खोज

घरेलू हिंसा की शिकार महिला घरेलू हिंसा की शिकार महिला 

महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरूद्ध क्यूबेक के धर्माध्यक्षों की प्रार्थना

क्यूबेक में फरवरी और मार्च के बीच सात महिलाओं की हत्या उनके पति अथवा पुरूष साथी ने कर दी है, और इस पूरे कोविड-19 महामारी के दौरान कुल 14 लोगों की हत्या हुई है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

क्यूबेक, मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 (वीएनएस)- क्यूबेक के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने कलीसिया एवं समाज समिति के माध्यम से एक प्रेस बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि "चाहे एक पीड़ित, बहुतों के लिए एक शिकार हो, विश्वास के व्यक्ति के रूप में हम अपनी आवाज उन संगठनों के साथ मिलाते हैं जो वैवाहिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हैं। हम राष्ट्र की सरकार से कारर्वाई की मांग करते हैं, कि वह  'पुनर्निर्माण ट्रस्ट' में निहित 190 सिफारिशों की रिपोर्ट को लागू करे और इसके कार्यान्वयन को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित करे।" 

यौन एवं घरेलू हिंसा से पीड़ित लोगों के हित में 15 दिसम्बर 2020 को आधिकारिक रूप से प्रस्तुत इस रिपोर्ट को 21 विशेषज्ञ की समिति के द्वारा दो वर्षों में तैयार की गई थी। इसका लक्ष्य है नए उपायों को लागू करने और समान हिंसक कृत्यों से पीड़ितों के लिए न्याय प्रणाली में अधिक प्रभावी सेवाएं प्रदान करने हेतु विचार किए जानेवाले मुद्दों की रूपरेखा तैयार करना।

धर्माध्यक्षों ने लिखा, "हम मानते हैं कि वर्तमान परिस्थिति को बदला जा सकता है ताकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्त हो और उनपर विश्वास किया जाए एवं उनके बच्चों के साथ उनकी रक्षा की जा सके।" धर्माध्यक्षों ने इस बात पर भी ध्यान आकृष्ट किया है कि "महिलाएँ अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को प्राप्त कर सकें और हिंसक पुरूष अपनी "आक्रामकता को रोकने और अपराध के जोखिम को कम करने के लिए लक्षित सेवाओं द्वारा समर्थित हों"।  

क्यूबेक के धर्माध्यक्षों ने येसु का अनुकरण करने का सलाह दी है जिन्होंने अपने समय में हाशिये पर जीवनयापन करनेवाली महिलाओं को सम्मान दिया तथा सिखाया कि पड़ोसी से प्रेम करना सब कुछ से बढ़कर है। उनका पुनरूत्थान हमें वर्तमान दुनिया में हिंसा एवं बुराई का सामने करने हेतु आशा प्रदान करता है। 

धर्माध्यक्षों के पत्र के साथ कुछ खास पहलों का भी जिक्र किया गया है, उदाहरण के लिए 31 मार्च को हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए क्यूबेक के गिरजाघरों में घंटियाँ बजायी गई। 2 अप्रैल पुण्य शुक्रवार के दिन क्रूस रास्ता के दौरान, उनके लिए विशेष प्रार्थना की गई। उन्होंने येसु के समान क्रूस ढोया। धर्माध्यक्षों ने कहा कि हम उनपर कलीसिया के भीतर एवं बाहर हुए दुराचार की निंदा करते हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि हमारी कलीसिया एवं समाज, उनकी सुरक्षा, रोक एवं शांति के लिए एक आदर्श बने।    

एक विशेष प्रार्थना आदिवासी महिलाओं के लिए भी की गई ˸ उनमें से कई लापता हैं अथवा मार डाले गये हैं और कुछ लोगों को खासकर मेडिकल विभाग में हिंसा एवं भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यही कारण है कि सुनने, वार्ता करने एवं जातिवाद को दूर करने का प्रोत्साहन दिया गया है। अंततः मानव तस्करी, युद्ध और धार्मिक अत्याचार के शिकार लोगों की भी याद की गई है और प्रार्थना की गई है कि धर्म शांति एवं एकता का साधन बने। 

 

 

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

13 April 2021, 15:35