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कार्डिनल ग्रेसियस एवं भारत के अन्य धर्माध्यक्ष कार्डिनल ग्रेसियस एवं भारत के अन्य धर्माध्यक्ष 

भारत के प्रेरित संत थॉमस, महामारी में हमारी सहायता कर

मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने भारत के प्रेरित संत थॉमस के पर्व दिवस पर 3 जुलाई को समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया, जिसको लाईव प्रसारित किया गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मुम्बई, शनिवार, 4 जुलाई 2020 (एशियान्यूज)˸ 3 जुलाई की प्रातः ख्रीस्तयाग आरम्भ करते हुए कार्डिनल ने सभी को प्रेरित संत थॉमस के पर्व की शुभकामनाएँ दीं, जिन्होंने सन् 52 ई. में आज से 1978 साल पहले भारत में पहली बार येसु को लाया था। उन्होंने कहा, "हम प्रार्थना करते हैं कि संत थॉमस हमारे विश्वास को सुदृढ़ करें।"

"आज भारत की कलीसिया के लिए एक बड़ा पर्व है। संत थॉमस ने सन् 52 ई. में विश्वास को भारत लाया। हमारे लिए यह बड़ा सौभाग्य है कि प्रेरितों में से एक भारत आये। यह ईश्वर प्रदत्त सौभाग्य है। हमने उन्हें अपना प्रत्युत्तर दिया है एक समर्पित व्यक्ति के रूप में या आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में एवं हम ख्रीस्त की ओर, हमारे स्वर्गिक पिता की ओर बढ़ रहे हैं।"

संत थॉमस के नाम को हम मती (10˸3) मारकुस (3˸18) लूकस (6) और प्रेरित चरित (1˸13) में पाते हैं किन्तु संत योहन का सुसमाचार एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

संत थॉमस येसु के विश्वस्त शिष्य थे। "जब येसु ने कहा कि वे यहूदिया में लाजरूस से मुलाकात करना चाहते हैं जो येरूसालेम से कुछ ही दूरी पर था तथा उनके लिए खतरा था, तब थॉमस ने अपने सहशिष्यों से कहा, "हम भी चलें और उनके साथ मर जायें।"

थॉमस ने हमेशा सच्चाई की खोज की। अंतिम व्यारी के समय उन्होंने येसु से पूछा, "प्रभु हम यह भी नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं तब उसका रास्ता कैसे जान सकते हैं?"

येसु ने थॉमस से कहा, "मैं ही मार्ग, सत्य और जीवन हूँ, मुझसे होकर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।"

संत थॉमस को संदेह करनेवाला भी कहा जाता है। जब येसु पुनरूत्थान के बाद 8वें दिन शिष्यों को तिबेरियस की झील पर दिखाई दिये तब थॉमस वहाँ उपस्थित नहीं थे। येसु में बाद में शिष्यों को फिर दर्शन दिये जहाँ उन्होंने थॉमस को अपने घावों का स्पर्श करने को कहा था। इस तरह थॉमस अविश्वासी से विश्वासी बन गया। थॉमस ने येसु के घावों का स्पर्श नहीं किया किन्तु अपने विश्वास को व्यक्त करते हुए कहा, "मेरे प्रभु मेरे ईश्वर।"

थॉमस ने येसु में ईश्वर की पूर्ण प्रकाशना को देखा। यही कारण है कि उन्होंने कहा, मेरे प्रभु और मेरे ईश्वर तथा दण्डवत कर उनकी आराधना की।

कार्डिनल ग्रेसियस ने कहा कि सही संदेह में किसी प्रकार की गलती नहीं है। थॉमस के लिए संदेह इस बात की थी कि वह पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाया था, उसका मन खुला नहीं था। संदेह तब होता है जब हम सोचते हैं कि हमें सबकुछ पता है किन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो सचमुच में संदेह करते हैं क्योंकि उन्हें उसके बारे स्पष्ट जानकारी नहीं होती।   

थॉमस ने नकारात्मक तरीके से संदेह नहीं किया। उसने लगातार सच्चाई की खोज की। वह हमेशा सवाल पूछता था। वह साहसी था। हमें सब कुछ का उत्तर नहीं मिल सकता किन्तु यदि सवाल है तो हम उसका उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं।

कार्डिनल ने कहा कि हमें अपने विश्वास को समझना है जिसके लिए हमें ईश वचन का पाठ करना, प्रेरितों के धर्मसार को समझना, प्रार्थना और चिंतन करना, संत पापा की धर्मशिक्षा को सुनना और संस्कारों को ग्रहण करना है। इन सभी चीजों को करते हुए हम थॉमस के समान येसु का स्पर्श करते और कहते हैं, मेरे प्रभु मेरे ईश्वर और हम अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वर को समर्पित करते हैं।  

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04 July 2020, 13:32