म्यांमार में जारी संघर्ष म्यांमार में जारी संघर्ष 

देश में सभी की भलाई हेतु काम करे, म्यांमार के धर्मगुरु

म्यांमार में विभिन्न धर्मों के नेताओं ने राष्ट्र के नेताओं और विश्वासियों से अपील की है कि वे सम्मान के साथ एक-दूसरे की सुनें, आंतरिक संघर्षों को समाप्त करें और सभी की भलाई के लिए काम करें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

म्यांमार, बुधवार 15 जुलाई 2020 (वाटिकन न्यूज) : विभिन्न धर्मों के चालीस नेताओं ने आगामी चुनाव के मद्देनजर सोमवार13 जुलाई को एक बयान जारी कर म्यांमार के नागरिकों, सशस्त्र समूहों, राजनीतिक दलों और धार्मिक नेताओं से अपील की।

म्यांमार के धार्मिक नेताओं का बयान आने वाले 8 नवंबर के राष्ट्रीय चुनाव और 21 वीं सदी के पंगलोंग सम्मेलन के पहले आता है, जो देश के विभिन्न जातीय समूहों को एक साथ लाकर संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी समाधान पर बातचीत करना चाहते हैं।

बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम और हिंदू समुदायों के प्रतिनिधि, साथ ही म्यांमार के (आरएफपी) धर्म समूह के सदस्य और अन्य जिन्होंने अपील पर हस्ताक्षर किया, वे चुनाव और पंगलोंग के सम्मेलन को राष्ट्र के कल्याण का "एक सुनहरा अवसर" के रूप में देखेते हैं।

सभी का भला

उनका कहना है कि, "हम म्यांमार के सभी नेताओं और अपने साथी धर्मगुरुओं से सम्मान के साथ एक दूसरे को सुनने की अपील करते हैं और सभी का भला करने की ठान लेते हैं।"

अपील में हस्ताक्षर करने वालों में एशिया के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष, यांगून के कार्डिनल चार्ल्स बो सहित 15 से अधिक धर्माध्यक्ष और कलीसिया के वरिष्ठ लोकधर्मी शामिल हैं। कार्डिनल बो आरएफपी के सह-अध्यक्ष भी हैं।

तीन तरह के संकट

नेता विशेष रूप से राष्ट्र के कोविद -19 महामारी, पर्यावरणीय खतरों और जातीय विभाजन और संघर्षों के संकट की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि देश की विविधता की सुंदरता के बावजूद, "लोग जातीय मतभेदों में अपना ऊँचा स्थान संभालने के मूर्खता से चिपके हुए हैं और एक दूसरे से लड़ रहे हैं जबकि विदेशी जमीन के धन सोने, सागौन की लकड़ी और जेड को ले जा रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में, काचिन राज्य में एक जेड खदान की गीली मिट्टी में पत्थरों को ढोने वाले कम से कम 174 गरीब लोग भूस्खलन के बाद "गीली कब्रों में दफन" हो गये।

धार्मिक नेताओं का कहना है कि युवा लोगों को घर पर काम करने की सुविधा या अवसर नहीं है, वे मादक द्रव्य के शिकार हो रहे हैं या विदेश में गुलाम के रूप में काम करने के लिए जा रहे हैं और अपनी गरिमा और जीवन खो रहे हैं।

म्यांमार में पर्यावरणीय खतरा एक गंभीर समस्या है, जो इस सदी के जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित दुनिया के पांच देशों में से एक है।

शांति, न्याय, समावेश का भविष्य

म्यांमार के धर्मगुरु कमजोर शांति समझौते की निंदा करते हैं, जो देश के जंगलों और धन को लूटने से नहीं रोक सकती। इस तरह, देश के नेता जब गरीबों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं तो वे आक्रामक होते हैं। नागर नेताओं को आशा में निवेश करने और महामारी के बाद देश को भविष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता है।

बौद्ध, ईसाई और म्यांमार के मुस्लिम, जातीय और सामुदायिक नेताओं का कहना है कि जब वे असंवेदनशीलता को उजागर करते हैं, एक-दूसरे को ध्यान से सुनते, एक-दूसरे का ख्याल करते हैं और भविष्य के साथ सामंजस्य रखते हैं तो वे एक ऐसी दुनिया को बढ़ावा देते हैं जो शांतिपूर्ण, न्यायसंगत और समावेशी होगी।

“न्याय के बिना कोई शांति नहीं हो सकती। सत्य के बिना कोई न्याय नहीं हो सकता है, “वे, चाहते हैं कि म्यांमार में आशा, शांति और समृद्धि का भविष्य बना रहे।

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15 July 2020, 14:06