क्रिज्मा मिस्सा अर्पित करते संत पापा और रोम धर्मप्रांत के पुरोहित क्रिज्मा मिस्सा अर्पित करते संत पापा और रोम धर्मप्रांत के पुरोहित  (ANSA)

क्रिज्म मिस्सा में पोप : हर दिन की सांस के रूप में पवित्र आत्मा का आह्वान करें

पुण्य बृहस्पतिवार को वाटिकन में क्रिस्म मिस्सा के दौरान, पोप फ्राँसिस ने पुरोहितों को उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के लिए धन्यवाद दिया, जिन्हें अक्सर पहचान नहीं मिलती। उन्होंने उन्हें पवित्र आत्मा को 'हर दिन की सांस' के रूप में आह्वान करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो संकट के समय में भी, उन्हें खुशी देता और उन्हें ख्रीस्त की ओर सही दिशा में बढ़ने का संकेत देता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

"याजकीय परिपक्वता पवित्र आत्मा से आती है और यह तब प्राप्त होती है जब वे हमारे जीवनों के नायक बन जाते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने यह बात पुण्य बृहस्पतिवार की सुबह संत पेत्रुस महागिरजाघर में क्रिस्म मिस्सा के दौरान कही, जब उन्होंने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे पवित्र आत्मा का आह्वान, न केवल "धार्मिक कार्य के रूप में कभी-कभी करें," बल्कि "प्रत्येक दिन की सांस" के रूप में करें।

अपने प्रवचन में, संत पापा ने पवित्र आत्मा पर चिंतन करते हुए, पुरोहितों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद दिया, जिन्हें अक्सर पहचान नहीं मिलती है।

संत पापा ने आज के पाठ में येसु के कथन की याद की जिसमें वे कहते हैं, प्रभु का आत्मा मुझपर छाया रहता है और रेखांकित किया कि पवित्र आत्मा के बिना ख्रीस्तीय जीवन नहीं हो सकता; उनके अभिषेक के बिना पवित्रता संभव नहीं है।

पवित्र आत्मा के बिना खोये हुए

संत पापा ने कहा, चूँकि पवित्र आत्मा केंद्र में है अतः यह उचित है कि “पुरोहिताई के जन्म के दिन हम हमारी प्रेरिताई में उसकी उपस्थिति की याद करें तथा उसे हरेक पुरोहित के जीवन और जीवन शक्ति के रूप में देखें।”

उन्होंने याद किया कि पवित्र कलीसिया हमें यह स्वीकार करना सिखाती है कि पवित्र आत्मा "जीवन दाता" है।

पोप ने चेतावनी दी कि "पवित्र आत्मा के बिना कलीसिया ख्रीस्त की जीवित दुल्हन नहीं होगी, बल्कि सिर्फ, एक धार्मिक संघ रहेगी..."

संत पापा ने दोहराया कि हम "पवित्र आत्मा के मंदिर" हैं जो "हम में निवास करते हैं।"

"हम पवित्र आत्मा को घर से बाहर नहीं कर सकते, या उसे किसी धार्मिक स्थल पर पार्क करके नहीं रख सकते!  हम उन्हें केंद्र में रखें! हर दिन हम यह कहें : 'आइये, क्योंकि आपकी शक्ति के बिना हम भटक गए हैं।”

संत पापा ने कहा कि हम सभी कह सकते हैं कि पवित्र आत्मा हममें निवास करते हैं, अनुमान से नहीं, बल्कि वास्तविक रूप में।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "प्रिय भाइयों, हमारे अपने किसी भी योग्यता के कारण नहीं, बल्कि कृपा से, हमने एक अभिषेक प्राप्त किया है जिसने हमें ईश्वर के पवित्र लोगों के बीच पिता और चरवाहा बनाया है।”

 प्रेरितों की वापसी

पोप ने याद किया कि कैसे येसु ने अपने प्रेरितों को चुना और उनके बुलावे पर उन्होंने अपनी नावें, जाल और घर छोड़ दिए।

उन्होंने याद किया कि "वचन के अभिषेक ने उनके जीवन को बदल दिया,” जिसके कारण "उन्होंने गुरु का अनुसरण किया और उनका प्रचार करना शुरू किया, इस विश्वास के साथ कि वे और भी बड़ी चीजें हासिल करेंगे।" हालाँकि, पोप ने कहा कि उस समय पास्का आया, "सब कुछ रुका हुआ लगने लगा: उन्होंने अपने गुरु को अस्वीकार किया और त्याग दिया, पेत्रुस ने भी ख्रीस्त को इनकार कर दिया।"

हालांकि, पेंतेकोस्त में दूसरा अभिषेक हुआ जिसने शिष्यों को बदल दिया, जिसने उन्हें खुद के चरवाहे नहीं बल्कि प्रभु के झुण्ड के चरवाहे बनाया। यह वह आग थी जिसने उस धार्मिकता को समाप्त कर दिया जो खुद पर और अपनी ही क्षमता पर ध्यान केंद्रित कराती थी।  

