असम में बाढ़ , तस्वीर-  13.07.2020 असम में बाढ़ , तस्वीर- 13.07.2020 

पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ पीड़ितों की मदद हेतु कलीसिया की चिन्ता

कोविद -19 लॉकडाउन के बाद हुई अनुदान की कमी से जूझ रहे ईसाई समूह, पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ प्रभावित, असम राज्य तक पहुंचने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं, जहाँ 66 लोगों के प्राण चले गये हैं तथा लगभग 36 लाख लोग असहाय हो गये हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

असम, शुक्रवार, 17 जुलाई 2020 (ऊका समाचार): कोविद -19 लॉकडाउन के बाद हुई अनुदान की कमी से जूझ रहे ईसाई समूह, पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ प्रभावित, असम राज्य तक पहुंचने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं, जहाँ 66 लोगों के प्राण चले गये हैं तथा लगभग 36 लाख लोग असहाय हो गये हैं।  

धर्माध्यक्ष थॉमस पुलोपिलिल

बोंगाईगाँव धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष थॉमस पुलोपिलिल ने 16  जुलाई को कहा, "हम एक भयावह स्थिति में हैं और यह नहीं जान पा रहे हैं कि क्या करें क्योंकि सम्पूर्ण राज्य बाढ़ प्रभावित हो गया है तथा लोग भोजन और आवास की तलाश में भटक रहे हैं।"

स्थानीय मौसम विभाग ने अगले 72 घंटों में भी भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है, जिससे लोगों में दहशत फैल गई है, जो पहले से ही मूसलाधार बारिश और बाढ़ के परिणामों का खामियाजा भुगत रहे हैं।

रिकॉर्ड तोड़ बारिश, संसाधनों की कमी

ऊका समाचार से धर्माध्यक्ष पुलोपिलिल ने कहा, "मूसलाधार बारिश और बाढ़ तो प्रतिवर्ष सामान्य घटना है, हालांकि, इस वर्ष इसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं" जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।" उन्होंने कहा, "सरकारी एजेंसियां जो कुछ कर सक रही हैं वे कर रही हैं, किन्तु वह बहुत कम है, स्थिति की व्यापकता को संबोधित करने के लिए वह पर्याप्त नहीं है।"

धर्माध्यक्ष ने कहा, "काथलिक सहित समस्त कलीसियाई समुदाय विभिन्न राहत एजेंसियों के साथ मिलकर संसाधनों का उपयोग किया करते थे और इस तरह की स्थितियों में लोगों की मदद करते थे। "दुर्भाग्यवश, अब हम पीड़ितों के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कोविद -19 लॉकडाउन के दौरान फँसे हुए आप्रवासी कामगारों और अन्य गरीबों को खिलाने के लिए हमारे अनुदानों को खर्च किया जा चुका है।"

असम क्रिश्चियन फोरम

इसी बीच, 15 जुलाई को असम क्रिश्चियन फोरम के प्रवक्ता एलन ब्रूक्स ने ऊका न्यूज़ को बताया कि "सभी ख्रीस्तीय नेताओं ने 14 जुलाई को असम के लोगों की दुर्दशा का जायज़ा लिया ताकि संकट की इस घड़ी में लोगों की मदद की जा सके। उन्होंने कहा, "हर कोई गंभीर वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहा है। कई पादरियों ने पिछले तीन माहों से अपना वेतन नहीं लिया है।" उन्होंने कहा कि अब कलीसियाई संगठन स्थानीय कलीसियाई समुदायों से सहायता एकत्र करने पर सहमत हो गये हैं ताकि लोगों को प्राथमिक सहायता मुहैया कराई जा सके।  

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17 July 2020, 11:41