संत पापा के प्रति आभार प्रकट करते कार्डिनल ताग्ले संत पापा के प्रति आभार प्रकट करते कार्डिनल ताग्ले 

कार्डिलन ताग्ले द्वारा फिलीपीनियों की ओर से संत पापा के प्रति कृतज्ञता के भाव

फिलीपीन्स में ख्रीस्तीयता की 500वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में धन्यावादी मिस्सा के उपरांत कार्डिलन ताग्ले ने संत पापा फ्रांसिस को फिलीपींस के सभी विश्वासियों की ओर से अपने हृदय के उद्गार प्रकट किये।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 मार्च 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने फिलीपीन्स में कलीसिया की 500वीं वर्षगाँठ के अवसर पर फिलीपिनी समुदाय के साथ संत पेत्रुस के महागिरजाघर में मिस्सा बलिदान का अनुष्ठान किया।

मिस्सा समाप्ति के पूर्व मनीला के पूर्व महाधर्माध्यक्ष अंतोनियो ताग्ले ने फिलीपिनी समुदाय के संग  संत पापा की निकटता और सहृदयता हेतु उनका शुक्रिया अदा किया।

सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल ताग्ले ने भावविभोर रुधें स्वर में कहा कि प्रवासी फिलीपिनी जब कभी अपने नाना-नानी और दादा-दादी की कमी का एहसास करते हैं तो वे संत पापा की ओर अपनी निगाहें फेरते हैं जो उनके लिए लोलो कीको के समान हैं।

फिलीपींस की कलीसिया ने संत पापा के साथ अपने देश में सुसमाचार के आगमन का 500वाँ वर्षगाठ मनाया

कार्डिनल ताग्ले ने ख्रीस्तयाग में अगुवाई करने हेतु कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संत पापा फ्रांसिस से कहा कि फिलीपीन्स के ख्रीस्तीय विश्वासी 500वीं सालगिराह पर मिस्सा की अगुवाई हेतु आप का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। हम फिलीपीन्स के 7641 द्वीपों से पुत्रवत प्रेम को प्रकट करते हैं। विश्व के सौ देशों में करीबन दस मिलियन से अधिक फिलीपीनी प्रवासियों की तरह रहते हैं। इस प्रातःकालीन मिस्सा में वे हम सभी से जुड़े हुए हैं। कार्डिनल के कहा कि हमारे लिए और रोम में सभी शरणार्थियों के लिए आप की सोच को हम अपने जेहन में संजो कर सकते हैं। हमें इसका एहसास ऱोम धर्मप्रांत के विकर कार्डिनल आजेलो दे दोनातीस और धर्माप्रांत शरणार्थी कार्यायल के संचालक मान्यवर पियेपावलो फेलिकोलो और फिलीपीनीं के क्रेन्दीय समुदाय हेतु नियुक्त पुरोहित रिकी गेंट की अभिव्यक्तियों में होता है।

हमारे देश में ख्रीस्तीयता का आना ईश्वर का उपहार है। इस उपहार को लोगों ने बहुतायत में ग्रहण किया और यह ईश्वर का उपहार रहा। वर्तमान में फिलीपीन्स की कलीसिया विश्व में तीसरी बड़ी कलीसिया है। यह सचमुच ईश्वर का उपहार है। हमारे विश्वास का श्रेय ईश्वर के प्रेम, उनकी करूणा और निष्ठा को जाता है, यह हमारे किसी अच्छाई का परिणाम नहीं है।

सन् 1521 से 2021 तक हम ईश्वर के उपहार को एक के बाद एक देखते हैं। हम 500 सालों के उपहारों के वाहक उन शुरूआती प्रेरितों, धर्म समाजों, धर्मबधुओं, नाना-नानियों और दादा-दादियों, माता-पिता, शिक्षकोँ, प्रचारकों, पल्लियों, विद्यालयों, अस्पतालों,अनाथ आश्रमों, किसानों, मजदूरों, कलाकारों, और गरीबों के लिए ईश्वर का धन्यवाद अदा करते हैं जिन्होंने येसु को अपना धन स्वरूप देखा। ईश्वर की क़ृपा से फिलीपीनी ख्रीस्तीय समुदाय ने विश्वास को निरंतर पाया जिसका स्रोत गरीबी, आर्थिक असमानता, राजनीतिक उथल-पुथल, तूफानें, भूकम्प और यहाँ तक की वतर्मान की महामारी रही हैं। अपने विश्वास को जीने में अपनी अफसलता को स्वीकारते हुए हम इस बात को भी पाते हैं कि ख्रीस्तीय विश्वास ने फीलिपीनी संस्कृति और देश को बनाने में मदद की है।   

उपहार सदा एक उपहार रहे इसके लिए हमें इसे निरंतर बांटना है। यदि यह केवल हमारे लिए रह जाता तो यह एक उपहार नहीं रह जाता। ईश्वर की रहस्यात्मक योजना में उपहार लाखों की संख्या में फिलिपीनी प्रवासियों के द्वारा विश्व के विभिन्न स्थानों में बांटा जा रहा है। हमने अपने परिवारों को छोड़ा हैं उनका परित्याग नहीं किया है जिससे हम उनके भविष्य की देखरेख कर सकें। उनके प्रेम के खातिर हम जुदाई के दुःख को सहन करते हैं। अपने जीवन के अकेलेपन में फिलिपीनी प्रवासी येसु में अपनी शक्ति पाते हैं जो हमारे साथ चलते हैं जो हमारे लिए एक बालक बने जो येसु नाजरी के रुप में जाने गये, जिन्होंने हमारे लिए क्रूस उठाया। हम अपने में माता मरियम के सहचर्य भरे आलिंगन और संतों की सुरक्षा का अऩुभव करते हैं। जब हम अपने परिवारों की कमी अनुभव करते हैं तो हम पल्ली अपने दूसरे घर की ओर रूख करते हैं। जब हमारे साथ कोई बात करनेवाला नहीं होता तो हम पवित्र परमप्रसाद में उपस्थित येसु को अपने हृदय की बातें बतलाते और उऩकी बातों में चिंतन करते हैं। हम उन बच्चों को अपनी संतान की तरह देख-रेख करते जिनकी जिम्मेदारी हमें सौपी जाती है, और बुजुर्ग को अपने माता-पिता की तरह देखते हैं। हम गाते, मुस्कुराते, हंसते, रोते और खाते हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि हम प्रवासी फिलिपीनियों द्वारा येसु के नाम, कलीसिया की सुन्दरता, न्याय, करूणा और ईश्वर की खुशी दुनिया के सीमांतों तक पहुँचें। यहाँ रोम में जब हम अपने नाना-नानी की कमी का एहसास करते हैं तो हम यह अनुभव करते हैं कि हमारे लिए एक लोलो कीको हैं। संत पापा, आपको सारे हृदय से धन्यवाद।

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15 March 2021, 10:21