"पवित्र आत्मा प्राप्त करने के बाद, पेत्रुस का डर और ढुलमुलपन दूर हो गया; याकूब और योहन, अपनी जान देने की एक ज्वलंत इच्छा के साथ, अब सम्मान के स्थानों की तलाश नहीं करते - हमारे करियरवादी, अन्य भाई; जो ऊपरी कमरे में भयभीत थे, वे प्रेरितों के रूप में बाहर निकलकर दुनिया में चले गये।"

पोप ने गौर किया कि प्रेरितों के अनुभव के समान ही पुरोहितों के प्रेरितिक जीवन में भी होता है।

संकट के समय में दो विकल्प

“हम भी शुरू के अभिषेक, जिसकी शुरूआत प्रेमपूर्ण बुलाहट से होती है जो हमारे हृदय को प्रभावित करती और हमें बढ़ने के लिए प्रेरित करती है; पवित्र आत्मा की शक्ति को हमारे सच्चे उत्साह एवं समर्पण में उतरते हुए पाते हैं, लेकिन बाद में, ईश्वर के उपयुक्त समय में हमारे लिए पास्का का अनुभव होता है, जो सच्चाई का समय होता है, एक संकट का समय...”   

संत पापा ने कहा कि एक अभिषिक्त के लिए यह चरण एक जल छादन है। "हम औसत दर्जे की ओर बढ़ते हुए, इससे बुरी तरह से उभर सकते हैं, और एक नीरस दिनचर्या व्यतीत कर सकते हैं, जिसमें तीन खतरनाक प्रलोभन उत्पन्न होते हैं: समझौता करने का प्रलोभन, जहाँ हम सिर्फ वही करने में संतुष्ट होते जो किया जाना है; प्रतिनिधित्व का प्रलोभन, जहां संतुष्टि पाने के लिए हम अपने अभिषेक को नहीं, बल्कि कहीं और देखते हैं; और निराशा का प्रलोभन - यह सबसे आम है - जहां असंतोष जड़ता की ओर ले जाता है।"

सबसे बड़ा खतरा

पोप फ्राँसिस ने कहा, यहाँ एक बड़ा खतरा है: "जब बाहरी दिखावा होता है कि 'मैं एक पुरोहित हूँ,' और हम अपने आप में बंद रहते और बस प्राप्त करने में संतुष्ट होते। जबकि हमारे अभिषेक की सुगंध हमारे जीवन में नहीं रह जाती; हमारे दिल अब फैलते नहीं बल्कि सिकुड़ते और निराश हो जाते हैं।” और पुरोहित अपने आपको लोगों के चरवाहे एवं याजक के रूप में अपनी पहचान देने के जोखिम में पड़ते हैं।

फिर भी, उन्होंने उन्हें याद दिलाया, कि यह संकट हमारे पौरोहित्य जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है।

संत पापा ने कहा, कि इसके लिए "आध्यात्मिक जीवन के निर्णायक चरण में, हमारे धार्मिक दायित्वों के लिए, येसु और दुनिया के बीच, वीरतापूर्ण उदारता और औसत दर्जे के जीवन के बीच, क्रूस और आराम के बीच, पवित्रता और कर्तव्यपरायणता के बीच चुनाव करना है।"

नई यात्रा पर निकल पड़ना

पोप ने इसे अनुग्रह का क्षण कहा, जब हमें पास्का के शिष्यों की तरह, "यह स्वीकार करने के लिए पर्याप्त रूप से विनम्र होने के लिए कहा जाता है कि हम पीड़ित और क्रूस पर चढ़ाए गए ख्रीस्त द्वारा जीत लिए गए हैं, और पवित्र आत्मा, विश्वास और प्रेम की शक्ति से मजबूत होकर एक नई यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित किये जाते हैं।”

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा की शक्ति से हम अपनी कमजोरी की असलियत को स्वीकार कर सकते हैं।

“सच्चाई की आत्मा यही बतलाती है कि हम अपनी गहराई में झांके और पूछे: क्या मेरी संतुष्टि मेरी अपनी क्षमता, मेरे पद, मेरी प्रशंसा, प्रगति, अपने सुपारियर एवं सहकर्मियों से मिलनेवाले सम्मान और आराम जिनसे मैं घिरा रहता हूँ उसपर निर्भर है? अथवा उस अभिषेक में जो अपनी खुशबू मेरे पूरे जीवन में बिखेरती है?”

