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कहानी

कैमरून: प्रकृति की देखभाल कुपोषण से लड़ने का एक तरीका

कैमरून की अड़तीस प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। कारितास यागौआ ने मुनगा/सहजन की पत्तियों और बीजों का उपयोग करके बाल कुपोषण से निपटने के लिए एक परियोजना शुरू की है जो प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर है। इतालवी मिशनरी और परियोजना समन्वयक फाबियो मुस्सी का कहना है कि वे "लौदातो सी" के माध्यम से संत पापा फ्राँसिस को सीधे बात करते हुए सुनते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कैमरुन, बुधवार 14 अप्रैल 2021 (वाटिकन न्यूज) : "स्थानीय लोगों के साथ काम करने के अनुभव द्वारा अफ्रीका में कुपोषण की त्रासदी के खिलाफ लड़ाई में नए तरीकों की शुरुआत की गई। कैमरून के उत्तरी भाग में यागौआ धर्मप्रांत के कारितास समन्वयक ब्रदर फाबियो मुस्सी संत पापा फ्राँसिस के विश्वपत्र लौदातो सी की "चुनौती" को महसूस करते हैं। संत पापा के निमंत्रण के अनुसार उन कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में सक्षम हैं जिससे मानवता और हमारे आम घर की रक्षा में सकारात्मक हस्तक्षेप हो और उदारतापूर्वक सावधानी से कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। मूल रूप से लेपसी (इटली) के ब्रदर फाबियो मुस्सी, ग्यारह साल से पीमे मिशनरी के रुप कैमरून में काम कर रहे हैं जहाँ 39% आबादी गरीबी स्तर से नीचे जीवन व्यतीत करती है: 2019 मानव विकास सूचकांक कैमरून 180 देशों में से 153 वें स्थान पर है।

यागौआ में कारितास का काम

कैमरून में अकाल, जलवायु परिवर्तन, इस एंग्लोफोन क्षेत्र में क्षेत्रीय अस्थिरता, बच्चों, परिवारों और पूरे समुदायों के प्रति हिंसा, नाइजीरियाई बोको हराम इस्लामिक चरमपंथियों के अतिक्रमण से आबादी और अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि को खतरा है।

यागौआ कारितास द्वारा निर्मित एक स्कूल
यागौआ कारितास द्वारा निर्मित एक स्कूल

इस संदर्भ में यागौआ में कारितास विशेष रूप से अनेक परियाजनाएँ संचालित करता है। जहां यह हाइड्रोलिक परियोजनाओं को विकसित कर रहा है और पानी पीने के लिए कुओं का निर्माण और मरम्मत (100 नए ढांचे और प्रत्येक वर्ष 80 मरम्मत), 32 प्राथमिक और प्री-स्कूल, सात ट्रेड स्कूल और दो उच्च विद्यालयों में लगभग 10 हजार छात्रों के लिए शैक्षिक परियोजनाएं, स्वास्थ्य देखभाल परियोजनाएं, कई क्लीनिकों के साथ और तुलुम में एक धर्मप्रांतीय अस्पताल (यगौआ से लगभग 60 किमी), विस्थापितों और शरणार्थियों को सहायता प्रदान करने वाली परियोजनाएँ, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने वाली परियोजनाएं। वर्षों से विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहयोग से, स्थानीय कारितास एजेंसियों ने लेक चाड क्षेत्र में 12 हजार बच्चों की सहायता करने वाली एक परियोजना का प्रबंधन किया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा खाद्य पूरक किट वितरित किए गए हैं।

संकट

ब्रदर फाबियो ने वाटिकन न्यूज़ को बताया "कैमरून के उत्तरी क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से अधिक गंभीर कुपोषण दर है।" देश के दस क्षेत्रों में से छह विकास दर में एक स्टंट रिकॉर्ड करते हैं और एक क्रोनिक कुपोषण दर 30% से अधिक है। जिस क्षेत्र में ब्रदर फाबियो काम करते हैं, वहाँ 40% है। उनका अनुमान है कि इस क्षेत्र में करीब 40 हजार बच्चे कम वजन वाले हैं जिन्हें इलाज की आवश्यकता है। यह भी कहा जाना चाहिए कि ये मामले दर्ज हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह वास्तविक स्थिति है, क्योंकि कई मामलों में, सामान्य असुरक्षा और समस्याओं को देखते हुए, यह औसत वास्तव में बहुत अधिक हो सकता है। इसके अलावा, 2020 में हमने भारी बाढ़ का भी अनुभव किया। कुछ क्षेत्रों में बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो गई, बाकी बचे फसलों को पैचीडर, हाथी और गैंडों ने रौंद दिया।

ब्रदर फाबियो ने बताया कि यह क्षेत्र परिधि में होने के कारण कोविद महामारी के प्रभाव से दूर है, हालांकि यहाँ मलेरिया और हैजा जैसी अन्य बीमारियां हैं। मेनिन्जाइटिस के कई मामले हैं, खासकर "फरवरी और मार्च के बीच, जब यह गर्म और शुष्क होता है और रेगिस्तान से हवा चलती है।"

