नस्लवाद के खिलाफ उपवास-प्रार्थना हेतु आमंत्रण, यूएस धर्माध्यक्ष
माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी
वाशिंगटन, शनिवार 29 अगस्त 2020 (वाटिकन न्यूज) : संयुक्त राज्य अमेरिका के धर्माध्यक्ष देशवासियों को नस्लवाद के खिलाफ प्रार्थना और उपवास में भाग लेने के लिए 28 अगस्त या 9 सितंबर को वैकल्पिक रूप से संत पीटर क्लेवर के पर्व दिन आमंत्रित कर रहे हैं।
यह निमंत्रण उन दिनों के विरोध के बाद आता है, जब विस्कॉन्सिन में अफ्रीकी-अमेरिकी जैकब ब्लेक पर एक पुलिस अधिकारी ने गोली मारी। इसके बाद वह लकवाग्रस्त हो गया। इसके बाद हुई झड़पों में, केनहा में तनावपूर्ण प्रदर्शनों के दौरान एक 17 वर्षीय व्यक्ति पर दो लोगों की हत्या करने और दूसरे को घायल करने का आरोप लगाया गया।
प्रार्थना और उपवास
इन हालिया घटनाओं के प्रकाश में, अमेरिकी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (यूएससीसीबी) के अध्यक्ष, होउमा-थिबोदौक्स के धर्माध्यक्ष शेल्टन जे. फाबरे ने नस्लवाद के खिलाफ काथलिकों को "पवित्र बलिदान में भाग लेने और येसु के पवित्र हृदय से नस्लवाद के पापों के लिए पश्चताप धर्मविधि में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।”
संत काथरिन ड्रेक्सल और संत पीटर क्लेवर जैसे नस्लीय समानता के लिए संघर्ष करने वाले संतों की मध्यस्ता से रोजरी प्रार्थना करने हेतु अमेरिकी धर्माध्यक्ष सभी काथलिकों को आमंत्रित कर रहे हैं।
मेरा एक सपना है
28 अगस्त को वाशिंगटन यात्रा 1963 की 57 वीं वर्षगांठ है - जहाँ रेवरेंड डॉ. मार्टिन लूथर किंग, जूनियर ने अपना "आई हैव ए ड्रीम" भाषण दिया - धर्माध्यक्ष फाबरे ने कहा, "हमें वर्तमान बुराइयों के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी चाहिए।" हमारे समाज में और डॉ. किंग के शब्दों में, यह मानने से इंकार करते हैं कि 'न्याय का बैंक दिवालिया है।'
"डॉ किंग का सपना, जैसा कि उन्होंने खुद कहा था, अमेरिकी सपने में गहराई से निहित है। आइए, हम उस कीमत को न भूलें जो उसने और सभी धर्मों और पंथों के इतने साहसी गवाहों ने हमें इस मुकाम में लाने के लिए अदा की है।”
आशा की किरण के रूप में कलीसिया
धर्माध्यक्ष फाबरे ने जोर देकर कहा कि वे मिल्वौकी के महाधर्माध्यक्ष जेरोम इ. लिस्टेकी के साथ एकजुटता में खड़े हैं, जिन्होंने इस सप्ताह के शुरू में कहा था, “हिंसा कभी भी शांति और न्याय पाने का साधन नहीं हो सकती। कलीसिया आशा की किरण के रूप में खड़ी है। हिंसा, अन्याय, जातिवाद और घृणा के पापों को हमारे समुदायों द्वारा दया के कृत्यों के साथ शुद्ध करना चाहिए। हर मानव व्यक्ति की गरिमा की रक्षा और देखभाल, सामान्य भलाई के लिए सम्मान के साथ शांति और समानता का प्रयास जारी रखना चाहिए।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here