"प्रिय भाइयों, याजकीय परिपक्वता पवित्र आत्मा से आती है और तब प्राप्त होती है जब वे हमारे जीवन के नायक बन जाते हैं।"

पवित्र आत्मा शुद्ध और चंगा करता है

संत पापा ने कहा कि यदि एक पुरोहित सच्चाई की आत्मा को कार्य करने देगा तो वह अपने अभिषेक को सुरक्षित रखेगा क्योंकि असत्य जिनके साथ वह जीने के प्रलोभन में पड़ता है, वह प्रकाश में आयेगा। आत्मा जो अशुद्ध को शुद्द कर देता है, पुरोहितों को लगातार चेतावनी देता है कि वे अपने अभिषेक को अशुद्ध न करें।” पवित्र आत्मा ही हमारी बेवफाई को चंगा कर सकता है जो हमारा आंतरिक गुरू है जिसको हमें सुनना चाहिए। संत पापा ने कहा कि वह हमारे हर भाग को अभिषिक्त करना चाहता है।

पोप ने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे पवित्र आत्मा को कभी-कभार ही नहीं, "बल्कि प्रत्येक दिन की सांस के रूप में" बुलाकर अपने अभिषेक को बनाये रखें।

संत पापा ने कहा, "उनके द्वारा अभिषिक्त होकर मुझे उनमें खुद को डुबोने के लिए बुलाया गया है, ताकि मैं उनके जीवन को मेरे अंधेरे में प्रवेश करा सकूँ, ताकि मैं इस सच्चाई को फिर से खोज सकूँ कि मैं कौन और क्या हूँ। उनके द्वारा हमारे भीतर संघर्ष करनेवाले असत्य का मुकाबला करने के लिए, आइए, हम खुद को प्रेरित होने दें। और हम आराधना के माध्यम से अपने आप को उनसे पुनःजन्म लेने दें, क्योंकि जब हम प्रभु की आराधना करते हैं, तो वह हमारे हृदय में अपनी आत्मा उंडेल देते हैं।"

संत पापा ने विभाजन और ध्रुवीकरण के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "आइए हम ध्यान रखें, कृपया पवित्र आत्मा के अभिषेक और माता कलीसिया के वस्त्र को एकता, ध्रुवीकरण, या उदारता एवं सहभागिता की कमी के द्वारा अपवित्र न करें।" उन्होंने उन पुरोहितों की निंदा की जो दोहरी जिंदगी जीते अथवा जिनके दो चेहरे होते हैं।

पुरोहित की दयालुता

संत पापा ने जोर दिया कि सद्भाव किसी दूसरे गुण से बढ़कर है अतः उसे व्यक्तिगत स्तर पर सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

"आइए हम अपने आप से पूछें: मेरे शब्दों में, मेरी टिप्पणियों में, जो मैं कहता हूँ और लिखता हूँ, क्या पवित्र आत्मा की मूहर है या दुनिया की? क्या मैं पुरोहित की दयालुता के बारे में सोचता हूँ: अगर लोग देखते हैं, जो असंतुष्ट और नाखुश होते, जो आलोचना करते और उंगलियाँ उठाते, उन्हें और कहाँ सद्भाव मिलेगा? कितने लोग हमसे संपर्क करने में विफल रहते हैं, या दूरी बनाए रखते हैं, क्योंकि कलीसिया में वे अप्रिय और अस्वीकृति महसूस करते हैं, संदेह और न्याय की दृष्टि से देखे जाते हैं?

उन्होंने कहा, "ईश्वर के नाम पर, हम हमेशा स्वागत और क्षमा करें! और याद रखें कि चिड़चिड़े और शिकायतों से भरे होने से अच्छे फल नहीं मिलते, बल्कि हमारे उपदेश को बिगाड़ देते हैं, क्योंकि यह ईश्वर जो सद्भाव रखते हैं उनके विराद्ध साक्ष्य है।" उन्होंने कहा कि यह पवित्र आत्मा को अप्रसन्न करता है।

अदृश्य रूप से भला काम करने के लिए आभार

संत पापा ने सभी पुरोहितों से कहा, “प्यारे भाइयो, मैं इन विचारों के साथ आपको छोड़ता हूँ जो मेरे हृदय एवं मन में आया और दो साधारण एवं महत्पूर्ण शब्दों के साथ अंत करता हूँ : धन्यवाद (थैंक यू)।"

“आपके साक्ष्य और सेवा के लिए धन्यवाद। सभी छिपे अच्छे कार्यों और क्षमाशीलता एवं सांत्वना के लिए धन्यवाद जिसको आप ईश्वर के नाम पर देते हैं। आपकी प्रेरिताई के लिए शुक्रिया, जिसको आप बड़ी मेहनत के साथ एवं गलतफहमी और थोड़ी पहचान के बावजूद पूरा करते हैं।”

अंत में संत पापा ने कहा, “ईश्वर की आत्मा जो उन लोगों को कभी निराश नहीं होने देते जो उनपर भरोसा करते हैं, आपको शांति से भर दें और आपमें शुरू किये गये शुभ कार्य को पूरा करें, जिससे कि आप उनके अभिषेक एवं प्रेरितिक सद्भाव के नबी के साक्षी बन सकेंगे।”

 

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क्रिज्मा मिस्सा में भाग लेते रोम पुरोहित
06 April 2023, 16:43