एक स्थानीय समाधान

यगौआ धर्मप्रांत के कारितास समन्वयक बताते हैं, "हमारे क्षेत्रों में कुपोषण दर के विश्लेषण से हम जागरूक हो गए।" "इस समय हमारे लिए एकमात्र प्रभावी प्रणाली भोजन की खुराक वितरित करना है। यह अभी बहुत महत्वपूर्ण है। खाद्य असुरक्षा और कुपोषण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां हस्तक्षेप कर रही हैं। लेकिन हमने अपने आप से पूछना शुरू किया यह कब तक चल सकता है क्योंकि भोजन की खुराक में पैसा खर्च होता है। जब ये संगठन छोड़ देंगे, तो क्या उसी आयातित उत्पादों के साथ कुपोषण के खिलाफ लड़ना संभव होगा? "

ब्रदर फाबियो ने कहा, "इस जगह और आस-पास के देशों के अनुभवों का अध्ययन कर हमने पाया कि स्थानीय, आंतरिक समाधान मौजूद हैं। सबसे अधिक गुणकारी एक स्थानीय, काफी व्यापक, मुनगा या सहजन का पेड़। इसके पत्तों में बच्चों के लिए पोषक तत्व है जो कम खर्च में प्राप्त किये जा सकते हैं।”

मुनगा की खेती
मुनगा की खेती

मिशनरी बताते हैं, “मुनगा का पेड़ भारत मूल का है, लेकिन दशकों से यहां मौजूद है। यह उष्णकटिबंधीय तापमान और सूखे को सहन करता है। इसके अलावा, यह तेजी से बढ़ता है और पत्तियों और बीजों का उत्पादन करता है जो वनस्पति प्रोटीन, खनिज और विटामिन से भरपूर होते हैं। इसलिए, स्थानीय स्तर पर इसकी खेती और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट परिणाम हो सकते हैं। इसके पत्तों को इलाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है। पत्तों को छाया में सुखाने के बाद इसे आप उन्हें अपने भोजन में मिला सकते हैं या उन्हें चाय की तरह प्रयोग में ला सकते हैं। हमारे पास जो डेटा है वह अन्य अफ्रीकी देशों में परीक्षण किया गया है और कई विश्वविद्यालयों द्वारा सत्यापित किया गया है।  सभी कुपोषित बच्चे जिन्हें इलाज की आवश्यकता है, ताकत और वजन हासिल करने के लिए तीन महीने तक हर दिन एक चम्मच मुनगा पाउडर दिया जाता है।” खाद्य और कृषि संगठन एफएओ के अनुसार मुनगा की पत्तियां प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी और खनिज लवणों एवं फासफोरस से भरपूर होती हैं और यह गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं और छोटे बच्चों को इसका उपयोग करने का शिफारिश करती है।

लौदातो सी और मुनगा पायलट प्रोजेक्ट

ब्रदर फाबियो संत पापा की बातों पर जोर देते हुए कहते हैं, "संत  पापा फ्रांसिस कहते हैं, हमारे और हमारे आम घर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का आधार 'दूसरों के अधिकारों की मान्यता' से शुरू होता है।संत पापा वैज्ञानिक प्रगति के परिणामों और अनुभवों को महत्व देने के लिए हमें आमंत्रित करते हैं, इसे आम अच्छे के लिए विभिन्न स्थितियों के लिए अनुकूल करते हैं। संत पापा बताते हैं, ‘प्रेरणा और शिक्षा की प्रक्रिया के बिना परिवर्तन असंभव है’, हमारे लिए, इसका मतलब है कि कभी-कभी हमें पूर्व-गढ़े हुए समाधानों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें नए समाधानों की तलाश करनी चाहिए जो कि विश्वपत्र द्वारा प्रस्तावित मूल्यों को ध्यान में रखते हैं। इस कारण से कारितास यागौआ  मुनगा पायलट परियोजना के साथ आगे बढ़ रहा है।

मुनगा परियोजना में शामिल ब्रदर फाबियो और अन्य
मुनगा परियोजना में शामिल ब्रदर फाबियो और अन्य

“हमने पहले ही योजना बनाई थी कि जून 2019 में हम खुद पौधे की खेती करेंगे। हमने फार्म और कृषि आयोजकों के बीच बीज का वितरण किया। लगभग 500 मुनगा के पेड़ बढ़ने लगे। हमने पत्तियों को तोड़ा और सुखाकर पाउडर बनाया, इसके छोटे पैकेट तैयार किए, प्रत्येक का वजन 50 ग्राम, लगभग 500 सीएफए फ्रैंक की कीमत पर, यानी लगभग 80 सेंट (यूरो)। जहां हम काम करते हैं और काथलिक स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में सितंबर 2020 से, हमने उन महिलाओं को बिना किसी शुल्क के वितरित करना शुरू कर दिया। जिन माताओं की कुपोषण की समस्या वाले बच्चे हैं, वे इस प्रकार पौधे लगाने के लिए या तो अंकुर या बीज प्राप्त कर सकते हैं ताकि वे अपने घरों में पेड़ लगा कर पत्तियों का प्रयोग कर सकें। यह महत्वपूर्ण है कि “कुपोषण जैसी कुछ विकृति का इलाज करने के बारे में इन महिलाओं को बताया जाता है ताकि वे अनपढ़ होने के बावजूद, जान सकें कि अपने बच्चों की अच्छी देखभाल करने का मतलब है कि सभी के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करना।”

·         मुनगा पेड़, सहजन पेड़, मोरिंगा पेड़ और ड्रमस्टिक पेड़ के नाम से भी जाना जाता है।

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14 April 2021, 14:37