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पवित्र बाईबिल पवित्र बाईबिल 

तालाबंदी के दौरान पूरे बाईबिल को हाथ से लिख डाला

कोचिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एक कर्मचारी रेजिन वलसन ने अपने हाथ से लिखे बाईबिल को अपने आनेवाले बच्चे को समर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, बृहस्पतिवार, 13 अगस्त 20 (वीएन)- दुनियाभर में कोविद -19 के प्रसार के खिलाफ लड़ाई जारी है और इसके भयांकर नकारात्मक परिणाम देखे जा रहे हैं। इससे बहुत सारे लोगों की हालात् दयनीय हो गई है और बेरोजगारी, गरीबी एवं घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। 

महामारी के बीच तालाबंदी के दौरान काम पर नहीं जाने के कारण कई लोगों की रचनात्मकता एवं क्षमताएँ भी निखर कर सामने आई हैं।

इसका एक उदाहरण 28 वर्षीय रेजिन वलसन हैं जो कोचिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट में अग्नि एवं बचाव विभाग के कर्मचारी हैं। उन्होंने देश में 113 दिनों की तालाबंदी के दौरान पूरे बाईबिल को ही हाथों से लिख डाला है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों की तालाबंदी की घोषणा की थी जिसने पूरे देश को अपने घरों में बंद रहने के लिए मजबूर कर दिया था। स्थिति को देखते हुए तालाबंदी को 31 मई तक फिर बढ़ा दिया गया था।

113 दिनों में पूरा बाईबिल लिख डाला

वलसन संत अंतोनी पल्ली में सिरो मालाबार काथलिक कलीसिया के विश्वासी हैं। तालाबंदी में उनके काम के घंटे को कम कर, एक सप्ताह में सिर्फ 24 घंटे कर दिया गया था। इसके कारण उनके पास प्रतिदिन 3 से 4 घंटे वक्त थे अतः उन्होंने मलयालम भाषा में बाईबिल लिखने का निर्णय लिया।  

इस काम को उन्होंने 113 दिनों में पूरा किया। वलसन ने 1 अप्रैल को पुराना व्यवस्थान लिखना शुरू किया और 30 जून तक उसे पूरा कर दिया। उसके बाद उन्होंने बाईबिल के नये व्यवस्थान को भी लिखना शुरू किया और 22 जुलाई को पूरा लिख लिया।

परिवार एवं मित्रों द्वारा प्रोत्साहन

एक बढ़ई दोस्त स्याम मोहन, ने उसे पूरे काम को सुरुचिपूर्ण लकड़ी के पैनलों में बांधने में मदद की, जिसका वजन 13 किलोग्राम से अधिक है।

वलसन की पत्नी जो संत मेरी कॉलेज त्रिचूर की प्रोफेसर हैं इस समय गर्भवती हैं। यह उनकी पहली संतान होगी अतः वलसन ने अपने हाथ से लिखे बाईबल को उन्हीं के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया है। वलसन ने स्वीकार किया कि इस काम में उनकी पत्नी और माता ने बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया है।  

उन्होंने एशियान्यूज से कहा, "मैं अपने काम को इसलिए पूरा कर सका क्योंकि मेरे परिवार, मित्र और पल्ली पुरोहित की उत्कट प्रार्थना एवं उनका समर्थन मेरे साथ था।"

संत अंतोनी के पल्ली पुरोहित फादर फिनोश कीट्टीक्का के अनुसार "वलसन पल्ली का एक अत्यन्त सक्रिय सदस्य हैं। वे केरल के काथलिक युवा आंदोलन (केसीवाईएम) के भी सदस्य हैं तथा रविवार को धर्मशिक्षा देते हैं।"

वालसन ने अपने हाथ से लिखे बाईबल को संत अल्फोंसा के पर्व के दिन 28 जुलाई को पल्ली गिरजाघर में प्रस्तुत किया।

हाथ से लिखे अन्य बाईबिल

वलसन द्वारा हस्तलिखित बाईबिल पहला नहीं है। कोट्टाराक्कारा के सेवानिवृत प्रोफेसर मैथ्यू अब्राहम को गलती से एक खाली पृष्ठों वाला बाईबिल भेंट किया गया था जिसका फायदा उठाते हुए उन्होंने 2013 में अपने हाथों से उसमें लिखना शुरू किया और 2017 में उसे लिखकर पूरा कर दिया।

प्रेरितों की रानी की मिशनरी धर्मबहन सिस्टर रोसेट ने सितम्बर 2018 में बाईबिल लिखना शुरू किया और अक्टूबर 2019 में पूरा किया था।

कोचिन के फातिमा बालिका उच्च विद्यालय की शिक्षिका सेलिन बेनसन ने भी तालाबंदी के दौरान 90 दिनों में नये व्यवस्थान को लिखा है।

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13 August 2020, 16:54