फादर स्टेन स्वामी फादर स्टेन स्वामी  

फादर स्टैन द्वारा जेल में अपने साथियों के लिए प्रार्थना की मांग

मानव अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी जो पार्किंसेस और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, माओवादियों के साथ कथित सम्पर्क होने के आरोप में जेल में हैं। उन्होंने एक पत्र में अपने जेल के साथियों की भावनाओं का वर्णन किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, बृहस्पतिवार, 19 नवम्बर 2020 (रेई)- झारखंड के आदिवासियों और हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के कारण आतंकवादियों से संबंध रखने के कथिक आरोपी, एक बुजूर्ग जेस्विट पुरोहित ने कहा है कि वे जेल के अपने साथियों की इंसानियत से बहुत प्रभावित हैं।

फादर स्टैन स्वामी ने जेल से अपने मित्रों को एक पत्र लिखा है जिसमें अपने कमरे के साथियों जो "अत्यन्त गरीब परिवारों" से हैं उनके बारे बतलाया है कि वे दैनिक आवश्यकताओं में उनकी मदद करते हैं। उनके लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्होंने  लिखा है, "मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि मेरे साथियों और सहयोगियों को अपनी प्रार्थनाओं में याद करें।"

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने फादर स्टैन स्वामी को 8 अक्टूबर को झारखंड की राजधानी राँची स्थित बगैचा जेस्विट सामाजिक कार्य केंद्र से गिरफ्तार किया था। उनपर जनवरी 2018 में, महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा में माओवादी विद्रोहियों के साथ सम्पर्क होने का कथित आरोप है। गिरफ्तार के बाद उन्हें महाराष्ट्र के नवी मुम्बई में तलोजा जेल में रखा गया है।  

83 वर्षीय फादर स्टैन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोविद -19 महामारी के मद्देनजर कैदियों को रिहा करने के प्रावधान के तहत मानवीय आधार पर बेल की अपील की थी। एनआईए ने 23 अक्टूबर को यह कहते हुए अंतरिम जमानत की उनकी याचिका को खारिज कर दिया कि वे महामारी का अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं।

तलोजा जेल में मानवता की भावना

बुजूर्ग फादर पार्किंसेस की बीमारी से पीड़ित हैं और सुन नहीं सकते हैं एवं हरनिया का दो बार सर्जरी हो चुका है। वे खुद से धोने और खाने में बहुत कठिनाई महसूस करते हैं। उनके कमरे के साथी स्नान करने, कपड़ा धोने और भोजन करने में उनकी मदद करते हैं। जेस्विट पुरोहित के लिए ये चिन्ह हैं कि "सब कुछ के बावजूद तलोजा जेल में मानवता प्रवाहित होती है।"

फादर स्वामी बतलाते हैं कि जेल में वरवरा राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा जैसे दूसरे मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैं जिनपर भीमा कोरेगाँव हिंसा से जुड़े होने का कथित आरोप है। इस मामले में फादर स्वामी 16वें और सबसे बुजूर्ग हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। वे उनसे जेल में मनोरंजन के समय में मुलाकात करते हैं।    

मदद से इंकार

द हिन्दू समाचार पत्र के अनुसार विकलांगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय मंच ने कहा है कि पार्किंसेस की बीमारी के कारण, फादर स्टैन स्ट्रॉ और सिपर प्रयोग करते थे क्योंकि वे अपने हाथ से ग्लास भी नहीं पकड़ सकते हैं। उन्होंने जेल में स्ट्रॉ और सिपर की मांग की थी एनआईए ने ऐसे साधारण सहायक वस्तुओं को भी देने से इंकार कर दिया।

फादर ने एनआईए से इन वस्तुओं के प्रयोग की अनुमति मांगी थी जिसपर अदालत ने 6 नवंबर को आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए 20 दिन का समय मांगा है। इस मामले में सुनवाई 26 नवम्बर को होगी।

इस बीच, एनपीआरडी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के "तत्काल हस्तक्षेप" की मांग की है ताकि फादर स्टैन स्वामी को अपेक्षित आयु और विकलांगता के उपयुक्त आवास; सहायक उपकरण, जिसमें स्ट्रॉ और सिपर शामिल हैं; और आवश्यकतानुसार मानवीय देखभाल सहायता उपलब्ध कराया जाए।

संयुक्त राष्ट्र की दलील

मानव अधिकार के लिए उच्च आयोग के कार्यालय ने 20 अक्टूबर को गौर किया था कि 83 वर्षीय बुजूर्ग काथलिक पुरोहित स्टैन स्वामी, जो लम्बे समय से हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की गतिविधियों से जुड़े हुए हैं उनपर आरोप लगाकर उनकी कमजोर स्वास्थ्य हालत में जेल में रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार उच्च आयोग की ओर से माईकेल बैचलेट ने सरकार से अपील की थी कि वह "भारत को सुरक्षा के लिए बाध्य करनेवाले बुनियादी मानवाधिकारों का प्रयोग करने हेतु गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए लोगों को रिहा करे।"

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19 November 2020, 16:59