सागर की रानी माता मरियम सागर की रानी माता मरियम 

कोरोना वायरस के बीच बंडेल की माता मरियम की तीर्थयात्रा

कोलकाता के बंडेल स्थित मरियम तीर्थस्थल में 10 जनवरी को बड़ी भक्ति के साथ तीर्थयात्रा की गई। कोविड-19 महामारी के कारण परम्परागत रूप से विश्वासियों द्वारा तीर्थयात्रा नहीं की जा सकी, जिसके स्थान पर माता मरियम की प्रतीमा को कार द्वारा हावड़ा पल्ली से गोब्रा लिया गया, जहाँ रोजरी की गई और ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, मंगलवार, 12 जनवरी 21 (वीएनएस)- कार्यक्रमों का संचालन कोलकाता महाधर्मप्रांत के विकर जेनेरल फादर दोमनिक गोम्स ने किया। सामान्यतः बंडेल में तीर्थयात्रियों की संख्या हजारों में होती है जो करीब 40 किलोमीटर की दूरी से खाली पाँव चलते हुए तीर्थस्थल की ओर बढ़ते हैं जो भक्ति एवं कृपा का चिन्ह होता है। यह तीर्थयात्रा हर साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में की जाती है जिसकी स्थापना करीब 60 सालों पहले की गई थी। तीर्थयात्रा का आयोजन बंगाल के काथलिक संघ के द्वारा किया जाता है।  

रोजरी की माता मरियम को समर्पित बंडेल का संत मरियम महागिरजाघर बंगाल में काथलिक कलीसिया का एक पुराना गिरजाघर है। इसका निर्माण 1599 में हुआ था। यह पुर्तगालियों से समझौता की याद दिलाता है जिन्होंने 16वीं शताब्दी में हुगली उपनिवेश की स्थापना की थी। पहले गिरजाघर के ध्वस्त हो जाने पर इसी स्थान पर 1660 में पुनः दूसरे गिरजाघर का निर्माण किया गया। आज इस महागिरजाघर के अंदर "सफल यात्रा की माता" की प्रतीमा स्थापित है। माना जाता है कि यह एक चमत्कारी प्रतीमा है। गिरजाघर के बाहर एक जहाज का मस्तूल रखा हुआ है जिसको एक कैपटेन ने भेंट की थी जिसने बंगाल की खाड़ी में एक तूफान का सामना करते हुए, कुँवारी मरियम से सहायता की याचना की थी और उसकी जान बचा गई थी।

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12 January 2021, 18:00