कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम 

"प्रतेल्ली तूत्ती" पर प्राधिधर्माध्यक्ष : उदासीनता व कुटिलता का त्याग

कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम ने वाटिकन मीडिया को दिये एक साक्षात्कार में संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र के बारे में कहा कि ख्रीस्तीय, हमारी दुनिया को एक परिवार के रूप में सपना देखते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020 (रेई)- प्राधिधर्माध्यक्ष  ने कहा, "हम संत पापा फ्राँसिस के निमंत्रण, उदासीनता या कुटिलता का त्याग करने पर पूरी तरह सहमत हैं जो हमारे पारिस्थितिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन को सामान्य रूप से नियंत्रित करता है, जिसमें एकता का हमारा आत्म-केंद्रित रूप शामिल है, और एक एकजुट मानव परिवार के रूप में हमारी दुनिया का सपना है।”

सवाल : परम पूज्य, संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र फ्रलेत्ती तूत्ती पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

उत्तर : हमारे भाई पोप फ्राँसिस के विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती के बारे जानने से पहले ही, हमें पूरा विश्वास था कि यह मनुष्य में उसकी अडिग रुचि, ईश्वर के प्रति प्रेम, सभी के लिए एकात्मता का प्रदर्शन, परेशान, दबे और जरतमंद लोग और इस समय की बड़ी चुनौती का सामना करने हेतु ठोस प्रस्ताव, ईसाई परंपरा के अटूट स्रोत से प्रेरित, एवं प्यार से भरे उनके दिल से निकलने का दूसरा उदाहरण होगा।

हमारी उम्मीदें पूरी तरह, इस बेहद दिलचस्प विश्वपत्र के विश्लेषण को पूरा करने के बाद पूरी हुईं, जो पोप फ्रांसिस के पिछले विश्वपत्रों या अन्य दस्तावेजों का एक संकलन या सारांश मात्र नहीं है, बल्कि सभी सामाजिक सिद्धांतों का मुकुट और सुखद निष्कर्ष है।

हम संत पापा के निमंत्रण एवं चुनौती से पूरी तरह से सहमत हैं जो उदासीनता, यहां तक ​​कि असमानता को छोड़ने के लिए प्रेरित करता, जो सामान्य रूप से हमारे पारिस्थितिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन को नियंत्रित करता है, जिसमें हमारी आत्मकेंद्रित एकता का स्वरूप भी शामिल है और एक अखंड मानव परिवार के रूप में हमारी दुनिया का सपना देखना है, जिसमें हम सभी बिना अपवाद के भाई-बहन हैं।

इस भावना में हम आशा करते और उम्मीद व्यक्त करते हैं कि विश्वपत्र फ्रतेल्ली तूत्ती एक अंतर-कलीसियाई, अंतर-धार्मिक और अखिल मानव स्तर पर निर्णायक पहल के माध्यम से प्रेरणा और फलदायी बातचीत का स्रोत साबित होगा।

सवाल- पहला अध्याय "छाया" पर प्रकाश डालता है जो दुनिया में है। वे कौन से छाये हैं जो आपको सबसे अधिक परेशान करते हैं? कौन सी उम्मीदें हैं जिनको हम सुसमाचार के माध्यम से दुनिया की ओर देते हुए प्राप्त करते हैं?

उत्तर - अपने तीव्र मानवतावादी, सामाजिक और आध्यात्मिक अर्थ के साथ, पोप फ्रांसिस आधुनिक दुनिया में "छाया" की पहचान करते और नाम देते हैं। हम आधुनिक पाप के बारे बोलते हैं, हालाँकि हम इस बात पर ज़ोर देना पसंद करते हैं कि मूल पाप हमारे समय और हमारी उम्र में नहीं हुआ था। हम अतीत को आदर्श नहीं बनाते हैं, हालांकि, हम इस तथ्य से परेशान हैं कि आधुनिक तकनीकी और वैज्ञानिक विकास ने मनुष्य की उद्दंडता को मजबूत किया है। विज्ञान की उपलब्धियाँ हमारे मौलिक अस्तित्वगत सवालों का जवाब नहीं देती हैं, न ही उन्हें समाप्त करती हैं। हम यह भी ध्यान देते हैं कि वैज्ञानिक ज्ञान मानव आत्मा की गहराई में प्रवेश नहीं करता है। हम इसे जानते हैं, लेकिन ऐसे कार्य करते हैं जैसा कि हम जानते ही नहीं।

सवाल- इस परिस्थिति के सामने ख्रीस्तीय प्रस्ताव क्या है?

