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"पूर्व के लिए शांति दिवस" ˸ मध्यपूर्व की कलीसिया के लिए एक नई पहल

पोप लेओ 13वें द्वारा 1891 में प्रकाशित प्रेरितिक विश्व पत्र "रेरूम नोवारूम" की 130वीं वर्षगाँठ पर, मध्यपूर्वी काथलिक कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष की न्याय एवं शांति के लिए बनी धर्माध्यक्षीय समिति ने एक नई पहल जारी की है जिसमें "पूर्व के लिए शांति दिवस" पर ख्रीस्तयाग अर्पित की जाएगी। इस साल यह वर्षगाँठ 27 जून को पड़ेगी। पहल का उद्देश्य है, "प्रार्थना की पूर्ण एकता में एक साथ आना"।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

पवित्र भूमि, मंगलवार, 15 जून 2021 (वीएनएस)- संत पापा फ्रांसिस द्वारा घोषित संत जोसेफ वर्ष के अवसर पर मध्यपूर्व के परिवारों को पवित्र परिवार को समर्पित किया जाएगा। इस तरह 27 जून 2021 को नाजरेथ के अनन्सियेशन महागिरजाघर में पूर्वाहन 10.00 बजे समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया जाएगा। जिसमें पवित्र भूमि के सभी धर्माध्यक्ष भाग लेंगे। इस अवसर पर पवित्र परिवार की तस्वीर पर आशीष प्रदान की जाएगी।   

नाजरेथ के पवित्र परिवार की तस्वीर जो नाजरेथ के संत जोसेफ गिरजाघर की वेदी पर स्थापित है, वहाँ परम्परा के अनुसार, येसु के पालक पिता संत जोसेफ का घर था। बाद में तस्वीर को तीर्थयात्रा में लेबनान से शुरू करते एवं पूर्वी देशों को पार करते हुए संत जोसेफ वर्ष के अंत में 8 दिसम्बर को रोम पहुँचाया जाएगा। रोम पहुँचने के बाद पवित्र तस्वीर को पुनः पवित्र भूमि वापस किया जाएगा।  

"पूर्व के लिए शांति दिवस" के अवसर पर संत पापा फ्रांसिस से प्रेरितिक आशीर्वाद की आपेक्षा की गई है। येरूसालेम के प्राधिधर्माध्यक्ष पियेर बत्तिस्ता पित्साबाला ने विश्वासियों को निमंत्रण देते हुए कहा, "आप सभी अपनी उपस्थिति द्वारा मध्यपूर्व में ईश्वर की दया और शांति हेतु प्रार्थना में भाग लेने के लिए आमंत्रित हैं और यदि संभव न हो तो आप प्रार्थना द्वारा हमारे साथ सहभागी हो सकते हैं जहाँ ख्रीस्तीय विश्वास का जन्म हुआ था और पीड़ाओं के बावजूद यह अब भी जिंदा है।"

प्राधिधर्माध्यक्ष ने कहा है कि परिवारों के समर्पण के द्वारा पवित्र परिवार में येसु मरियम और जोसेफ का आह्वान किया जाएगा कि वे राजनीतिक और आर्थिक संकट तथा कोविड-19 महामारी जिसने अस्थिरता, भय एवं चिंता की स्थिति पैदा की है इन सबके बीच वे लोगों की रक्षा करें। इस तरह युवाओं एवं परिवारों के जीवन, भूमि, भय एवं आशा को पवित्र परिवार को समर्पित किया जाएगा, जिससे कि हरेक परिवार एक घरेलू कलीसिया एवं पवित्रता का स्कूल बने।

उनकी उम्मीद है कि मध्यपूर्व में शांति एवं स्थिरता लौट आयेगी जिससे कि यहाँ निवास करनेवाले लोग समान अधिकार एवं कर्तव्यों के साथ जी सकें एवं एक स्वतंत्र और प्रतिष्ठित जीवन जी सकें चाहे वे किसी भी धर्म या राष्ट्रीय पहचान के क्यों न हों।

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15 June 2021, 16:16