प्रकृति प्रकृति 

स्कॉटिश धर्माध्यक्षों द्वारा "सृष्टि की देखभाल कार्यालय" की स्थापना

स्कॉटलैंड के धर्माध्यक्षों ने एक नये "सृष्टि की देखभाल कार्यालय" स्थापित करने की घोषणा की है तथा इसके लिए काथलिकों से कार्य करने का आह्वान किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

स्कॉटलैंड, बृहस्पतिवार, 20 मई 2021 (रेई)- स्कॉटिश धर्मप्रांतों एवं पल्लियों को उनके कार्बन निशान तक पहुँच - जो मानव गतिविधियों से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों की कुल मात्रा है और यह समझने में मदद देना कि कार्बन तटस्थता की दिशा में कैसे काम किया जाए, यह नये विशेष पर्यावरण संरक्षण विभाग का उद्देश्य है जिसे स्कॉटलैंड के काथलिक धर्माध्यक्ष स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

"सृष्टि की देखभाल कार्यालय" की स्थापना, जिसके अध्यक्ष होंगे काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव फादर जेरार्ड एच मैक्वीनेस, इसकी घोषणा 17 मई को कोप 26 (जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र के 26वें सम्मेलन) जिसको नवम्बर में ग्लासगो में आयोजित किया जाएगा, उसके पहले घोषित की गई।

बीसीओएस के अनुसार इस विचार की प्रेरणा संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक पत्र "लौदातो सी" से मिली जो सभी काथलिकों को याद दिलाता है कि उन्हें एक-दूसरे की एवं दुनिया के सभी सृष्ट जीव-जन्तुओं की देखभाल करने की जिम्मेदारी है।  

हम सभी एक ही मानव परिवार के अंग हैं और एक ही परिवार में रहते हैं

सृष्टि की देखभाल, प्रेरितिक पत्र की विषयवस्तु है जिसको वे 23 मई को, आमघर की देखभाल पर आधारित संत पापा के प्रेरितिक पत्र के प्रकाशन की 6वीं वर्षगाँठ के अवसर पर बांटेंगे।

पत्र में उस ख्रीस्तीय संदेश की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है कि "हम सभी एक ही मानव परिवार के अंग हैं और हम एक आमघर में रहते हैं अर्थात् हमारी पृथ्वी के संसाधनों को बांटा जाना है और इसे सभी के लाभ के लिए उपयोग किया जाना है।"

स्मरण दिलाया गया है कि "ईश्वर की सृष्टि मानव के लिए एक महान वरदान है और इसके संसाधनों को सुरक्षित रखा जाना है और भावी पीढ़ी के लिए हस्तांतरित किया जाना है। यद्यपि सृष्टि की देखभाल करने की जिम्मेदारी ईश्वर ने हमें दी है, हमने न केवल इसका उपयोग किया है बल्कि दुरोपयोग भी किया है।"

जीवन के पूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता   

धर्माध्यक्षों ने कहा है, "अतः एक आवश्यक एवं गंभीर कारर्वाई की आवश्यकता है अर्थात् जीवन का पूर्ण परिवर्तन करना। वास्तव में, पर्यावरण संकट न केवल एक मुद्दा है जिसको सरकार के लिए छोड़ देना चाहिए, बल्कि एक सवाल है कि हम किस तरह जी रहे हैं, काम कर रहे हैं, छुट्टियाँ बिता रहे हैं, यात्रा कर रहे हैं, समान जिनको हम खरीद रहे हैं उनका उत्पादन किस तरह किया जाता है और हम तक पहुँचाया जाता है।"

पर्यावरणीय एवं सामाजिक न्याय

धर्माध्यक्षों ने पर्यावरण की सुरक्षा एवं सामाजिक न्याय की ओर भी ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है, "यह पर्याप्त नहीं है कि हम पर्यावरण को प्रदूषित करना बंद करें बल्कि हमें दुनिया के संसाधनों में सभी मनुष्यों के अधिकार को पहचानने की जरूरत है।" उन्होंने याद दिलाया है कि कलीसिया को भी इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।   

तात्कालिकता की भावना के साथ कार्य करना

धर्माध्यक्षों के अनुसार, ये सभी प्रयास शुरूआत हैं किन्तु बहुत कुछ करना बाकी रह जाएगा, यदि हम पीढ़ियों से हो रही उपेक्षा एवं दुरूपयोग को बंद न करें। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि समय सीमित है। धर्माध्यक्षों ने अंत में कहा, "हम सभी को यह समझने के लिए तात्कालिकता की भावना के साथ काम करना चाहिए कि आवश्यक परिवर्तन करने के लिए क्या करना जरूरी है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 May 2021, 16:39