कोविद-19 महामारी के दौरान नकाब लगाये भारतीय शिक्षक और छात्र कोविद-19 महामारी के दौरान नकाब लगाये भारतीय शिक्षक और छात्र 

शैक्षणिक अधिकारों हेतु तीन भारतीय धर्माध्यक्षों ने की भूख हड़ताल

भारत के तीन धर्माध्यक्षों ने शिक्षण संस्थानों के अधिकारों की मांग करते हुए मंगलवार को दिन भर की भूख हड़ताल की तथा केरल सरकार पर काथलिक शिक्षण संस्थानों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

केरल, शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020 (वाटिकन न्यूज़): भारत के तीन धर्माध्यक्षों ने शिक्षण संस्थानों के अधिकारों की मांग करते हुए मंगलवार को दिन भर की भूख हड़ताल की तथा केरल सरकार पर काथलिक शिक्षण संस्थानों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार का आह्वान किया कि वह केरल में, सरकार द्वारा समर्थित काथलिक स्कूलों के शिक्षकों का, वेतन भुगतान करे।  

केरल की धर्माध्यक्षीय समिति केसीबीसी के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष जोशुआ मार इग्नेशियस, उपाध्यक्ष धर्माध्यक्ष पौल एन्थोनी मुल्लासेर्री तथा सहयोगी धर्माध्यक्ष थॉमस थाराइल ने मंगलवार का दिन केरल राज्य के सच्चिवालय के समक्ष बिना भोजन एवं जल के व्यतीत किया। दो अन्य धर्माध्यक्षों ने भी शिक्षा आयोग के धर्माधिकारियों का साथ दिया। इसके अलावा, केरल के 14 प्रमुख ज़िलों में इसी प्रकार की हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किये गये।   

वेतन भुगतान नहीं हुआ

विरोध प्रदर्शन का कारण बताते हुए, तिरूवनन्तपुरम के महाधर्माध्यक्ष मरिया कैलिस्ट सोसा पाकीम ने बताया कि विगत पांच सालों से, कलीसिया द्वारा संचालित एवं सरकार द्वारा आर्थिक रूप से समर्थित स्कूलों में 3000 से अधिक शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, विशेष रूप से, कोविद -19 स्वास्थ्य संकट के इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, वेतन से इनकार करना "क्रूरता का एक कार्य" है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि मनमाने आदेशों और मौजूदा कानूनों में संशोधन के माध्यम से सरकार "शिक्षण संस्थानों के संचालन सम्बन्धी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का अतिक्रमण करती है।"

महाधर्माधध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि उनके विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार से कोई विशिष्ट एहसान मांगना नहीं है अपितु अपने संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित्त करना है।

केरल के 13,000 स्कूलों में से लगभग 5,000 स्कूल कलीसिया द्वारा संचालित हैं। इन स्कूलों में से आधे से अधिक शिक्षक सरकार से मिलनेवाले वेतन के हकदार हैं।

ग़ौरतलब है कि भारत की 1.3 अरब की कुल आबादी में ख्रीस्तीय मात्र 2.3 हैं, जबकि केरल राज्य की 3.3 करोड़ की आबादी का 18 प्रतिशत ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है।

विरोध प्रदर्शन जारी

केरल की धर्माध्यक्षीय समिति केसीबीसी के सचिव फादर चार्ल्स लियोन ने बताया कि मंगलवार की हड़ताल राज्यव्यापी विरोध की शुरुआत मात्र थी। उन्होंने कहा,  "यह एक दिन का मामला नहीं है, यह अनिश्चितकालीन विरोध है," उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार "राजकीय सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में बाधा डालने की कोशिश कर रही है।"

संवैधानिक अधिकार

फादर लियोन ने बताया कि सरकार, राज्य से सहायता प्राप्त करनेवाले काथलिक स्कूलों में, पचास प्रतिशत शिक्षकों की नियुक्ति को जारी रखना चाहती है, जो संवैधानिक प्रावधानों का पूर्ण उल्लंघन है।

संवैधानिक अधिकार के प्रावधान पर बोलते हुए कार्डिनल बासिलियोस क्लेमिस कथोलिकोज़ ने कहा कि संविधान अल्पसंख्यकों को कलीसिया संचालित स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की अनुमति देता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि विगत पाँच वर्षों में सरकार ने इन नियुक्तियों पर रोक लगा रखी है जो ख्रीस्तीय अल्पसंख्यकों के विरुद्ध सरासर अन्याय है।  

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23 October 2020, 11:15