और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करके संकट का जवाब दिया है। इस उपाय को 19 जून को आगे बढ़ाया गया।
प्रार्थना दिवस
चल रही हिंसा के मद्देनजर भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के अध्यक्ष, त्रिचूर के महाधर्माध्यक्ष एंड्रयूज थज़हाथ ने विश्वासियों को मणिपुर में शांति के लिए 2 जुलाई को प्रार्थना दिवस मनाने का निर्देश दिया है।
अपने संदेश में महाधर्माध्यक्ष ने इस दिन को महत्वपूर्ण बनाने के लिए कुछ सुझाव दिये। इनमें ख्रीस्तयाग के दौरान विश्वासियों की प्रार्थनाओं में शांति और सद्भाव के लिए विशेष मतलब जोड़ना और मणिपुर के लोगों के लिए सभी पल्लियों में एक घंटे की आराधना का आयोजन करना शामिल है।
सीबीसीआई ने विश्वासियों से मोमबत्ती जुलूस या शांति रैलियाँ आयोजित करने की भी सलाह दी है। एक अन्य सुझाव में समान विचारधारा वाले लोगों और संगठनों से जुड़ना है जो कलीसिया के शांति के दृष्टिकोण को साझा करते हैं ताकि सद्भाव और समझ का माहौल बनाने के उनके सामान्य प्रयासों को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके।
इन एकजुटता पहलों पर एशियान्यूज पर टिप्पणी करते हुए, महाधर्माध्यक्ष लुमोन ने कहा कि कई अंतरधार्मिक बैठकों के बावजूद, "फिलहाल कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है", और "केवल प्रार्थनाएँ ही मदद कर सकती हैं"।
पीएम मोदी से हिंसा पर चुप्पी तोड़ने का आग्रह
इस बीच, चूंकि मौजूदा तनाव हजारों लोगों को अस्थायी शिविरों में रहने के लिए मजबूर कर रहा है, 550 से अधिक नागरिक समाज समूहों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया है।
16 जून को मोदी को संबोधित एक पत्र में उन्होंने "राज्य और सुरक्षा बलों द्वारा विभाजनकारी राजनीति को तत्काल रोकने" का आह्वान किया था। पत्र में भाजपा के प्रधानमंत्री से मणिपुर की पहाड़ियों और घाटियों में चल रहे गृह युद्ध पर अपनी गहरी चुप्पी तोड़ने और इस हिंसा को तत्काल रोकने के लिए कहा गया है, जो बड़े पैमाने पर जीवन, आजीविका और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रही है तथा लोगों में और भी अधिक आतंक फैला रही है।"
भारतीय कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मणिपुर में शांति और जातीय और धार्मिक हिंसा को समाप्त करने के आह्वान में शामिल हो गई हैं। पिछले सप्ताह कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में, राजनीतिक नेता ने "दुःख" व्यक्त किया कि लोगों को "उस स्थान से भागने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिसे वे अपना घर कहते थे"।
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