बाढ़ में डूबा दक्षिणी सूडान का नजारा बाढ़ में डूबा दक्षिणी सूडान का नजारा 

कलीसिया के नेताओं ने बाढ़ के बीच मानवीय सहायता की अपील की

कलीसियाओं की दक्षिणी सूडान समिति (एसएससीसी) ने पूर्वी अफ्रीकी देशों में महामारी और अन्य संकटों के बीच बाढ़ से पीड़ित लोगों की मदद करने का आह्वान किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 नवम्बर 2020 (वीएन)- कलीसियाओं की दक्षिणी सूडान समिति के नेताओं ने विश्वासी समुदायों, अंतरराष्ट्रीय दान दाताओं एवं निजी विभाग के लोगों से अपील की है कि वे देशभर में तबाही मचाने वाले बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को बचाने के लिए "पहुँच" प्रतिक्रिया के समर्थन में हाथ बढ़ायें।

जुबा के महाधर्माध्यक्ष स्तेफन मुल्ला के साथ कई धार्मिक नेताओं ने एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया है जिसमें कहा गया है, हम, कलीसियाओं की दक्षिणी समिति के नेता जो इन समुदायों में कार्य करते हैं, इस समय मानवीय सहायता से रहित इन लोगों की मदद की याचना करते हैं।

हाल के महिनों में भारी वर्षा के कारण नील नदी में बाढ़ आ गई जिसने नदी के किनारे बसे गाँवों को तबाह कर दिया है। करीब 7,00,000 लोगों को बाढ़ के कारण विस्थापित होना पड़ा है और जानवर, खेत, घर और अन्य सभी प्रकार की सम्पति नष्ट हो गई है।

दक्षिणी सुडान की अनेक चुनौतियाँ

कलीसिया के धर्मगुरूओं का अनुमान है कि जोंगलेई, झील, ऊपरी नील, भूमध्य रेखा और एकता - ऐसे क्षेत्र हैं जो संकटों से सर्वाधिक प्रभावित हैं जहाँ लगभग 1,00,000 लोगों की तत्काल मदद के लिए 5,00,000 डॉलर की जरूरत है।

समिति ने कहा है कि ये राशि मौलिक मानवीय आवश्यकताओं जैसे- जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य, आश्रय, भोजन, जीविका और मानसिक सहयोग की आपूर्ति के लिए खर्च की जायेगी।

दक्षिणी सूडान, - दुनिया का सबसे छोटा देश वर्षों से जारी संघर्ष एवं अंतर समुदायिक हिंसा को वर्तमान में खत्म करने की कोशिश कर रहा है जिसकी शुरूआत आजादी के दो ही साल बाद 2013 में हो गई थी।

लम्बे समय तक चल रहे संघर्ष में देश के 11.1 मिलियन आबादी में से 1.6 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं और 7.5 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। कुछ इलाकों में अकाल के खतरे के कारण लगभग आधी आबादी के खाद्य असुरक्षित हैं और लगभग 300,000 बच्चे गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं।

नेताओं ने कहा कि देश की पहले से मौजूद चुनौतियों को कोविद -19 महामारी के प्रकोप ने और बढ़ा दिया है, जिसने "आपूर्ति श्रृंखलाओं को नष्ट कर दिया है, और खाद्य पदार्थों एवं प्रमुख बुनियादी वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया है।" संघर्ष और महामारी ने राहत के प्रयासों पर भी प्रतिकूल असर डाला है, और खराब सड़कों ने मानवीय संगठनों के लिए बाढ़ वाले क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल बना दिया है।

वर्तमान में, यूएन का कहना है कि पूरे बाढ़ राहत कार्यों के लिए अनुमानित 80 मिलियन डॉलर की आवश्यकता है, जिसमें इस वर्ष के अंत तक 360,000 लोगों को तत्काल सहायता देने हेतु 46 मिलियन डॉलर की जरूरत है।

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05 November 2020, 15:14