जापान की कलीसिया : बिना किसी पूर्वाग्रह आईडीपी को देखें
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
जापान, शनिवार 15 अगस्त 2020 ( वाटिकन न्यूज) : "जापान में आज कई आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति हैं," जापान के विस्थापितों और प्रवासियों के लिए बने काथलिक कमीशन के अध्यक्ष साइतामा के धर्माध्यक्ष मिचियाकी यामनोची ने कहा। उन्होंने प्रवासी और शरणार्थियों के विश्व दिवस के लिए काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की वेबसाइट (सीबीसीजे) पर पोस्ट किए गए एक संदेश में टिप्पणी की, जिसे काथलिक कलीसिया द्वारा 27 सितंबर को मनाया जाएगा।
संत पापा के संदेश पर चिंतन
"येसु मसीह की तरह भागने के लिए मजबूर" विषय को संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष के 106 वें संस्करण के अवलोकन के लिए चुना है। इस अवसर पर एक संदेश में, संत पापा ने देश में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए नई नीतियों का आह्वान किया और उन सभी को स्वीकार करने को कहा जो कोविद -19 के परिणामस्वरूप अनिश्चितता, परित्याग, हाशिए और अस्वीकृति से पीड़ित हैं।
जापानी धर्माध्यक्षों की ओर से धर्माध्यक्ष मिचियाकी के संदेश का विषय है, "येसु मसीह की तरह आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के साथ संपर्क में रहना, उनकी रक्षा करना, प्रोत्साहित करना और उनके साथ रहना, जो पलायन के लिए विवस हो जाते हैं।"
जापान के विस्थापित
जापानी धर्माध्यक्ष ने जापान में आंतरिक रुप से विस्थापितों को इंगित करते हुए कहा कि विभिन्न कारणों से लोग अपने घरों को खो चुके हैं या उन्हें घर को छोड़ना पड़ता है। कुछ लोगों के पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं है और उन्हें हिरासत में रखा गया है। कुछ को अस्थायी रूप से रिहा कर दिया गया है लेकिन वे बेघर हैं, जबकि अन्य सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।
जापान में, तथाकथित नेट कैफे शरणार्थी या साइबर-बेघर भी हैं, बेघर लोगों का एक वर्ग जो 24-घंटे इंटरनेट या मंगा कैफे में सोते हैं। यद्यपि इन स्थानों में मूल रूप से केवल इंटरनेट सेवाएं प्रदान की हैं, परंतु कुछ ने अब भोजन, पेय और नहाने धोने की व्यवस्था को शामिल कर अपनी सेवाओं का विस्तार किया है।
ओगाटा - एक मॉडल
देश में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आइडीपी) समस्या के समाधान हेतु एक मॉडल के रूप में, धर्माध्यक्ष यमनौची ने जापान की सादाको ओगाटा की ओर इशारा किया, जिसे शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के रुप में नामित किया गया था और उस पद को धारण करने वाली पहली जापानी नागरिक थी। 1991 से 2000 तक के अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने दुनिया में आईडीपी की वास्तविकता पर प्रकाश डाला।
1990-1991 के दौरान फारस की खाड़ी युद्ध के दौरान, ओगाटा ने स्थापित सीमाओं से परे जाकर लगभग दो मिलियन कुर्द, इराक में शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की मदद की। "यह वह क्षण था जब आईडीपी पर ध्यान केंद्रित किया गया था," जापानी धर्माध्यक्ष ने बताया।
आईडीपी में मसीह के चेहरे की खोज
धर्माध्यक्ष मिचियाकी ने अपने संदेश के अंत में कहा, "मुझे विश्वास है कि संत पापा ने हमें अपने समाज की वास्तविकताओं को देखने और अपने संकीर्ण दृष्टिकोणों से उपर उठने हेतु हमारा आह्वान कर रहे हैं।" जापानी लोगों को प्रवासियों, विस्थापितों और शरणार्थियों के चेहरे में मसीह का चेहरा खोजने के लिए आमंत्रित किया, जो भूखे, प्यासे, नग्न, बीमार, बेघर और जेल में हैं।
प्रवासियों और शरणार्थियों का विश्व दिवस की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र भी प्रवासियों और शरणार्थियों को याद करता है, लेकिन अलग-अलग दिनों में। दिसंबर 2000 में स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस को 18 दिसंबर को मनाया जाता है। विश्व शरणार्थी दिवस पहली बार 20 जून 2000 को मनाया गया था इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2000 में इसे स्थापित किया गया।
दूसरी ओर, काथलिक कलीसिया द्वारा विश्व प्रवासी और शरणार्थी दिवस की शुरुआत विश्व युद्ध के कुछ महीने पहले 1914 में की गई। 20 वीं सदी की शुरुआत के बाद से लाखों इटालियन प्रवासी के रुप में विदेश चले गए। संत पापा पियुस ने सभी ख्रीस्तियों से प्रवासियों के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया।
कुछ महीने बाद, उनके उत्तराधिकारी संत पापा बेनेडिक्ट पंद्रहवें ने आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से इतालवी प्रवासियों की सहायता करने के लिए प्रवासी दिवस का आयोजन किया। आज, वाटिकन में प्रवासियों और शरणार्थियों पर एक विशेष विभाग है।
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