पवित्र मिस्सा के लिए पवित्र रोटी और दाखरस पवित्र मिस्सा के लिए पवित्र रोटी और दाखरस 

कोविड-19 महामारी समाप्त होने पर यूखरिस्त जीवन का केंद्र बने

इंगलैंड एवं वेल्स के धर्माध्यक्षों ने आमसभा के बाद एक चिंतन प्रस्तुत किया है एवं विश्वासियों को निमंत्रण दिया है कि वे कलीसिया एवं उसके संस्कारों को पीछे मुड़कर देखें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इंगलैंड, मंगलवार, 27 अप्रैल 2021 (वीएनएस)- इंगलैंड एवं वेल्स के धर्माध्यक्षों ने पिछले सप्ताह हुई आमसभा के बाद अपने संदेश में कहा है कि महामारी के बाद अपने जीवन के केंद्र में रविवारीय मिस्सा बलिदान को रखें।

महामारी के बाद की स्थिति पर चिंतन करते हुए उन्होंने विश्वासियों को प्रोत्साहन दिया है कि वे गिरजा जाएँ एवं संस्कारों को ग्रहण करें।

"प्रभु का दिन", विषयवस्तु पर लिखे पत्र में धर्माध्यक्षों ने परिवारों, पल्लियों, समुदायों एवं उन सभी लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है जिन्होंने अस्पतालों, देखभाल केंद्रों, स्कूलों और कैदखानों में पिछले साल के विकट समय में अथक रूप से काम किया है।

धर्माध्यक्षों ने पुरोहितों के नेतृत्व पर ध्यान देने का आह्वान किया है तथा उन लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट किया है जिन्होंने भूखे लोगों को भोजन दिया है।

"कई बार भोजन परोसकर दिखाई गई उदारता ने करुणा, प्रेम और दया के भाव को प्रकट किया है जो ईश्वर के हृदय में है। कई लोगों ने गरीबों में ईश्वर से मुलाकात करने के आनन्द को महसूस किया है और अनेक गरीबों ने निःस्वार्थ भाव से मदद करनेवाले पल्लीवासियों में ख्रीस्त से मुलाकात की खुशी पायी है।"

महामारी के बाद का समय चुनौती देता है

जब धर्माध्यक्षों ने महामारी के दौरान बाहर निकलकर दूसरों तक पहुँचने की सराहना की है उन्होंने महामारी के बाद की दुनिया पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने उन लोगों के पास पहुँचे की आवश्यकता महसूस की है जिन्होंने गिरजा जाने की आदत खो दी है और कुछ लोग ऐसे हैं जो महामारी के समय में पहली बार काथलिक कलीसिया के सम्पर्क में आये।

एक अन्य तरह के लोग भी हैं जिनके पास वे जाना चाहते हैं जो काथलिक उपासना के ढांचे में पुनः ढलना नहीं चाहते – हो सकता है कि उन्होंने अपने जीवन के आध्यात्मिक आयाम और उस आध्यात्मिक खोज की सामूहिक अभिव्यक्ति के बीच एक खाई को चौड़ा होते देखा हो।

कलीसिया के खजाने

धर्माध्यक्षों ने कहा है कि चुनौतियों से ऊपर उठने के लिए कलीसिया का सच्चा खजाना है पवित्र यूखरिस्त।

उन्होंने कहा, "यह यूखरिस्त है, मिस्सा समारोह है, जिससे कलीसिया बनती है; और पवित्र आत्मा की कृपा से कलीसिया, यूखरिस्त बनाती है। पवित्र मिस्सा बलिदान ही कलीसिया का जीवन रक्त है। यह हमारे सक्रिय सहभागिता की मांग करता है, पूर्ण रूप से एवं शारीरिक उपस्थिति में मनाये जाने की मांग करता है।"

रविवारीय मिस्सा

चिंतन में उन्होंने रविवारीय मिस्सा के महत्व पर प्रकाश डाला है तथा कहा है कि इसे महामारी के बाद जीवन के केंद्र में रखा जाना चाहिए।  

अंत में, उन्होंने विश्वासियों को निमंत्रण दिया है कि वे रविवार को सप्ताह की आत्मा, प्रकाश और हरेक दिन के जीवन की जिम्मेदारियों को अर्थ प्रदान करनेवाले के रूप में देखें। रविवारीय यूखरिस्त को हमारे मिशन जो हमें दिया गया है उसके लिए पोषण के रूप में देखें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

27 April 2021, 16:26