बुडापेस्ट में अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉन्ग्रेस बुडापेस्ट में अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉन्ग्रेस 

यूखरिस्त में ख्रीस्त की उपस्थिति ˸ रचनात्मक धैर्य के अवतार

यांगोन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने बुढडापेस्ट में जारी अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉन्ग्रेस में 8 सितम्बर को अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। उनके संदेश की विषयवस्तु थी "यूखरिस्त में ख्रीस्त की उपस्थिति ˸ रचनात्मक धैर्य के अवतार।"

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बुढ्डापेस्ट, शुक्रवार, 10 सितम्बर 2021 (रेई)- म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन एवं एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने अंतराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉन्ग्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा, "यह पेंतेकोस्त के समय के समान है। यहाँ ईश्वर के सभी स्रोत रहस्यात्मक रूप से बह रहे हैं। हम सभी जाति, भाषा और संस्कृति को लोग ख्रीस्त के शरीर के रूप में आकर हमारी एकता का उत्सव मना रहे हैं। कृपा का यह समय विश्व के लिए स्वास्थ्य लाये और हरेक की आत्मा को शांति एवं समृद्धि प्रदान करे। प्रभु हम तेरी प्रशंसा करते हैं ˸ मेरे सभी स्रोत आपमें हैं।"

कार्डिनल ने कहा कि यूखरिस्तीय सम्मेलन वास्तव में एक काथलिक "विश्वव्यापी सम्मेलन" है जो पहली बार प्रेरितों पर पवित्र आत्मा के उतरने की याद दिला रहा है। पवित्र आत्मा की तेज हवा पूरे स्टेडियम में बह रही है। यह आग के जीभों के रूप में हमारे ऊपर उतर रहा है। हमारी भाषाएँ अलग हो सकती हैं किन्तु हम येसु ख्रीस्त के संदेश से एक हैं। आइये हम कृपा के इस क्षण को मनायें।"

कार्डिनल ने फिलीपींस के चेबू में पिछली बार मनाये गये यूखरिस्तीय कॉन्ग्रेस की याद की जिसमें 71 देशों के हजारों विश्वासों ने भाग लेकर पवित्र आत्मा की कृपा का अनुभव किया था।

हंगरी की काथलिक कलीसिया पर गौर करते हुए कार्डिनल बो ने कहा कि इसका एक लम्बा इतिहास है जिसने सुसमाचार का साक्ष्य दिया है तथा शोषण एवं पीड़ा सहा है। विभिन्न जाति, भाषा एवं धार्मिक परम्परा के लोगों ने एक साथ जीया है। हंगरी की कलीसिया में विश्वव्यापी कलीसिया के लिए कई संत, शहीद और मिशनरी उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने हंगरी के विश्वासियों की सराहना की जिन्होंने इतिहास के उतार-चढ़ाव के बावजूद विश्वास को बनाये रखा है, दुःख और संघर्ष के बावजूद सुसमाचार का विश्वस्त साक्ष्य दिया है। सुन्दर गिरजाघर और मठ, उस महान विश्वास के स्मारक हैं किन्तु सबसे बढ़कर यूखरीस्तीय कॉन्ग्रेस एक प्रभावशाली चिन्ह है कि विश्वास बहुत अधिक जीवित एवं जीवंत है। उन्होंने देश में शांति तथा कॉन्ग्रेस में उपस्थित सभी लोगों के लिए ईश्वर के प्रेम की कामना की।

म्यांमार की कलीसिया – धीरज की परीक्षा से गुजरती कलीसिया        

म्यांमार के कार्डिनल ने अपने देश की याद करते हुए कहा, म्यांमार की "कलीसिया जवान है यह जीवंत है एवं बढ़ रही है। यहाँ अधिकांश लोग बौद्ध धर्म मानते हैं। जैसा कि एशिया के कई देशों में है म्यांमार में भी ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक हैं। फिर भी, युवा ख्रीस्तीय समुदाय की संख्या में वृद्धि हो रही है।" म्यांमार में पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों की काफी बुलाहट है। लोग कला एवं संस्कृति पसंद करते हैं एवं बहुत धार्मिक स्वभाव के हैं। यहाँ संसाधनों की भी कमी नहीं है किन्तु लोग करीब 6 महीनों से अनेकों चुनौतियाँ झेल रहे हैं- संघर्ष, कोविड-19, आर्थिक पतन, प्राकृतिक आपदा आदि की चुनौतियाँ। कार्डिनल ने कहा, "काथलिकों को भी बहुत कुछ सहना पड़ा है। हमारे गिरजाघरों पर हमले हुए हैं, हमारे बहुत से लोग अपने ही देश में शरणार्थी हैं। इस भूमि के प्रति संत पापा फ्राँसिस का विशेष स्नेह है। 2017 में उन्होंने प्रेरितिक यात्रा के लिए 7 लाख काथलिकों वाले देश म्यांयमार का चुनाव कर दुनिया को चौका दिया था। उन्होंने वहाँ शांति की तीर्थयात्रा की थी।"

कार्डिनल ने याद किया कि संत पापा वहाँ हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों से मुलाकात करने आये थे। राजनीतिक संघर्ष के समय में उन्होंने पीड़ित लोगों को मदद दिये जाने हेतु 7 बार लोगों से अपील की थी और वाटिकन में म्यांमार के लिए मिस्सा अर्पित की थी। कार्डिनल ने पुनः एक बार म्यांमार के लोगों के लिए प्रार्थना की अपील की।

यूखरिस्त में ईश्वरीय धैर्य का संदेश क्या है

कार्डिनल ने कहा कि येसु हमारा इंतजार करते हैं। वे "समस्त सृष्टि के पहलौठे हैं।" (कलो.1,15) माता के गर्भ में आने से पहले से वे हमें जानते हैं। (येरे.1,5) यूखरीस्तीय येसु हमारी प्रतीक्षा करते हैं ताकि हम उनके समान बनें। कार्डिनल ने कहा कि हम धीरे धीरे उनके समान बनें – अधिक खुले, अधिक उदार, अधिक देखभाल करनेवाले और दयालु। हम येसु की तरह आत्म-त्याग करें। येसु तब तक हमारा इंतजार करते हैं जब तक कि हम अपना मनोभाव उनके समान नहीं बना लेते। और जब हम उनके समान मनोभाव धारण कर लेते हैं तब वे हमें अपने आपको प्रकट करते हैं, हमारी आँखें खुल जाती हैं और हमारा जीवन प्रभु के साथ एम्मास की यात्रा बन जाता है। हम संदुक के चारों ओर नहीं हैं बल्कि एम्माउस के रास्ते पर हैं। धीरज द्वारा ही यात्रा के अंतिम लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है। हमारा जीवन नया संबंध बन जाता है जब हम दूसरों के साथ धीरज से मिलते जुलते हैं। यूखरिस्त हमारी आध्यात्मिक कृपा का स्रोत है। 

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10 September 2021, 15:52