प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर 

युवा मिशनरी की हत्या, न्याय की मांग

28 साल के मुंशी देव ताड़ो को नक्सलियों (माओवादी) ने गोली मार दी, जिसने उसपर पुलिस को सूचना देनेवाला होने का झूठा आरोप लगाया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मुम्बई, मंगलवार, 14 जुलाई 2020 (एशियान्यूज)- एक युवा भारतीय मिशनरी, मुंशी देव तादो की पिछले शुक्रवार को, कथित तौर पर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में एक माओवादी समूह के एक सदस्य ने क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी।

एशियान्यूज से बातें करते हुए भारतीय ईसाईयों की वैश्विक परिषद के अध्यक्ष साजन के. जोर्ज ने हत्या की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा, "मुंशी देव तादो 28 साल के ख्रीस्तीय थे। संभवतः उन्हें एक नक्सली द्वारा गोली मारी गई जिसने पुलिस को सूचना देने का उनपर झूठा आरोप लगाया है। नक्सली ने तादो के शरीर के सामने एक चिट्टी छोड़ दी थी और दावा किया था कि वह पुलिस को सूचित करनेवाला था। उनकी क्रूर हत्या विगत शुक्रवार को हुई और उनका शरीर रविवार को नजदीक के गाँव बमरागढ़ में पाया गया।"

उन्होंने बतलाया कि "येसु से मुलाकात करने के पूर्व मुंशी भी एक नक्सली था। उसने उस क्षेत्र के ख्रीस्तीय परिवारों को सताया और परेशान भी किया था।"

मुंशी ने येसु ख्रीस्त को, तमिलनाडु में "चर्च ग्रोथ मिशनरी मूवमेंट" (सीजीएमएम) के द्वारा जाना, जो उस क्षेत्र में मिशनरी कार्य के लिए सक्रिय है। जब मुंशी ने येसु को अपना मुक्तिदाता माना एवं ख्रीस्तीय विश्वास को स्वतंत्र रूप से स्वीकार किया, तब वह नक्सली दल छोड़, सुसमाचार का अध्ययन किया और मिशनरी कार्य में सहयोग देने लगा।"  

नक्सलियों ने दो बार उन्हें आदेश दिया था कि वह प्रार्थना सभा का संचालन करना एवं येसु का प्रचार करना छोड़ दे। अंततः उन्हें घर से बाहर लेकर, जंगल में गोली मार दी गई। मुंशी अपने पीछे अपनी पत्नी और चार बच्चों को छोड़ स्वर्ग चले गये।

भारतीय ईसाईयों की वैश्विक परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि परिषद मुंशी देव तादो के लिए न्याय एवं सच्चाई की मांग करती है। कानून के अनुसार उनके हत्यारे को जरूर सजा मिलनी चाहिए। 

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने भी उनकी हत्या पर गहन शोक व्यक्त किया है। सीबीसीआई के महासचिव महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स अंतोनी मचाडो ने 13 जुलाई को उका न्यूज से कहा, "यह जानकर बड़ा दुःख हुआ कि ख्रीस्त के मिशनरी को उनके विश्वास के कारण मार डाला गया। मैं इसकी निंदा करता हूँ। यह एक कायरतापूर्ण कार्य है। किसी को दूसरे का जीवन लेने का हक नहीं है। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और हम अपील करते हैं कि जो कोई भी मानव जीवन के खिलाफ  खूनी हरकत से लिप्त हैं वे हथियार छोड़ दें। हम समाज में जीते हैं जहाँ जीवन की रक्षा होनी चाहिए न कि पास्टर तादो की तरह क्रूरता से मार डाला जाना चाहिए।"

  

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

14 July 2020, 17:02