आदिवासियों के साथ किनारे खड़े फादर स्टेन स्वामी आदिवासियों के साथ किनारे खड़े फादर स्टेन स्वामी 

जेसुइट ने अस्पताल में भर्ती होने के बजाय जेल में रहना पसंद किया

फादर स्टेन स्वामी ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि कैसे जेल में उनकी तबीयत बिगड़ गई है। वे अंतरिम जमानत नहीं परंतु रांची घर पर रहना चाहते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मुम्बई, शुनिवार 22 मई 2021 (वाटिकन न्यूज) : मुम्बई हाईकोर्ट ने 84 वर्षीय भारतीय जेसुइट फादर स्टेन स्वामी की जमानत याचिका की सुनवाई अगले महीने के लिए स्थगित कर दी है, जिसका अर्थ है कि फादर स्टेन को अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के बावजूद जेल में ही रहना पड़ेगा।

भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद केस पर विचाराधीन फादर स्टेन ने रांची में अपने घर वापस जाने के लिए स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत के लिए अदालत से गुहार लगाई, जहां वे आदिवासी लोगों के लिए काम कर रहे थे। महाराष्ट्र राज्य की अदालत ने 21 मई को इसके बजाय उन्हें राज्य की राजधानी मुंबई के एक सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज की पेशकश की।

गिरती सेहत

19 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट से बातचीत करते हुए फादर. स्वामी ने मुंबई के तलोजा सेंट्रल जेल में अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया, जहां वे रांची में गिरफ्तारी के एक दिन बाद 9 अक्टूबर, 2020 से बंद है। पार्किंसन रोग, श्रवण दोष और अन्य आयु संबंधी बीमारियों से पीड़ित फादर ने बताया कि जब वे जेल पहुंचे, तो उनकी सेहत काफी अच्छी थी, लेकिन 7 महीने से अधिक जेल में उनकी सेहत गिरती जा रही है।

उन्होंने अदालत से कहा, "तलोजा जेल ने मुझे ऐसी स्थिति में ला दिया है जहां मैं न तो लिख सकता हूँ और न ही टहलने जा सकता हूँ," " पहले मैं खुद खा सकता था, कुछ लिख सकता था,  खुद चल सकता था , मैं खुद नहा सकता था, लेकिन ये सब एक के बाद एक समाप्त होते जा रहे हैं... किसी को मुझे खिलाना पड़ता है।” उन्होंने  अदालत से इस पर विचार करने के लिए कहा कि यह सब कैसे हुआ।

अस्पताल में भर्ती विकल्प

सरकारी जे.जे अस्पताल में भर्ती कराने की पेशकश किए जाने पर फादर स्वामी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह तलोजा जेल को प्राथमिकता देंगे। "नहीं, मैं नहीं चाहूंगा। मैं वहां तीन बार जा चुका हूँ। मुझे सेट-अप पता है। मैं वहां अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहता। इसके बजाय मुझे जेल में कष्ट सहना मंजूर है, अगर यही रवैया रहा तो संभवत: बहुत जल्द मर जाऊँगा। मैं जे.जे अस्पताल में भर्ती होने के बजाय जेल में रहना पसंद करूंगा। यह मेरे लिए बहुत कठिन क्षण है।"

अदालत ने कहा कि वह उसे फिलहाल रांची वापस नहीं भेज सकती, लेकिन मुंबई के काथलिक होली फामिली अस्पताल जैसे दूसरे अस्पताल में उसके बेहतर इलाज की व्यवस्था कर सकती है। उन्होंने किसी अन्य अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया। फादर स्वामी ने कहा, "मेरे साथ कुछ भी हो, मैं रांची के लोग,अपने लोगों के साथ रहना चाहूंगा।"


बुधवार को उनके स्वास्थ्य के बारे में विरोधाभासी रिपोर्ट सुनने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकारी जेजे अस्पताल में फादर के लिए मेडिकल चेक-अप का आदेश दिया, जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार को अदालत को सौंपी गई थी। अदालत ने जेल अधिकारियों से फादर स्टेन की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए उसकी सिफारिशों का पालन करने को कहा।

फादर स्वामी के खिलाफ मामला

राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने स्टेन स्वामी पर 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने और नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप लगाए हैं. साथ ही उन पर ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएँ भी लगाई हैं. जून 2018 से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने के आरोप में 16 लोगों को जेल भेजा गया है।

यह महसूस करते हुए कि उनकी गिरफ्तारी निकट थी, फादर स्वामी ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें विस्थापितों और उनकी भूमि से वंचित लोगों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की व्याख्या की गई थी, जिसके लिए उन्होंने झारखंड राज्य के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया था। भीमा कोरेगांव हिंसा से अपने संबंधों के आरोपों के बारे में उन्होंने कहा कि यह "एक ऐसी जगह है जहां मैं अपने पूरे जीवन में कभी नहीं गया।"

मामले को 7 जून तक के लिए स्थगित करते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अगर फादर स्वामी अस्पताल में भर्ती होने के लिए सहमत हैं तो उन्हें इस मामले में संपर्क करने की स्वतंत्रता है। बॉम्बे हाईकोर्ट विशेष एनआईए अदालत के अंतरिम आपातकालीन जमानत को खारिज करने के फैसले के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई कर रहा था।

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22 May 2021, 15:58