भारत के धर्माध्यक्ष संत पापा फ्राँसिस के साथ भारत के धर्माध्यक्ष संत पापा फ्राँसिस के साथ 

दुराचार पर दिशानिर्देशों को लागू करेंगे भारतीय धर्माध्यक्ष

भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कहा है कि वे नाबालिगों के यौन दुराचार मामले में वाटिकन के दिशानिर्देश का पालन करने के लिए तैयार हैं, चाहे यह निराधार ही क्यों न दिखाई पड़े।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, मंगलवार, 21 जुलाई 2020 (ऊकान)- भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स अंतोनियो मचाडो ने 20 जुलाई को ऊका न्यूज से कहा, "हम निशानिर्देश को नागरिक कानून के अनुसार लागू करेंगे।" वाटिकन का यह दिशानिर्देश 16 जुलाई को विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ द्वारा प्रकाशित की गई है।

दिशानिर्देश लागू

2019 को प्रकाशित प्रेरितिक पत्र "वोस एसतिस लुक्स मुंदी" में संत पापा फ्राँसिस ने कहा था कि सभी पुरोहित एवं धर्मसमाजी संस्थाएँ, यौन दुराचार के मामले में किसी भी संदेह को लेकर अपने अधिकारियों को सूचित करें, जबकि संत पापा ने यह भी कहा था कि याजक, नागरिक सूचना नियम से भी बंधे हैं। उन्होंने यह आदेश नहीं दिया है कि जहाँ ऐसे नियम न हों वहाँ भी नागरिक अधिकारियों को रिपोर्ट किया जाए।

अब वाटिकन चाहती है कि धर्माध्यक्ष ऐसे मामलों को देश के नागरिक अधिकारियों को सूचित करें जहां कोई अनिवार्य रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल नहीं है। इसने यह भी चेतावनी दी है कि "ऐसा करने में असफल होने पर वे अपने कर्तव्य से विमुख किये जाने के लिए कार्यालय से हटाये जा सकते हैं।"

भारत में दिशानिर्देश

भारत में एक विशेष कानून के तहत बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट करना अनिवार्य है और ऐसा करने में विफल रहने वालों को न्यूनतम एक साल की जेल की सजा का प्रावधान है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "इसके (बाल यौन दुराचार) साथ साथ वाटिकन हमेशा हर प्रकार के दुराचारों के संबंध में सचेत है।

16 जुलाई को प्रस्तुत दिशानिर्देश पूरी तरह नया नहीं है बल्कि जो होता आ रहा है उसका अनुवर्तन है। उन्होंने कहा कि कलीसिया संत पापा पौल छटवें से लेकर संत पापा फ्राँसिस तक हर प्रकार के शोषण एवं बाल यौन दुराचार के खिलाफ है। जब भारत की बात आती है तब भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने इस तरह के मामलों में नागरिक कानून के अनुसार दिशानिर्देश दिये गये हैं और उसमें किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है।

महाधर्माध्यक्ष मचाडो ने कहा कि धर्माध्यक्षों को कभी- कभी आरोपी पुरोहितों के परिवारों एवं मित्रों की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है जब वे कारर्वाई करते हैं किन्तु ऐसे जघन्य अपराधों के किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

समिति का गठन

केरल में सिरो मालाबार पूर्वी रीति की कलीसिया के जनसंपर्क अधिकारी फादर अब्राहम कपिलपुरायिदाथिल ने कहा कि उनके धर्मप्रांत ने यौन दुराचार के मामले में वाटिकन के दिशानिर्देश के मद्देनजर कार्रवाई करने हेतु पुरोहितों, धर्मबहनों, लोकधर्मियों, कलीसियाई कानून के ज्ञाताओं एवं अन्य विशेषज्ञों की एक सुरक्षा परिवेश समिति का गठन किया है।

समिति का गठन 1 जून को किया गया था जो भारत के नागरिक कानून के आधार पर वाटिकन के दिशानिर्देशों के अनुसार आरोपों की जांच करेगी। धर्माध्यक्ष के अनुसार वाटिकन के नए दिशानिर्देश में इस बात पर जोर दिया गया है कि दुराचार के सभी रिपोर्ट, यहां तक ​​कि जो अस्पष्ट या गुमनाम स्रोतों से हों, "उचित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए और यदि संभव हो तो, सभी पर ध्यान दिया जाना चाहिए।"

फरवरी में बेंगलुरु में सीबीसीआई के द्विवार्षिक सम्मेलन में 192 धर्माध्यक्षों ने दावा किया कि वे किसी भी तरह के यौन शोषण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि वे कलीसिया के साथ खड़े होकर अपराधियों के खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे और सभी को स्पष्ट संदेश देंगे कि अगर वे अपराधी पाए गए तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

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21 July 2020, 15:58