कृषि कानून के विरुद्ध प्रदर्शन करते हरियाणा के कनदेला गाँव के किसान, 03.02.2021 कृषि कानून के विरुद्ध प्रदर्शन करते हरियाणा के कनदेला गाँव के किसान, 03.02.2021 

भारतीय काथलिक मंच ने किया हड़ताली किसानों के समर्थन का वादा

भारत के सर्वाधिक विशाल काथलिक लोकधर्मी मंच ने हड़ताली किसानों को समर्थन देने का वादा किया है। भारतीय किसान सरकार के तीन अन्यायी कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 5 फरवरी 2021 (ऊका समाचार): भारत के सर्वाधिक विशाल काथलिक लोकधर्मी मंच ने हड़ताली किसानों को समर्थन देने का वादा किया है। भारतीय किसान सरकार के तीन अन्यायी कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं।

किसानों के प्रति एकात्मता

एशिया के सबसे प्रमुख लोकधर्मी काथलिक मंच के रूप में विख्यात ऑल इन्डिया काथलिक यूनियन (एआईसीयू) ने कहा कि उसके हज़ारों सदस्य भी किसान हैं जो धान, तिलहन, कॉफ़ी, नारियल, सुपारी और मसालों के उत्पादन में संलग्न हैं।

काथलिक मंच के अध्यक्ष लान्सी डिकूना ने कहा, "हम स्वाभाविक रूप से सभी धर्मों के किसानों,  मछुओं और कारखानों में कामगार लोगों के प्रति एकात्मता दर्शातें हैं। हम जानते हैं और समझते हैं कि किसान का कितना श्रम और पसीना देश के लिए खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात हेतु नकदी फसलों में जाता है।"

काथलिक मंच के वकतव्य में ध्यान दिलाया गया कि "यूरोप और दुनिया के कई क्षेत्रों में सरकारें अपने किसानों को भारी सब्सिडी देकर कृषि श्रम का सम्मान करती हैं।"

यह बयान तब आया जब किसानों ने 06 फरवरी को देशव्यापी धरने का आह्वान करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन तेज करने का फैसला किया।

पंजाब और हरियाणा राज्यों के हजारों किसान राजधानी नई दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में 29 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संघीय सरकार से वे तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार लाखों किसानों की मांगों को अनदेखा कर रही है तथा कॉरपोरेट व्यवसायों का पक्ष ले रही है।

सैन्यकरण की निन्दा

किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि विरोध स्थल खाली करने के लिए उन्हें मजबूर करते हुए सरकार ने पानी,  बिजली और इंटरनेट सेवाओं को काट दिया है तथा किसानों को राजधानी के केंद्रीय क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए कंक्रीट की दीवारों और सड़कों को भी कंटीले तारों से बंद कर दिया है।

किसानों का कहना है कि सरकार ने पानी, बिजली और इंटरनेट सेवाओं को काट दिया और उन्हें विरोध स्थल खाली करने के लिए मजबूर किया।

ऑल इन्डिया काथलिक यूनियन (एआईसीयू) के प्रवक्ता जॉन दयाल ने कहा, "हम जो देख रहे हैं वह किसानों के शांतिपूर्ण विरोध का सैन्यकरण है।" सरकार ने किसानों को राजधानी के केंद्रीय क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए कंक्रीट की दीवारों और कंटीले तारों वाली सड़कों को भी बंद कर दिया।

श्री दयाल ने कहा, "सरकार करदाताओं के पैसे से बनी सड़कों पर खाई खोदती है और सड़कों पर कीलों की चादर और एंटी टैंक दीवारें स्थापित करती है।" उन्होंने कहा ऐसा तो केवल "आतंकवाद का सामना करने वाले सैन्य क्षेत्रों या स्थानों में किया जाता है।

श्री दयाल ने कहा, "किसान न तो आतंकवादी हैं और न ही कोई असामाजिक लोग। वे हमारे प्रतिदिन का आहार कमानेवाले हैं, और उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।"

सितम्बर माह में भारतीय सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लागू किया था जिसके बाद से विरोध प्रदर्शन शुरु हुए थे। किसानों की दलील है कि उक्त कानून हाशिये पर जीनेवाले लाखों किसानों को खुले बाज़ार में, सरकार द्वारा बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के, अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करेंगे।

इसके अलावा, नये ये कानून किसानों का कहना है कि कानून लाखों सीमांत किसानों को खुले बाजार में सरकार द्वारा बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करेंगे।

कॉरपोरेट घरानों को किसानों की लागत पर बाज़ार को अस्थिर करने, खरीदने और भंडारन की अनुमति देते हैं।

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05 February 2021, 11:59