खोज

काशमीर में कोरोना वायरस काशमीर में कोरोना वायरस 

कोविद-19 पीड़ित को ओडिशा कब्रिस्तान में दफनाने से इनकार

महामारी से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या काथलिक कब्रिस्तानों में तनाव पैदा कर रही है। भारतीय ख्रीस्तियों की वैश्विक परिषद के अध्यक्ष साजन के. जॉर्ज के अनुसार दफनाने के अधिकारों से इनकार नहीं किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय सहायता के बावजूद, गोवा के अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी से लोगों की मौत हो रही है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मुंबई, शनिवार 15 मई 2021 (एशिया न्यूज) : कोविद-19 के कारण मौतों की बढ़ती संख्या ख्रीस्तियों के दफनाने के अधिकार को लेकर तनाव पैदा कर रही है।  ओडिशा में कोविद-19 से मरने वाले एक व्यक्ति को काथलिक कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं दी गई। मंजुला बीरो का 12 मई को पूर्वी भारतीय राज्य के गजपति जिले के सीतापुर कोविड अस्पताल परलाखेमुंडी में निधन हो गया। वह 63 वर्ष की थीं। पीड़ित मंजुला बीरो गजपति जिले के मोहना गांव में रहती थी। 25 साल से मानसिक विकार से पीड़ित थी। बरहामपुर धर्मप्रांत के संत पेत्रुस गिरजाघर के बगल में स्थानीय काथलिक कब्रिस्तान में दफनाया नहीं जा सका।

कोविद-19 के लिए स्थापित दिशानिर्देशों के अनुसार, एक सार्वजनिक अधिकारी ने महिला के बेटे से संपर्क किया, जो संगरोध में अपने घर पर था और इसलिए स्थानीय पुरोहित, फादर वेलेंटाइन उत्तानसिंह से अपनी माँ को स्थानीय काथलिक कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति प्राप्त करने में असमर्थ था।

गांव के प्रचारक द्वारा पूछे जाने पर पुरोहि ने कहा कि कब्रिस्तान में जगह खत्म हो रही है और कब्रिस्तान की जमीन रेतीली है और मिट्टी का क्षरण हो रहा है। इसलिए, अधिकारी ने महिला के बेटे को सुझाव दिया कि उसे कहीं और दफनाया जाए और उसने स्वीकार कर लिया।

हालांकि, गांव के हिंदू निवासियों ने महिला के अवशेषों को गांव से होते हुए ले जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसलिए अंत में, मंजुला बीरो के बेटे रजनीकांत को अपनी मां को अपने घर के पिछवाड़े में दफनाना पड़ा।

परिवार के लिए, कहानी का दुखद हिस्सा यह है कि कलसिया के अधिकारियों ने पिछले दो हफ्तों में कोविद-19 से मरने वाले चार स्थानीय लोगों को नियमों का पालन करते हुए स्थानीय कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति दी थी।

भारतीय ख्रीस्तियों की वैश्विक परिषद(जीसीआईसी)  के अध्यक्ष साजन के. जॉर्ज ने काथलिक दफन के इनकार की कड़ी निंदा की।  उनके विचार में, मृत महिला के धार्मिक और मानव अधिकारों से वंचित कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, "काथलिक दफन संस्कार से इनकार एक परिवार की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है जो पहले से ही आहत है।" "सरकार कोविद-19 के ख्रीस्तीय और मुस्लिम पीड़ितों को दफनाने की अनुमति देती है और बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी उस अधिकार को सुनिश्चित किया है।"

पल्ली पुरोहित ने मांगी माफी

मैटर्स इंडिया के अनुसार बाद में फादर वेलेंटाइन उत्तानसिंह ने पल्ली कब्रिस्तान में कोविड पीड़िता को दफनाने की अनुमति नहीं देने के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा, "मुझे खेद है और इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए शोक संतप्त परिवार से माफी मांगता हूँ।"

फादर सिंह ने कहा कि पल्ली पुरोहित, तहसीलदार, गांव के बुजुर्गों और शोक संतप्त परिवार के बीच उचित संवाद की कमी थी।"

मंजुला की मृत्यु के बाद, उसके बेटे रजनीकांत ने मोहना तहसीलदार (मध्य स्तर के कर अधिकारी) से महिला के अंतिम संस्कार की अनुमति के लिए कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार संपर्क किया था। रजनीकांत शुरू में पल्ली गिरजाघर से सटे आम ​​काथलिक कब्रिस्तान में अपनी मां को दफनाने की अनुमति के लिए अपने पुरोहित से पहले मिल सकता था।

 “हैदराबाद के महाधर्मप्रांत ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें जोर दिया गया है कि शवों को एक ताबूत के अंदर रखने से पहले एक लीक-प्रूफ ज़िप बैग में सील कर दिया जाना चाहिए। ताबूत को जमीन में गाड़ने के बाद कब्र को साफ किया जाना चाहिए। ”

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय सहायता के बावजूद, अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से कोविद-19 रोगियों की मौत जारी है। बम्बोलिन (गोवा) में सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी के कारण सामान्य मौतों की तुलना में लगातार तीन दिन अधिक मौतें (62) देखी गई।

गोवा के उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए मामले में हस्तक्षेप किया और कहा, “आंकड़े बताते हैं कि मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रही हैं। तथ्य को नकारने की कोशिश न करें। हम जानते हैं कि अभी तक इस मुद्दे को सुलझाया नहीं गया है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 May 2021, 13:54