एल साल्वाडोर की 4 शहीद एल साल्वाडोर की 4 शहीद 

संत पापा ने एल साल्वाडोर के शहीदों के लिए प्रार्थना की

संत पापा फ्राँसिस ने एल साल्बाडोर के 4 शहीद महिलाओं की हत्या की 40वीं वर्षगाँठ पर उनके लिए प्रार्थना की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 दिसम्बर 20 (वीएन)- संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार को 4 साहसी मिशनरी महिलाओं की याद की, जिनकी हत्या एल साल्वाडोर में बड़ी क्रूरता से की गई थी, जब वे देश में गृह युद्ध से पीड़ित लोगों के जीवन को आसान बनाने हेतु कार्य कर रहे थे। 

एल साल्वाडोर में गृह युद्ध शुरू होने के 10 महीनों बाद और साल्वाडोर के महाधर्माध्यक्ष संत ऑस्कर रोमेरो की हत्या के 8 महीनों बाद 2 दिसम्बर 1980 को, इन चार अमरीकी महिलाओं की क्रूरता पूर्वक हत्या कर दी गई थी।  

एल साल्वाडोर एवं पड़ोसी देशों में मानवीय सहायता प्रदान करनेवाली इन चार मिशनरियों को दक्षिणपंथी सरकार द्वारा खतरा और राजनीतिक विरोध को भड़काने के आरोपी माना जा रहा था।

40 वर्षीय सिस्टर इता फोर्ड और 49 वर्षीय सिस्टर मौरा क्लेर्क दोनों मेरीनोल धर्मबहनें थीं जो न्यूयॉर्क से थीं। 40 वर्षीय सिस्टर दोरोथी काजेल क्लेवलैंड की उर्सुलाईन धर्मबहन थी और 27 वर्षीय जेन दोरोवन एक लोकधर्मी मिशनरी थी जो क्लेवलैंड की थी। एल साल्वाडोर के राष्ट्रीय गार्ड के 5 सदस्यों ने इन चारों मिशनरियों के साथ बलात्कार किया और उन्हें मार डाला।

संत पापा ने आमदर्शन समारोह में प्रार्थना की

बुधवार को आमदर्शन समारोह के अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने उनकी शहादत की 40वीं वर्षगाँठ पर चारों शहीदों की याद करते हुए कहा, "आज, एल साल्वाडोर में मारे गये चार मिशनरियों की हत्या की 40वीं वर्षगाँठ है...2 दिसम्बर 1980 को वे अर्धसैनिक बल द्वारा अपहरण, बलात्कार एवं हत्या की शिकार हुई थीं। वे गृह युद्ध के दौरान अपनी सेवा दे रही थीं और उन लोगों के लिए भोजन एवं दवा ला रही थीं जिन्हें भागना पड़ रहा था, विशेषकर, गरीब परिवार। इन महिलाओं ने अपने विश्वास को बड़ी उदारता से जीया। विश्वस्त मिशनरी शिष्य बनने हेतु वे हम सभी के लिए उदाहरण हैं।"

वे चारों मिशनरी उन 8,000 लोगों में से थीं जिनकी हत्या गृह युद्ध के पहले साल में की गई थी। यह युद्ध 12 वर्षों तक चला जिसमें 75,000 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा था।  

चारों की हत्या

5 अर्धसैनिकों ने हवाई अड्डे से बाहर निकलने पर मिशनरियों की गाड़ी को रोका। मिशनरी निकारागुवा के मनागुवा में एक सम्मेलन में भाग लेकर लौट रही थीं। उन्हें एकांत स्थान में ले जाया गया और सैनिकों के द्वारा पीटा गया, बलात्कार किया गया और मार डाला गया।  

घटना की गवाही वहाँ के किसान देते हैं। मिशनरियों को जिस एकांत स्थान में ले जाया गया था, उसके आसपास रहनेवाले किसानों ने, सफेद वैन को अलग-थलग जगह पर देखा था, फिर मशीनगनों की आवाज़ सुनी थी। उसके बाद उसी सफेद वैन में पांच लोग सवार होकर घटनास्थल से चले गये थे। अगले दिन 3 दिसम्बर को चारों लाशों को एक गड्ढे में पाया गया तथा किसानों को आदेश दिया गया कि उन्हें निकट के सामूहिक कब्र में दफना दें। उन्होंने अपने पल्ली पुरोहित को इसकी सूचना दी और इसकी जानकारी महाधर्माध्यक्ष ऑस्कर रोमेरो के उत्तराधिकारी अर्तुरो रिवेरा वाई दमास एवं एल साल्वाडोर के लिए अमरीका के राजदूत रोबर्ट वाईट तक भी पहुँची।  

उनकी विरासत

इन मिशनरियों की याद हर साल उनकी शहादत के दिन की जाती है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीड़ितों के परिवार वाले न्याय के लिए संघर्ष करने में कभी पीछे नहीं हटे। पांच राष्ट्रीय गार्डों को उनकी हत्या का दोषी ठहराया गया था और 16 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद, राष्ट्रीय सैनिकों के प्रमुख, जो तब से अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में विस्थापित हो गए थे, अंततः उन्हें अल सल्वाडोर वापस भेज दिया गया।

 

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03 December 2020, 15:05