जवाब- कलीसिया के जीवन का प्रस्ताव, एक आवश्यक चीज की ओर मुड़ना है और यह प्रेम, दूसरों के प्रति खुलापन एवं एकात्मता की संस्कृति है। "अर्थवाद" के सामने, हम सामाजिक न्याय पर आधारित पारिस्थितिक अर्थव्यवस्था और आर्थिक गतिविधि को रास्ता देते हैं। "सबसे मजबूत कानून" की नीति के लिए, हम नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय कानून के अक्षम अधिकारों के लिए सम्मान के सिद्धांत का विरोध करते हैं। पारिस्थितिक संकट का सामना करने के लिए, हम अगली पीढ़ी को एक प्रभावी पर्यावरणीय वातावरण देने हेतु, जिम्मेदारी के निर्माण, सादगी और जागरूकता का सम्मान करने हेतु बुलाये जाते हैं।

सवाल- किस आधार पर हम एक- दूसरे को भाई और बहन मानते हैं और मानवता की अच्छाई के लिए किस आधार पर इसकी खोज करना महत्वपूर्ण है?

उत्तर- कलीसिया के ख्रीस्तीय एक-दूसरे को भाईबहन मानते हैं। यह आध्यात्मिक और ख्रीस्त केंद्रित भाईचारा है जो स्वाभाविक संबंध से गहरा है। ख्रीस्तियों के लिए भाई और बहन न केवल कलीसिया के सदस्य हैं बल्कि सभी लोगों के भाई-बहन हैं। ईश्वर के शब्द ने मानव स्वभाव धारण किया और सबकुछ को अपने साथ जोड़ दिया। जिस तरह सभी मानव प्राणी ईश्वर की सृष्टि हैं उसी तरह वे मुक्ति योजना में भी शामिल है। विश्वासियों के प्रेम की कोई सीमा नहीं है। वास्तव में यह सारी सृष्टि का आलिंगन करता है। भाइयों का प्रेम हमेशा बेमिसाल होता है। यह मानवता के प्रति अस्पष्ट सहानुभूति की भावना नहीं है जो पड़ोसी को दरकिनार कर देता है।  

सवाल- संत पापा अपने विश्व पत्र में युद्ध एवं मृत्यु दण्ड का कड़ा विरोध करते हैं। फ्रतेल्ली तूत्ती के उस अध्याय पर आप क्या टिप्पणी करेंगे?  

उत्तर- सामान्य रूप से, ख्रीस्त की कलीसिया युद्ध की निंदा करती है, इसे बुराई और पाप का परिणाम मानती है। सभी ख्रीस्तियों के मुँह में एक ही नारा होना चाहिए, "युद्ध फिर कभी नहीं।" और मृत्यु दण्ड पर समाज का मनोभाव, उसकी सांस्कृतिक अभिविन्यास और मानव गरिमा पर विचार का संकेत है। यूरोपीय संवैधानिक संस्कृति की योग्य प्रणाली, जिनमें एक मूलभूत स्तंभ प्रेम है, इसकी ख्रीस्तीय मान्यताओं की अभिव्यक्ति के रूप में, हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को पश्चाताप और सुधार का अवसर दिया जाए, भले ही वह सबसे बुरा अपराधी क्यों न हो। इसलिए यह एक तार्किक और नैतिक परिणाम है कि जो युद्ध की निंदा करता है उसे मृत्युदंड को अस्वीकार करना चाहिए।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 October 2020, 17:13