राख बुधवार की धर्मविधि शरीक हुए भारतीय काथलिक, प्रतीकात्मक तस्वीर राख बुधवार की धर्मविधि शरीक हुए भारतीय काथलिक, प्रतीकात्मक तस्वीर 

उत्तरप्रदेश में नये धर्मातरण विरोधी कानून पर धर्माध्यक्ष मथायस

लखनऊ के काथलिक धर्माध्यक्ष जेराल्ड जॉन मथायस ने राज्य में पारित नवीन धर्मान्तरण विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया दर्शाते हुए कहा कि राज्य में पहले ही से बलात धर्मान्तरण के लिये विधेयक था इसलिये इस नये कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 26 फरवरी 2021 (ऊका समाचार): लखनऊ के काथलिक धर्माध्यक्ष जेराल्ड जॉन मथायस ने राज्य में पारित नवीन धर्मान्तरण विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया दर्शाते हुए कहा कि राज्य में पहले ही से बलात धर्मान्तरण के लिये विधेयक था इसलिये इस नये कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी।

उत्तर प्रदेश में 24 फरवरी को, विरोध प्रदर्शनों के बीच, बल और कपटपूर्ण तरीकों से किए गए धर्मांतरण को रोकने के लिए एक कानून पारित किया गया। नवीन विधेयक में उल्लंघन कर्त्ताओं को 10 साल तक कारावास और 50,000 रुपये के अधिकतम ज़ुर्माने का प्रावधान है।

नया विधेयक अनावश्यक

धर्माध्यक्ष मथायस ने ऊका समचार से कहा, "नए विधेयक की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि उत्तरप्रदेश में पहले से ही धर्मान्तरण की जांच के लिए एक बिल था, लेकिन यह चिंता का विषय है क्योंकि बलात धर्मान्तरण के नाम पर बहुसंख्यक समूहों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है, विशेष रूप से, अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ।"

उन्होंने कहा, "काथलिक कलीसिया देश में धर्मान्तरण को बढ़ावा नहीं देती है। वह न तो धर्मान्तरण का प्रचार करती है और न ही बलात धर्म परिवर्तन में विश्वास करती है, और जहां तक मेरे राज्य में कलीसिया का सवाल है, वहां किसी भी व्यक्ति के धर्मान्तरण का कोई कोई रिकॉर्ड नहीं है।"

विश्वास की जाँच मानवाधिकार का उल्लंघन

धर्माध्यक्ष मथायस ने कहा, काथलिक कलीसिया बहुत सी लोकोपकारी एवं धर्मार्थ काम में लगी हुई है और हमारी मुख्य चिंता यह है कि हमारे उदारतापूर्ण कार्यों को ग़लत अर्थ लगाया जा सकता है या फिर कहा जा सकता है कि इसका उद्देश्य धर्मान्तरण है।" उन्होंने कहा कि "भारतीय संविधान इस बात की गारंटी देता है कि हम अपनी पसंद के अनुसार किसी भी धर्म का पालन करें, और इस विधेयक को लाना किसी के विश्वास की जाँच करना है, जो मानव अधिकार का उल्लंघन है।"

उत्तर प्रदेश में काँग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के विरोध के बावजूद 24 फरवरी को धर्मान्तरण विधेयक पारित कर दिया गया। नए बिल के तहत, धर्म परिवर्तन के बाद की गई शादी को शून्य घोषित किया जाएगा और “नए बिल के तहत, अगर धर्म परिवर्तन के बाद शादी की गई तो उस शादी को अशक्त और शून्य घोषित किया जाएगा।

इसके अलावा, जो लोग शादी के बाद अपना धर्म बदलना चाहते हैं, उन्हें ज़िला मजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा। विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अनुचित प्रभाव, खरीद या धोखेबाज़ी के माध्यम से या विवाह के द्वारा किसी भी अन्य धर्म के किसी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं करेगा। जो लोग शादी के बाद अपना धर्म बदलना चाहते हैं, उन्हें जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा।

लगभग 20 करोड़ की आबादी के साथ उत्तर प्रदेश, भारत में, सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। हालांकि, राज्य में ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की संख्या मात्र 3,50,000 है।

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26 February 2021, 11:47