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लाओस के पास्टर एक साल की सजा के बाद रिहा हुए

लाओस के पास्टर सिथोन थिप्पावोंग को एक साल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। धार्मिक समारोह का अनुष्ठान करने के कारण उनपर एकता भंग करने का आरोप लगाया गया था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

लाओस, मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 (वीएनएस)- ख्रीस्तीय विश्वास के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान के बाद, एकता भंग करने के आरोप में जेल भेजे गये लाओस के पास्टर सिथोन थिप्पावोंग को रिहा किया गया है।

ऊका न्यूज के अनुसार, सवन्नाखेत प्रांत के 35 वर्षीय ख्रीस्तीय पास्टर पर प्रांतीय अदालत ने 6 अप्रैल को शांति में बाधा डालने एवं अव्यवस्था लाने के आरोप में जेल की सजा सुनायी थी लेकिन तीन दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई का क्यूनिष्ट देश में लम्बे समय से पीड़ित अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय समुदाय द्वारा सहर्ष स्वागत किया गया है।

सिथोन पर दो मामलों में 4 मिलियन किप (426 डॉलर) का जुर्माना भी लगाया गया था।

लाओस एक क्यूनिष्ट देश है जहाँ बौद्ध धर्म मानने वालों की बहुलता है। एनिमिस्ट, और ख्रीस्तीय लोगों को कानून के द्वारा कुछ सीमाओं के साथ अपने विश्वास को मानने की अनुमति दी गई है, फिर भी, पूरे देश के स्थानीय अधिकारी ख्रीस्तियों को विध्वंसक विदेशी धर्म को माननेवाले लोगों के रूप में देखते हैं।  

सिथोन को 15 मार्च 2020 को स्थानीय अधिकारियों द्वारा बिना अनुमति के धार्मिक अनुष्ठान का नेतृत्व करने की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था।  

गिरफ्तार किये जाने के दिन, जब पास्टर एक प्रार्थना सभा की तैयारी कर रहे थे तभी सात पुलिस कर्मी आये और उसे स्थगित करने को कहा। अधिकारियों ने ख्रीस्तियों को अपना विश्वास त्याग देने के लिए एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला किन्तु जब सिथोन ने उसे इन्कार कर दिया तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

पास्टर का मामला मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए खास बात हो गई क्योंकि यह लाओस में लगातार हो रहे भेदभाव पर ध्यान खींचता है। लाओस में कुल आबादी 7 मिलियन है जिसमें ख्रीस्तियों की संख्या करीब 1,50,000 है जिन्हें क्यूनिष्ट अधिकारियों के हाथों एवं स्थानीय विद्रोहियों का सामना करना पड़ता है।

पिछले महीने के अंत में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मानवाधिकार वॉच डिप्टी डायरेक्टर  फिल रॉबर्टसन, ने सिथोन की गिरफ्तारी और साल भर की हिरासत को "एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन" कहा था।

उन्होंने कहा था कि लाओस के अधिकारियों को चाहिए कि वे पास्टर सिथोन को रिहा कर दें और गिरफ्तारी एवं कैद के लिए उनसे माफी मांगें। अधिकारियों को उन लोगों के अधिकार एवं स्वतंत्रता का हनन नहीं करना चाहिए जो धर्मों में विश्वास करते हैं।

सिथोन के गाँव के ख्रीस्तीयों ने उनकी रिहाई पर खुशी व्यक्त की है।

एक ख्रीस्तीय ने फ्री एशिया लाओस सर्विस रेडियो से बातें करते हुए कहा, "मैं खुश हूँ अत्यन्त खुश हूँ कि उन्हें रिहा किया गया है। हमने पास्टर सिथोन के लिए एक साल तक प्रार्थना की है।"

"हम बहुत उत्साहित हैं कि वे अब भी जीवित हैं और अंततः ईश्वर द्वारा बचा लिये गये हैं। वे जेल में बीमार हो सकते थे किन्तु वे अब ईश्वर की सेवा पुनः कर पाने के लिए बहुत खुश होंगे।"

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13 April 2021, 15:56